वाराणसी: स्वच्छ गंगा के दावे का सच! सीवेज के पानी से रंग पड़ा काला, लीकेज से दरके मकान

रोशन जायसवाल

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा किनारे रहने वाले लोग और उनके घर अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार, गंगा में अब रोजाना 50-70 MLD यानी 5-7 करोड़ लीटर सीवेज का पानी गिरना शुरू हो गया है, जिससे गंगा का रंग काला पड़ गया है. वहीं, दरकती गंगा की मिट्टी के चलते नगवां इलाके में गंगोत्री विहार काॅलोनी के लगभग 10 मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.

बता दें कि इन मकानों में रहने वाले लोगों ने परिवार सहित नजदीक के पंपिंग स्टेशन के पास धरना देना शुरू कर दिया है. आरोप है पंपिंग स्टेशन से एसटीपी तक बिछाई गई पाइपलाइन के काम में मानक और गुणवत्ता का ध्‍यान नहीं रखा गया. पंपिंग स्टेशन ही गंगा में गिरने वाले नाले को टैप करके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जा रहा था. वहीं, हंगामे और आगे होने वाले नुकसान से बचने के लिए पंपिंग स्टेशन बंद कर दिया गया है, जिसकी वजह से अब गंगा में रोजाना 50-70 MLD यानी 5-7 करोड़ लीटर सीवेज गिरना शुरू हो गया है.

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धरना दे रहे रामचरण तिवारी ने बताया,

“5-7 माह पहले पाइपलाइन बदली गई है और उस दौरान आश्वासन दिया गया था कि मानक के अनुरूप स्टोन पिचिंग और पाइलिंग होगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और अब पाइप में लीकेज शुरू हो गई है. इससे गंगा किनारे उनके मकानों की नींव खराब हो गई है. 30-35 मकान कभी भी गिर सकते हैं.”

रामचरण तिवारी.

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जिलाधिकारी की ओर से शुरू कराई गई जांच के तहत IIT-BHU के एक्सपर्ट, कार्यदाई एजेंसी और जिम्मेदार संचालन करनी वाली कंपनियों के अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्र की पड़ताल भी शुरू कर दी है.

IIT-BHU के एक्सपर्ट डाॅ. केके पांडेय ने बताया,

“समस्या को देख लिया गया है, घाट की मिट्टी दरक रही है. इंजीनियरिंग पैरामीटर से जो भी उपाए होंगे उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा. इसकी वजह पाइप और स्लोप स्टेबिलिटी भी हो सकती है. 10 मकान प्रभावित हुए हैं और दुर्घटना हो सकती है, इसलिए उसमें न रहने की अपील की है.”

डाॅ. केके पांडेय.

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संचालन की जिम्मेदारी निभाने वाली कंपनी ने क्या बताया?

पूरे काम के संचालन की जिम्मेदारी निभाने वाली ESSEL इंफ्रा कंपनी के प्रोजेक्ट हेड पल्लव ने बताया, “31 मार्च से प्लांट चल रहा है, दिक्कत कुछ नहीं है. लोगों ने वाइब्रेशन की शिकायत की थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. घर टूटने होते तो प्लांट चलने की वजह से पहले ही टूट गए होते. घर जो टूटे हैं वे इंजीनियरिंग को ध्यान में रखकर नहीं बनाए गए थे. बाढ़ का पानी जब उतरा है तो घरों में क्रेक्स आए हैं, लेकिन आरोप हमारे ऊपर लगाया जा रहा है.

प्रोजेक्ट हेड पल्लव ने बताया कि मानक के अनुरूप ही पाइप बिछाई गई है. उन्होंने यह भी बताया कि मकानों में दरार पुरानी थी. बकौल पल्लव, पंपिंग स्टेशन मंगलवार रात से ही रुका है, जिसके चलते 50-70 MLD गंगा में सीवर गंगा में गिर रहा है.

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