ज्ञानवापी मामला : कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की अर्जी का अदालत ने संज्ञान लिया
(शीर्षक, इंट्रो और दूसरे पैरा में आवश्यक सुधार के साथ रिपीट) वाराणसी (उत्तर प्रदेश), 22 सितंबर (भाषा) ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत…
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(शीर्षक, इंट्रो और दूसरे पैरा में आवश्यक सुधार के साथ रिपीट)
वाराणसी (उत्तर प्रदेश), 22 सितंबर (भाषा) ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की हिन्दू पक्ष की मांग संबंधी अर्जी का संज्ञान लेते हुये 29 सितंबर तक मस्जिद प्रबंधन से इस संबंध में उसकी आपत्तियां दाखिल करने को कहा। इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी।
जिला शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि मामले की वादी चार महिलाओं की ओर से अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने ज्ञानवापी परिसर में प्राप्त कथित शिवलिंग/फव्वारे की कार्बन डेटिंग कराने की मांग संबंधी अर्जी जिला अदालत के समक्ष रखी। जिला न्यायाधीश ने इस पर संज्ञान लेते हुए अगली तारीख 29 सितंबर नियत कर दी। मुस्लिम पक्ष से अगली सुनवाई तक इस मामले में आपत्ति पेश करने के लिये कहा गया है।
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उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में 15 लोगों ने पक्षकार बनने के लिए जिला न्यायाधीश की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है। इस पर जिला न्यायाधीश ए के विश्वेश ने कहा कि पक्षकार बनने के लिए 15 लोगों में से उपस्थित आठ लोगों के प्रार्थना पत्र पर ही विचार किया जाएगा, बाकी अनुपस्थित सात लोगों का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया जाएगा।
सिंह ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत से इस मामले की सुनवाई के लिए आठ हफ्ते बाद समय तय करने की मांग रखी थी, जिसे न्यायाधीश ने खारिज कर दिया।
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मुस्लिम पक्ष के वकील मोहम्मद तौहीद ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने मामले की पोषणीयता पर अदालत के फैसले के आठ सप्ताह बाद प्रकरण की सुनवाई आगे बढ़ाने को कहा था। जिला अदालत ने पिछली 12 सितंबर को अपने निर्णय में मामले को सुनवाई के लायक माना था। लिहाजा मुस्लिम पक्ष ने मामले की सुनवाई आठ हफ्ते बाद करने के सिलसिले में प्रार्थनापत्र दिया था।
गौरतलब है कि दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह तथा वाराणसी की चार महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रंगार गौरी के रोजाना दर्शन-पूजन और विग्रहों की सुरक्षा के लिये वाराणसी की दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दाखिल की थी।
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अदालत के आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था और इसी दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक पत्थर मिला था। हिन्दू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह हौज में लगा फव्वारा है।
बहरहाल, मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है, लिहाजा यह सुनने योग्य नहीं है। अदालत ने पिछली 12 सितंबर को इस पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई करने योग्य है।
भाषा सं सलीम
माधव रंजन
रंजन
राणा संजीव सिंह ने बताया कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में 15 लोगों ने पक्षकार बनने के लिए जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है. इस पर जिला जज एके विश्वेश ने कहा कि पक्षकार बनने के लिए 15 लोगों में से उपस्थित आठ लोगों के प्रार्थना पत्र पर ही विचार किया जाएगा, बाकी अनुपस्थित सात लोगों का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया जाएगा.
सिंह ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत से इस मामले की सुनवाई के लिए आठ हफ्ते बाद समय तय करने की मांग रखी थी, जिसे जिला जज की अदालत ने खारिज कर दिया. मुस्लिम पक्ष के वकील मोहम्मद तौहीद ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने मामले की पोषणीयता पर अदालत के फैसले के आठ सप्ताह बाद प्रकरण की सुनवाई आगे बढ़ाने को कहा था.
जिला अदालत ने गत 12 सितंबर को अपने निर्णय में मामले को सुनवाई के लायक माना था. लिहाजा मुस्लिम पक्ष ने मामले की सुनवाई आठ हफ्ते बाद करने के सिलसिले में प्रार्थनापत्र दिया था.
गौरतलब है कि दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह तथा वाराणसी की चार महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित शृंगार गौरी के रोजाना दर्शन-पूजन और विग्रहों की सुरक्षा के लिये वाराणसी की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दाखिल की थी. अदालत के आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था.
इसी दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक आकृति मिली थी. हिन्दू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह हौज में लगा फव्वारा है. बहरहाल, मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है, लिहाजा यह सुनने योग्य नहीं है. अदालत ने पिछली 12 सितंबर को इस पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई करने योग्य है.
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