मुस्लिम छात्रा नजमा परवीन ने BHU से पीएम मोदी पर की PHD, जानिए तारीफ में क्या-क्या कहा
जिस मुस्लिम छात्रा ने बीएचयू से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पीएचडी की है, उसका नाम नजमा परवीन है. नजमा ने 8 सालों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिसर्च की और फिर अपनी पीएचडी पूरी की.
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Varanasi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गिनती आज विश्व के सबसे लोकप्रिय नेताओं में होती है. पीएम मोदी के चाहने वाले देश-विदेश में लाखों-करोड़ों की संख्या में हैं. अब पीएम मोदी के ऊपर पीएचडी भी की जा रही है. जी हां. दरअसल पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की एक मुस्लिम छात्रा ने पीएम मोदी के ऊपर पीएचडी की शिक्षा पूरी की है. मुस्लिम छात्रा ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएम मोदी के ऊपर पीएचडी की है. बता दें कि पीएचडी करने वाली मुस्लिम छात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन और उनके संघर्षों से प्रभावित है.
जिस मुस्लिम छात्रा ने बीएचयू से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पीएचडी की है, उसका नाम नजमा परवीन है. नजमा ने 8 सालों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिसर्च की और फिर अपनी पीएचडी पूरी की. UP Tak ने छात्रा नजमा परवीन से इसको लेकर बात की.
8 सालों तक किया पीएम मोदी पर शोध
UP Tak से बात करते हुए छात्रा नजमा परवीन ने बताया कि इस शोध कार्य को 8 साल में पूरा किया गया है. नजमा का कहना है कि ये पीएचडी ‘नरेंद्र मोदी का राजनीतिक नेतृत्व’ एक विश्लेषणात्मक अध्ययन है, जो साल 2014 के लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में किया गया है.
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नजमा ने कहा, “मैंने पीएम नरेंद्र मोदी को अपने शोध अध्ययन के लिए इसलिए चुना, क्योंकि वह एक सफल नेता हैं. मैंने अपनी पीएचडी में प्रधानमंत्री के बचपन से लेकर अभी तक के सफर को दर्शाया है. बहुत सारे लोग उनके पैर खींचना चाहते थे. मगर फिर भी उन्होंने अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाया.
कट्टर हिंदूवादी नहीं हैं पीएम मोदी
नजमा परवीन ने आगे बताया, “पीएचडी के शोध में दर्शाया गया है कि किस तरीके से उनको एक कट्टर हिंदूवादी माना जाता था, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. वह किसी धर्म जाति के नेता नहीं हैं. वह पूरे देश के नेता हैं. पीएम मोदी ने लोगों को बताया है कि वह देश की सेवा करने के लिए आए हैं.” नजमा परवीन ने आगे बताया कि अगर पीएम मोदी किसी जाति या धर्म के नेता होते तो वह तीन तलाक जैसे मुद्दों परह काम नहीं करते.
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‘लोगों ने मेरा विरोध किया’
नजमा परवीन ने भी कहा कि जब उन्होंने ये विषय अपनी पीएचडी के लिए लिया तो कई सारे लोगों ने उनका विरोध किया. मगर मेरे शिक्षकों ने मुझे काफी सहयोग दिया और मेरा शोध पूरा हुआ.
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