ज्ञानवापी केस: व्यासजी के तहखाने में हिंदू पक्ष को मिला पूजा का अधिकार तो मुस्लिम पक्ष ने बनाया ये प्लान
वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएगा.
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया. अब इस मामले में मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने बताया कि यह फैसला गलत है. उन्होंने बताया कि अब वो इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
अखलाक अहमद ने यूपीतक को बताया कि ये फैसला जज ने गलत दिया है. स्पेशल वर्शिप एक्ट 1991 और साल 1937 के मुकदमे के फैसलों को ओवरलुक करके जज ने ये फैसला दिया है. जज ने अपने अधिकार के बाहर जाकर फैसला सुनाया है. उनको इस एप्लीकेशन को सुनने का अधिकार नहीं था, जब तक उसमें कोई दूसरी एप्लीकेशन न प्रतीत हो.
बता दें कि विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से पूजा शुरू कराने का 1 हफ्ते में आदेश दिया गया है. मालूम हो कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना में पूजा पाठ करने के अधिकार देने की मांग वाली शैलेंद्र कुमार पाठक की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के बाद जिला जज ने आदेश सुरक्षित कर लिया था, जिसे बुधवार को सुनाया गया.
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हिंदू पक्ष का कहना था कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के शासनकाल में बंद करा दिया गया था. मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा था कि इसके खिलाफ भी जिला जज की अदालत में एक अपील दाखिल की जा चुकी है.
मालूम हो कि शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से बीते साल 25 सितंबर को वाद दाखिल करके यह दावा किया गया था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से मौजूद इमारत में तहखाना है और यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी भी है. यह दावा किया गया कि ब्रिटिश शासन काल से ही पुजारी व्यास जी वहां का विश्व थे और दिसंबर 1993 तक वहां पूजा अर्चना होती थी.
इसके अलावा हिंदू पक्ष का दावा है कि व्यास तहखाने में प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व के अन्य सामग्री हैं. साल 1993 दिसंबर से वहां राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बगैर किसी विधिक प्राधिकार के तहखाना में पूजा करने से रोक दिया है और दरवाजा भी हटा दिया है, इसलिए यह आशंका है कि पंडित सोमनाथ व्यास के तहखाना पर मस्जिद पक्ष कब्जा कर सकता है.
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इसी के बाबत बीते 17 जनवरी को जिला जज वाराणसी ने जिलाधिकारी को व्यासजी के तहखाना का रिसीवर नियुक्त करते हुए उसे अपनी अभिरक्षा में लेकर सुरक्षित रखने का आदेश दिया था और जिला प्रशासन ने 24 जनवरी को व्यास जी के तहखाना की अभिरक्षा ले ली थी. मगर इसी प्रार्थना पत्र में दूसरी मांग थी कि काशी विश्वनाथ धाम स्थित नंदी जी के सामने बैरिकेडिंग खोली जाए और व्यास जी के तहखाना में पूजा पाठ करने के लिए अनुमति दी जाए.
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