अलीगढ़ में सैकड़ो लोगों की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा? 300 करोड़ के घोटाले के आरोप में अबतक ये हुआ

अकरम खान

Aligarh News: अलीगढ़ में राज्यकर्मचारी विकास लोक सहकारी समिति के लोगों ने जिलाधिकारी विशाख जी. अय्यर से मिलकर जमीनों के बड़े घोटाले का आरोप लगाया है.

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Aligarh News: अलीगढ़ में राज्यकर्मचारी विकास लोक सहकारी समिति के लोगों ने जिलाधिकारी विशाख जी. अय्यर से मिलकर जमीनों के बड़े घोटाले का आरोप लगाया है. इन लोगों का आरोप है कि इस मामले में 300 करोड़ रुपये से अधिक का जमीनों का घोटाला हुआ है. अलीगढ़ से जुड़े राज्य कर्मचारियों की इस शिकायत के बाद उत्तर प्रदेश शासन एंव शहरी नियोजन अनुभाग के अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने एक पत्र भी जारी किया है. इसमें एक SIT का गठन इस मामले की विस्तृत जांच के लिए किया गया है. 3 सदस्यीय इस जांच समिति में मंडलायुक्त (अलीगढ़ मंडल) सहित अलीगढ़ रेंज के DIG और विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष को शामिल किया गया है. SIT गठन करने के बाद जांच के मुख्य बिंदुओं में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों, प्रबंध समिति के सदस्यों, आवास विकास परिषद सहकारिता अनुभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए योजनाबद्ध षड्यंत्र की विस्तृत जांच करने के आदेश दिए हैं.

क्या है आरोप?

अलीगढ़ में डीएम के यहां शिकायत करने पहुंचे राज्य कर्मचारी विकास लोक सहकारी आवास समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि '1989 में एक सोसाइटी बनी थी. उस सोसाइटी ने हम राज्य कर्मचारियों को 200-200 गज के प्लॉट उस समय आवंटित हुए थे. 2007 तक सब कुछ सही चला, क्योंकि राज्य कर्मचारी के बोर्ड में हमारे सदस्य होते थे. इसके बाद चूंकि चुनाव नहीं हुआ तो एक प्रशासक बना दिया गया, जिसने अपनी मन मर्जी करते हुए एक सचिव बनाया दिया. जो कि पूर्ण रूप से अनाधिकृत था. इसके बाद हमारी जमीन व प्लॉटों को खुर्द-बुर्द व जमीनों का अवैध रूप से लेनदेन शुरू कर दिया गया. भूमाफियाओं को इसमें शामिल करा कर इस मामले में करोड़ों रुपये की जमीन का हेर फेर किया गया है. इसी के सम्बंध में हमने डीएम को ज्ञापन दिया है.'

डीएम अलीगढ़ विशाख जी. अय्यर ने इस मामले में बताया कि 'राज्य कर्मचारी विकास लोक सहकारी समिति से जुड़े लोग मिले थे. इन्होंने 1992 में हुए बैनामे को फर्जी बताते हुए कार्रवाई की मांग की है. जांच के आदेश दे दिए गए हैं. साथ ही इन्होंने ये कहा था कि समिति का चुनाव नहीं हुआ है, इसलिए चुनाव कराए जाने चाहिए. लेकिन उसमें तत्कालीन एसीएम विनीत मिश्रा को नहीं रखना चाहिए. उनकी जमीन व अन्य शिकायत से सम्बंधित जो मामला है वो लखनऊ आवास आयुक्त व प्रमुख सचिव के संज्ञान में है. जिसमें SIT का गठन किया जा चुका है.'

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