ज्ञानवापी में ASI को मिला खास शिलालेख और मंदिर से लेकर औरंगजेब तक की सारी कहानी खुल गई

आयुष अग्रवाल

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ज्ञानवापी परिसर
Varanasi
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Varanasi Gyanvapi ASI Survey On Aurangzeb: वाराणसी ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद विवाद में ASI की सर्वे रिपोर्ट सामने आ गई है. एएसआई सर्वे में ज्ञानवापी परिसर में मंदिर की बात सामने आई है. एएसआई रिपोर्ट में मंदिर के प्रमाण मिले हैं. इसी बीच इस सर्वे रिपोर्ट में मुगल सम्राट औरंगजेब को लेकर भी काफी कुछ कहा गया है.


औरंगजेब को लेकर सर्वे में क्या कहा गया


औरंगजेब का जिक्र करते हुए एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट में लिखा है, एएसआई के पास एक शिलालेख का रिकॉर्ड पहले से ही था. इस रिकॉर्ड में मुगल सम्राट औरंगजेब का जिक्र है. शिलालेख में दर्ज है कि औरंगजेब ने काशी में साल 1676 से साल 1677 के दौरान मस्जिद का निर्माण करवाया था. इस शिलालेख में ये भी दर्ज है कि साल 1792 से लेकर 1793 में इस मस्जिद की मरम्मत भी की गई थी.


ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में खुलासा किया है कि एएसआई को ये शिलालेख साल 1965-66 में मिला था, जिसे एएसआई ने अपने रिकॉर्ड में रख लिया था. अब इसी शिलालेख का जिक्र एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में किया है. 

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औरंगजेब ने दिया था मंदिरों को तोड़ने का आदेश


ज्ञानवापी पर आई एएसआई सर्वे की रिपोर्ट में लिखा है, औरंगजेब की जीवनी में भी लिखा गया है कि औरंगजेब ने काफिरों के मंदिरों और पाठशालों को तोड़ने का आदेश जारी किया था. औरंगजेब के मंत्रियों ने मुगल सम्राट के इस आदेश का पालन किया था. 


एएसआई रिपोर्ट में इतिहासकार जदुनाथ सरकार का भी जिक्र है, जिन्होंने औरंगजेब को लेकर काफी रिसर्च की है और उनके ऊपर कई किताबें लिखी हैं. जदुनाथ सरकार ने भी अपनी किताब में लिखा है कि औरंगजेब के आदेश के बाद काशी के विश्वनाथ मंदिर को तोड़ दिया गया था.

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सर्वे के दौरान मिला शिलालेख


सर्वे रिपोर्ट में ASI ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है. सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के एक कमरे से शिलालेख के पत्थर मिले हैं. इस शिलालेख में मस्जिद निर्माण से जुड़ी तमाम जानकारियां दर्ज थी. मगर उन जानकारियों को मिटाने के लिए शिलालेख के पत्थर को खरोच दिया गया था. 


बता दें कि कुछ इतिहासकारों का दावा है कि औरंगजेब के शासन में ही मथुरा के कृष्ण मंदिर और काशी के विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा गया था. मगर मुस्लिम पक्ष हमेशा से इन दावों को गलत बताता आ रहा है. फिलहाल इस पूरे मामले में एएसआई की ये रिपोर्ट काफी बड़ी मानी जा रही है.

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