Varanasi Tourism: वाराणसी घूमने जाएं तो आसपास की इन 5 खूबसूरत जगहों को न करें मिस

पलक खरे

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Varanasi News: वाराणसी घूमने के लिए बहुत अच्छी जगह है. यहां बहुत सारे तीर्थ और पर्यटक स्थल हैं. आप यहां गंगा घाट और मंदिर देख सकते हैं. वहीं इसके अलावा वाराणसी के आसपास भी बहुत सारी खूबसूरत जगहें हैं. ये जगहें भारतीय और विदेशी पर्यटकों को बहुत पसंद आती हैं. लेकिन ज्यादातर पर्यटक सिर्फ वाराणसी घूम के वापस चले जाते हैं. उन्हें वाराणसी के आसपास के खूबसूरत झरनों के बारे में नहीं पता होता है. बरसात के दिनों में ये झरने बहुत खूबसूरत लगते हैं. ऐसे में आज हम आपको वाराणसी के पास की इन खूबसूरत जगहों और झरनों के बारे में बताएंगे. अगर आप वाराणसी घूमने जा रहे हैं, तो इन जगहों पर भी जरूर जाएं.

सारनाथ

सारनाथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है. यह वाराणसी (Varanasi) से 12 किलोमीटर दूर है. सारनाथ (Sarnath) में गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था. इस उपदेश को धर्म चक्र प्रवर्तन कहा जाता है. इससे बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ. सारनाथ एक बहुत ही खूबसूरत और शांतिपूर्ण जगह है. यहां आकर आप बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति को करीब से जान सकते हैं. सारनाथ में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जिसमें अशोक स्तंभ, चौखंडी स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, तिब्बती मंदिर, धमेख स्तूप, मठ और थाई मंदिर आदि शामिल हैं.

चुनार किला

चुनार का किला उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर (Mirzapur) जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है. यह वाराणसी से लगभग 40 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर स्थित है. यह किला अपने इतिहास और सुंदरता के लिए जाना जाता है. बता दें कि इसका निर्माण उज्जैन (Ujjain) के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भरथरी के लिए करवाया था. इस किले का निर्माण लगभग 1000 ईसा पूर्व हुआ था. किले का क्षेत्रफल 34,000 वर्ग फुट है. किले के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें हैं. किले के अंदर कई मंदिर, मठ और अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं. किले का गढ़ वाला हिस्सा सबसे आकर्षक है. इस हिस्से में कई तोपें रखी गई हैं. इन तोपों का इस्तेमाल मुगल काल में किया जाता था. चुनार का किला अपनी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है. यहां हर साल लाखों लोग आगरा (Agra) के किले की याद दिलाने वाली वास्तुकला को देखने आते हैं.

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लखनिया दरी

लखनिया दरी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर जिले में स्थित एक खूबसूरत झरना है. यह वाराणसी से लगभग 50 किलोमीटर दूर है. लखनिया दरी की ऊंचाई लगभग 100 मीटर है. यहां से गिरता पानी बहुत ही मनमोहक लगता है. लखनिया दरी के चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पेड़-पौधे हैं. यहां का वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर है. छुट्टियों में यहां पर बहुत से लोग पिकनिक मनाने आते हैं. बरसात के दिनों में लखनिया दरी के आसपास का क्षेत्र पानी से भर जाता है. इसलिए इस समय यहां जाना सुरक्षित नहीं होता है. लखनिया दरी के पास ही सिद्धनाथ की दरी भी है. यहां भी एक छोटा सा झरना है.

राजदरी और देवदरी जलप्रपात

वाराणसी से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर चंदौली जिले के नौगढ़ के जंगलों में राजदरी और देवदरी जलप्रपात स्थित हैं. ये जलप्रपात चंद्रप्रभा नदी पर बने हैं, जो कर्मनाशा नदी की सहायक नदी है. राजदरी जलप्रपात चंद्रप्रभा नदी पर 150 मीटर की ऊंचाई से गिरता है, जबकि देवदरी जलप्रपात 100 मीटर की ऊंचाई से गिरता है. इन झरनों के चारों ओर घने जंगलों के बीच से निकलता हुआ पानी, नीचे गिरते हुए एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है. इन झरनों के आसपास कई तरह के जीव भी पाए जाते हैं, जिनमें शेर, बाघ, तेंदुआ, हाथी, गैंडा, सांभर, चीतल, लकड़बग्घा, आदि शामिल हैं. चंद्रप्रभा वन्य जीव अभ्यारण्य के प्रवेश द्वार से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर राजदरी जलप्रपात स्थित है. यहां पहुंचने का सबसे आसान तरीका सड़क मार्ग है. वन विभाग की ओर से जलप्रपात के पास सुविधाएं भी विकसित की गई हैं, जिसमें पार्किंग, टॉयलेट, कैफेटेरिया आदि शामिल हैं.

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मुक्खा फॉल

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में वाराणसी से करीब 95 किलोमीटर दूर बेलन नदी पर मुक्खा फॉल स्थित है. यह एक खूबसूरत झरना है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है. मुक्खा फॉल की ऊंचाई लगभग 50 फीट है. बेलन नदी का पानी उबड़-खाबड़ जमीनों से होते हुए नीचे गिरता है. यह नजारा काफी अद्भुत लगता है. झरने के नीचे एक छोटा सा तालाब है, जिसमें पानी का फव्वारा उठता रहता है. मुक्खा फॉल के आसपास घने जंगल हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. यहां कई प्रकार के वन्यजीव भी पाए जाते हैं, जिनमें हिरण, नीलगाय, सांभर, चीतल, आदि शामिल हैं. गर्मियों में मुक्खा फॉल पर पर्यटकों की काफी भीड़ उमड़ती है. लोग यहां आकर प्रकृति का आनंद लेते हैं और झरने की सुंदरता को निहारते हैं.

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