काशी कॉरिडोर में अग्निपरीक्षा से गुजरने को मजबूर श्रद्धालु, गर्मी ने 2 की ले ली जान

रोशन जायसवाल

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वाराणसी में बढ़ती गर्मी में काशी विश्वनाथ दर्शन को आए श्रद्धालुओं को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा है. सुबह से लेकर दोपहर में भीषण गर्मी और उमस के बावजूद भोले के भक्तों के आने का सिलसिला जारी है. लेकिन अब यही आसमान से बरसते अंगारे और तपती तवे जैसी जमीन जानलेवा साबित होने लगी है. यही वजह है कि पिछले 2 दिनों में काशी विश्वनाथ दर्शन को आए दर्शनार्थियों में 2 की मौत हो चुकी है, जबकि आधा दर्जन की गर्मी से तबीयत बिगड़ भी चुकी है.

विश्वनाथ धाम दर्शन को आए श्रद्धालुओं ने गर्मी से निपटने के नाकाफी इंतजाम पर बेबाकी से यूपी तक से बातचीत भी की है.

13 दिसंबर 2021 को पीएम मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का उद्घाटन किया, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मौसम की मार काॅरिडोर के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आएगी.

ठंडी के मौसम में मंदिर परिसर में सुरक्षाकर्मियों और दर्शनार्थियों को बर्फ की सिल्ली पर चलने जैसा एहसास हुआ. जिससे निपटने के लिए खुद पीएम मोदी ने तोहफे के रूप में जुट के चप्पल भिजवाया. अब भीषण गर्मी का सितम इस कदर आसमान से अंगारे की शक्ल में बरस रहा है कि पिछले दो 2 दिनों में 2 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की तबीयत भी बिगड़ चुकी है.

कल यानी रविवार को कर्नाटक के बेलगाम की 57 वर्षीय आशा देवी की तबीयत दर्शन के दौरान गर्मी से बिगड़ गई, जिन्हें मंडलीय अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. ठीक इसके एक दिन पहले यानी शनिवार को आंध्र प्रदेश के 75 वर्षीय अल्लापार्ती चंद्रबोस की भी मौत कुछ इसी तरह हो गई, जबकि पिछले कुछ दिनों से रोजाना आए दिन गर्मी के चलते दर्शनार्थियों की तबीयत के बिगड़ने का सिलसिला जारी है.

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इस बारे में जब यूपी तक ने विश्वनाथ कॉरिडोर का रुख ललिता घाट की तरफ से बने गेटवे ऑफ कॉरिडोर से किया, तो अजमेर से आए ओमप्रकाश ने बताया कि गर्मी से हालत खराब हो गई है और गर्मी से चक्कर भी आने लगा है. सिर्फ मंदिर के अंदर ही थोड़ी व्यवस्था गर्मी से निपटने के लिए है, लेकिन बाहर की तरफ नहीं है. जल्द से जल्द व्यवस्था होनी चाहिए. पानी की भी व्यवस्था होनी चाहिए.

तो वहीं कुछ श्रद्धालु गंगा घाट के रास्ते नंगे पांव आते दिखे. उन्हीं में से एक कर्नाटक से आए दल में से एक तीर्थयात्री शिवयोगी ने बताया कि कर्नाटक से भी ज्यादा गर्मी वाराणसी में है. महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

देवरिया से आए अंजनी तिवारी की छोटी बच्ची की तबीयत गेटवे ऑफ कॉरिडोर के गेट पर ही बिगड़ गई. जिसकी वजह से बड़ी बहन उसे लेकर वहीं बैठ गई और दर्शन करने नहीं जा सकी. अंजनी ने बताया कि गर्मी की वजह उनकी बच्ची की तबीयत थोड़ी बिगड़ गई. जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने वहीं जगह देकर बच्ची को छाव में बैठने को बोला.

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मुंबई से आए राजेश मौर्या ने बताया कि धूप से बचने के लिए शेड की और व्यवस्था होनी चाहिए. गंगा घाट से आने पर बिल्कुल भी व्यवस्था नहीं है. जमीन पर चलना तक मुश्किल हो चुका है.

वहीं पटना से आई वर्षा ने भी बताया कि गर्मी से बचने के लिए और इंतजाम करने चाहिए थे. शेड्स बढ़ा दिया जाना चाहिए और मेडिकल भी व्यवस्था देनी चाहिए और प्याऊ की भी व्यवस्था होनी चाहिए और मैट को भी गिला रखना चाहिए. ज्यादा समस्या छोटे बच्चों और बूढ़ों को हो रही है. बाकी मंदिर के अंदर तो पूरी व्यवस्था मिल रही है, लेकिन काॅरिडोर के बाकी हिस्सों में भी मिलनी चाहिए.

पटना से ही आए राहुल रंजन ने भी बताया कि बाकी अन्य व्यवस्था अच्छी है. लेकिन गर्मी के चलते कम से कम मैट को गिला किया जाए., क्योंकि धूप के चलते उसपर चलना मुश्किल हो रहा है और शेड्स भी बढ़ाना चाहिए. पेयजल और मेडिकल की भी बहुत आवश्यक है.

वहीं विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि बीते दो दिनों में दोनों ही मौतें उनके काॅरिडोर के बाहर हुई है. हां वे दर्शन करने जरूर आए थे, लेकिन काॅरिडोर में उनकी मौत नहीं हुई है. लगभग डेढ़ लाख लोग दर्शन करने लंबा सफर तय करके आ रहे हैं और गर्मी के चलते लोगों को चक्कर भी आ रहा है. गर्मी के चलते मैट को भी डबल-ट्रिपल लेयर करके बिछाया जा रहा है. गैलरी में बैठने और पेयजल की भी व्यवस्था की गई है. ज्यादा शेड्स या कैनोपी को नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि हवा और आंधी में इससे श्रद्धालु चोटिल हो सकते हैं. जहां तक मेडिकल कैंप की व्यवस्था है तो उसे जल्द शुरू किया जाएगा और मंदिर प्रशासन अपने खर्च पर ORS और ग्लूकोज के पैकेट भी बांटना शुरू करेगा.

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