ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में अगली सुनवाई 21 को, जानिए अब तक मामले में क्या हुआ?

भाषा

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ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर परिसर मामले में हिंदू पक्ष के एक वादी की दलीलें यहां मंगलवार को जिला जज की अदालत ने सुनी और बृहस्पतिवार को भी यह सुनवाई जारी रहेगी. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर मामले में मंगलवार को जिला जज की अदालत में हिन्दू पक्ष के एक वादी राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने दलील रखी. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 21 जुलाई का समय तय किया है.

गौड़ ने बताया कि राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने बाकी रह गए प्रश्नों का जवाब अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया. गौड़ के अनुसार मुस्लिम पक्ष जिस उपासना स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम और काशी विश्वनाथ अधिनियम को लेकर अदालत को भ्रमित और गुमराह करने का प्रयास कर रहा है उस पर अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने स्पष्टीकरण रखा. गौड़ ने बताया कि अगली सुनवाई पर हमारी दलील पूरी हो जाएंगी. उनके अनुसार उसके बाद अंजुमन इंतेजामिया अपनी बहस करेगा.

गौरतलब है कि हिन्दू पक्ष की वादी राखी सिंह की ओर से सोमवार को गौड़ ने दलील रखी थी. गौड़ ने बताया कि मुस्लिम पक्ष उनके मुकदमे को पोषणीयता योग्य नहीं बता रहा, यह पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष बार-बार जिस उपासना स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम और काशी विश्वनाथ अधिनियम की दलील दे रहा है वह उनके मुकदमे में लागू ही नहीं होता.

ध्यान देने वाली बात है कि हिंदू पक्ष के चार अन्य वादियों के वकीलों ने शुक्रवार को दलील दी कि ज्ञानवापी क्षेत्र में ‘आदिविश्वेश्वर’ (भगवान शिव) स्वयं प्रकट हुए और सदियों से उनकी पूजा की जाती रही है, लेकिन बाद में उनकी मूर्ति को छिपा दिया गया. इन चारों की सुनवाई पूरी हो चुकी है.

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राखी सिंह तथा अन्य ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी में विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ के आदेश देने के आग्रह के संबंध में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी जिसके आदेश पर पिछले मई माह में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था.

इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था. सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी. मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी सर्वे पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि निचली अदालत का यह फैसला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है और इसी दलील के साथ उसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था.

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उच्चतम न्यायालय ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन मामले को जिला अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. इसके बाद से इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है. इस मामले की पोषणीयता पर जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में दलील पेश की जा रही है और इसी क्रम में मुस्लिम पक्ष ने पहले दलीलें रखीं.

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