बीएचयू में इफ्तार को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन, प्रशासन ने हंगामे को निदंनीय बताया

ब्रिजेश कुमार

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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के महिला महाविद्यालय परिसर में बुधवार शाम इफ्तार के आयोजन को लेकर छात्रों ने हंगामा किया और नई परम्परा शुरू करने को लेकर सवाल उठाए. वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है कि इफ्तार का आयोजन कई वर्षों से हो रहा है.

आयोजन के विरोध में छात्रों ने कुलपति आवास पहुंच कर नारेबाजी की और कुलपति का पुतला भी फूंका.

इस संबंध में वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने ‘भाषा’ को बताया कि बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस प्रशासन के बीच बातचीत हुई और छात्रों के दोनों गुटों को समझा दिया गया है. उन्होंने कहा कि अब परिसर में पूरी तरह से शांति है.

उन्होंने कहा कि बुधवार शाम इफ्तार के बाद परिसर में कुछ छात्रों ने हंगामा किया था, आज दूसरे गुट के छात्रों ने परिसर की दीवारों पर विवादित नारे लिख दिए थे लेकिन पुलिस प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज बैठक कर मामला शांत करा दिया और अब परिसर में पूरी तरह शांति है.

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वहीं बृहस्पतिवार देर शाम इस संबंध में जारी आधिकारिक बयान में विश्वविद्यालय प्रशासन ने हंगामे को निंदनीय बताया और कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल्यों व आदर्शों के अनुरूप स्थापित इस विश्वविद्यालय में किसी भी आधार पर, किसी के साथ भी भेदभाव का कोई स्थान नहीं है.’’

विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में कहा है कि परिसर में रोजा-इफ्तार का आयोजन कई वर्षों से हो रहा है और उपलब्ध होने पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति हमेशा उसमें भाग लेते हैं.

उसमें कहा गया है, ‘‘महिला महाविद्यालय में रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया गया, जिसमें कुलपति को आमंत्रित किया गया था. पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी की वजह से इसका आयोजन नहीं हो सका था. इस साल आयोजन में कुलपति समेत विभिन्न लोगों ने हिस्सा लिया.’’

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महिला महाविद्यालय में बुधवार शाम आयोजित इफ्तार में कुलपति सुधीर जैन के साथ प्रोफेसर वी. के. शुक्ला, डॉ अफजल हुसैन, प्रोफेसर नीलम अत्रि, कार्यवाहक प्रधानाचार्य प्रोफेसर रीता सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रोफेसर के. के. सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर बी. सी. कापड़ी, डॉ. दिव्या कुशवाहा सहित महाविद्यालय की छात्राओं ने भाग लिया था.

हालांकि, इफ्तार के आयोजन की जानकारी मिलने पर बुधवार रात ही छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. एक छात्र ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में ऐसे आयोजन की कोई परंपरा नहीं रही है और कुलपति ऐसा करके नयी परंपरा को जन्म दे रहे हैं.

विरोध प्रदर्शन पर विश्वविद्यानय प्रशासन का कहना है, ‘‘इसे लेकर विश्वविद्यालय का शैक्षणिक व सद्भावपूर्ण वातावरण बिगाड़ने की कोशिश निंदनीय है.’’

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(भाषा के इनुपट्स के साथ)

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