गंभीर बीमारी को मात देकर यूपी की इस टैरो कार्ड रीडर ने हासिल किया ये मुकाम? संघर्ष भरी है कहानी
Uttar Pradesh News : कहते हैं अगर ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं, चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो. कुछ ऐसी ही…
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Uttar Pradesh News : कहते हैं अगर ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं, चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो. कुछ ऐसी ही कहानी है देवरिया की एममालविका की, जो पेशे से टैरो कार्ड रीडर हैं. इन्हें हाल ही में बेस्ट इमर्जिंग टैरो रीडर और हीलर का अवार्ड मिला है. सोशल मीडिया पर भी अपने अंदाज में टैरो कार्ड रीडिंग के लिए चर्चित हैं. वह लखनऊ में कार्यत हैं लेकिन उनका जन्म देवरिया में हुआ है.
एक वक्त ऐसा आया था जब एममालविका को जीवन से उम्मीद खत्म हो गई थी. वह शारीरिक व मानसिक तौर पर संघर्ष कर रहीं थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. एममालविका बताती हैं. यूपी के देवरिया जनपद से कक्षा 4 की पढ़ाई कर प्राथमिक शिक्षा अर्जित करने के बाद राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ से 12वीं तक पढ़ाई. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से हिस्ट्री में आनर्स की और गोरखपुर विश्वविद्यालय से माडर्न हिस्ट्री से एमए की दीक्षा ग्रहण कर विश्वविद्यायल में 2nd टॉपर होने का गौरव प्राप्त किया.
कैसे बदला जीवन
साल 2008 में एममालविका की नोएडा में शादी हुई.उस परिवार में एक बेटी को जन्म दिया लेकिन साल 2012 में एक अप्रत्याशित मोड़ आ गया. उन्हें गंभीर बीमारी Gullian Barre Syndrome जो एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. यहीं से पीड़ा का दौर शुरू .10 महीने की बेटी की देख-रेख और गंभीर बीमारी से लड़ना, दोनों ही चुनौतीपूर्ण था. इसकी वजह से पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो चुका था. तकरीबन ढाई महीने तक वेंटिलेटर पर रही. इन तमाम परिस्थियों में एक खास बात यह रही कि 10 माह की बेटी का चेहरा देखकर जीवन जीने की ललक बढ़ती चली गई.
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संघर्ष भरी है कहानी
उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर पर पड़े रहने व लकवा ग्रस्त होने से मेरा शरीर स्थिर था, लेकिन दिमाग तेज था. इससे अपने आस-पास होने वाली हर चीज़ को सुन और समझ सकती थी। पूरे एक साल तक बिस्तर पर पड़ी रही। जैसे-जैसे समय बीता, ठीक होने की उल्लेखनीय यात्रा शुरू की. जीवन में आई प्रतिकूलताओं से विचलित हुए बिना अपने जीवन को फिर से संवारने के मिशन पर काम शुरू कर दिया. इसी बीच उनका तलाक भी हो गया जिसके बाग एममालविका एक निजी कंपनी में नौकरी हासिल कर अपनी बेटी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अथक प्रयास में जुट गई.
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एएममालविका के जीवन को टैरो रीडिंग से ऑक्सीजन मिली. उन्होंने बीमारी से उभरते वक्त इसके बारे में पढ़ना शुरू किया था. उन्होंने समय के साथ इसका ज्ञान अर्जित किया और इसका एक्सपर्ट बन गईं. सोशल मीडिया के माध्यम से इसे बढ़ाया जिसके बाद वह चर्चा में आ गई. उनके मुताबिक, ”ये दृढ़ संकल्प की देन है कि आज देश और दुनिया भर के हजारों लोगों के साथ मैं जुड़ चुकी हूं. उनके लिए आशा की किरण बन कर उन्हें आत्म-सुधार और आध्यात्मिक विकास की यात्रा का मार्गदर्शन कर रही हूं.”
मिला ये अवार्ड
एममालविका को अभी हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक समारोह में’ ब्रांड इम्पैक्ट राइट च्वॉइस अवॉर्ड’ देकर सम्मानित किया गया, इसमें इन्हें 2023 के बेस्ट इमर्जिंग टैरो रीडर एंड हीलर के सम्मान से नवाजा गया. इस समारोह की मुख्य अतिथि एक्ट्रेस नेहा धूपिया रहीं. एममालविका का कहना है कि टैरा कार्ड रीडिंग अब एक नये करियर ऑप्शन के तौर पर भी तेजी से उभरा है, सोशल मीडिया पर भी इसका काफी क्रेज बढ़ा है.
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एममालविका की आप बीती इस बात का प्रमाण है कि कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए भी कोई न केवल विजयी हो सकता है बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन सकता है. उनका कहना है कि कितनी भी बड़ी समस्याए आ जाए लेकिन जीवन में हार नहीं माननी चाहिए. उनका कहना है लड़कियां भगवान की सबसे मजबूत देन है, बस उन्हें खुद पर भरोसा रखना चाहिए.
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