ज्ञानवापी मस्जिद मामले में संतों का बड़ा ऐलान, शनिवार को कथित शिवलिंग की करेंगे पूजा

रोशन जायसवाल

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एडवोकेट कमीशन की कार्रवाई के दौरान वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग को लेकर अब संत समाज ने भी जमीन पर उतरने की घोषणा कर दी है. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और विद्या मठ के महंत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आज यह ऐलान कर दिया है कि वे दो दिन बाद शनिवार से ज्ञानवापी के अंदर जाकर कोर्ट के आदेश पर सील किए हुए हिस्से में स्थित शिवलिंग की पूजा-अर्चना करेंगे.

इस बारे में खुद ज्योतिष और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से मुखातिब होते कहा. उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि वह शनिवार को ज्ञानवापी के भीतर जाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना अपने गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद जी के आदेश पर करेंगे.

शनिवार को वो कब जाएंगे और ज्ञानवापी जाने का स्वरूप कैसा होगा इसपर फिलहाल उन्होंने कुछ नहीं बोला है. पुलिस-प्रशासन को इस बारे में जानकारी देने के बारे में उन्होंने बताया कि मीडिया के माध्यम से उन्हें अवगत कराया जा रहा है. उन्होंने आगे बताया कि इस बात में शंका नहीं है कि वह आदि विशेश्वर का शिवलिंग है. अब उनकी पूजा करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि जब भगवान प्रकट हो जाते हैं तो उनकी राजभोग, पूजा और आरती होनी चाहिए.

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कई पक्षकारों की ओर से पूजा-अर्चना की मांग भी की गई, जिसपर कोर्ट ने छुट्टी का हवाला देकर 4 जुलाई की अगली तिथि सुनवाई की तय कर दी है. हमारे यहां नियम भी है कि भगवान जब प्रकट हो जाएं तो उनकी नियमित पूजा होनी चाहिए. ऐसे में कैसे भगवान को भूखा-प्यासा रखा जा सकता है? इसलिए शंकराचार्य गुरू जी के आदेश अनुसार नियमित पूजा शुरू करने जा रहें हैं.

कोर्ट के आदेश से सीलबंद जगह पर पूजा करने के सवाल और अंदर न जाने के पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर जाने नहीं देंगे तो अधिकारियों से कहा जाएगा कि वे पूजा शुरू करा दें. उन्होंने आगे बताया कि रोकने पर जहां तक जाने का अवसर मिलेगा वहीं से शिवलिंग की पूजा शुरू कर देंगे.

माहौल खराब हो जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि क्या मुसलमान इतने नासमझ हैं कि आक्रमण कर देंगे? क्या मुसलमान नहीं समझ रहे हैं कि जिसको वे मस्जिद कह रहे हैं वह स्थान हिंदुओं का है और हिंदू उनको नमाज पढ़ने दे रहा है.

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राजनैतिक दल अखिल और ओवैसी के द्वारा मंदिर पर सवाल उठाने की बात पर उन्होंने कहा कि वे चाहते ही हैं कि इससे उनका फायदा हो. आखिर धर्म के बारे में राजनैतिक लोग क्यों बोलते हैं? अर्थव्यवस्था और लॉ एंड आर्डर पर वे बात करें. मंदिर-मस्जिद और पूजा-अर्चना के बारे में क्यों राजनैतिक लोग बोलते हैं? धर्म का मामला धर्माचार्यों पर छोड़ देना चाहिए.

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