संत रविदास की जन्मस्थली पर बनेगा भव्य म्यूजियम, जीवन दर्शन के बारे में जान सकेंगे लोग

शिल्पी सेन

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‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’

संत रविदास का ये वाक्य आज भी पाखंड और दिखावे के जवाब में उदाहरण के तौर पर कहा जाता है. संतरविदास ने बताया था कि बाहरी आडम्बर और प्रयोगों से ज़्यादा ज़रूरी आध्यात्मिकता है. अब संत रविदास के विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए वाराणसी में उनकी जन्मस्थली पर भव्य म्यूजियम बनाने की पहल की गयी है.

हर साल रविदास जयंती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आकर हाज़िरी लगाते हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने संसदीय क्षेत्र में यहां आकर संत रविदास को नमन कर चुके हैं. वाराणसी के सीर गोवर्धन में अब संत रविदास म्यूज़ियम बनाया जाएगा.

अत्याधुनिक होगा संत रविदास म्यूज़ियम

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माघी पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनायी जाती है. इस साल 5 फ़रवरी को माघी पूर्णिमा है. इससे पहले ये घोषणा की गयी है. 4 हज़ार वर्ग मीटर के क्षेत्र में संत रविदास म्यूज़ियम का निर्माण होना है. प्रारम्भिक रूप से इस म्यूज़ियम की लागत क़रीब 24 करोड़ रुपए है. म्यूज़ियम को अत्याधुनिक बनाया जाएगा और डिजिटल माध्यम से संत रविदास के विचारों और जीवन को दर्शाया जाएगा.

इस संग्रहालय के जरिए संत रविदास की आध्यात्मिक विरासत को संजोया जाएगा. संत रविदास के विचार और उनके कहे प्रेरक वाक्य अलग-अलग जगह देखने को मिलते हैं. यहां एक जगह उनके विचार वाक्यों से लोग परिचित हो सकेंगे.

उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय के निदेशक आनंद कुमार सिंह कहते हैं कि ‘संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन में उनके जीवन और दर्शन पर आधारित संग्रहालय होगा. इस संग्रहालय में 5 बडी वीथिका (गैलरी) होगी. संत रविदास के जीवन दर्शन को लोग यहां देख पाएंगे. उनकी शिक्षा और प्रेरक वाक्यों को जहां स्थान दिया जाएगा वहीं उनके अद्भुत चित्र भी होंगे.’

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खास बात ये है कि संत रविदास के प्रेरक वाक्यों को तो अलग-अलग जगह देखा और पढ़ा जा सकता है लेकिन उनके अपने जीवन के बारे में भी यहां जानकारी हो सकेगी. भक्ति आंदोलन में संत रविदास के योगदान को भी यहां संजोया जाएगा. संग्रहालय में ऑडीओ विज़ूअल प्रेज़ेंटेशन के जरिए संदेश दिया जाएगा.

म्यूज़ियम में रविदास के जीवन दर्शन के अलावा संग्रहालय को पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए जहां रीडिंग रूम, कैफ़ेटेरिया, सोविनियर स्टोर जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी वहीं आस-पास के लोगों को भी यहां रोजगार से जोड़ा जाएगा.

यूपी में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना नयी पर्यटन नीति में तैयार की गयी है. उस दृष्टि से भी संत रविदास के जन्म स्थल का विकास किया जाएगा.

पर्यटन और रोज़गार को बढ़ावा देने की कोशिश

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रविदास का जन्म माघी पूर्णिमा के दिन हुआ था. मध्यकाल के प्रमुख संत रविदास या रैदास ने छुआ छूत और जाति के भेदभाव को मिटाने के लिए पूरे जीवन संदेश दिया. इसीलिए संत रविदास के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं.

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा कनाडा, जर्मनी जैसे देशों में भी संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में हैं. प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में उनको मानने वाले वाराणसी स्थित उनकी जन्मस्थली पर आते हैं तो शोधकर्ता और उनके जीवन दर्शन से प्रभावित होकर भी बड़ी संख्या में लोग सीर गोवर्धन पहुंचते हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी में उनकी जन्मस्थली सीर गोवर्धन में जा कर उनको नमन कर चुके हैं. इसके अलावा हर साल संत रविदास जयंती के अवसर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहाँ पहुँच कर श्रद्धा व्यक्त करते हैं.

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