बांदा की महिला जज ने मांगी इच्छा मृत्यु, लेटर में बताई हैरान करने वाली वजह

सिद्धार्थ गुप्ता

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बांदा (Banda News)  में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक महिला जज का लेटर सोशल मीडिया में…

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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बांदा (Banda News)  में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक महिला जज का लेटर सोशल मीडिया में वायरल हो गया. वायरल लेटर में एक महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है. जज का यह लेटर वायरल होने के बाद जिले सहित अन्य जगह चर्चा का विषय बन गया है.

वायरल हो रहा लेटर

दरअसल, बांदा में तैनात महिला सिविल जज जूनियर डिवीजन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है. वायरल लेटर के मुताबिक महिला जज ने आरोप लगाते हुए लिखा कि 2022 में बाराबंकी में तैनाती के दौरान जिला जज के द्वारा प्रताड़ित किया गया, खुलेआम गालियां मिली, साथ ही मिलने के लिए रात में समय बताकर बुलाने का संदेशा दिया. मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे मैं असामयिक तत्व हूं. जिस पर महिला जज ने परेशान होकर अपने डिपार्टमेंट से लगाकर हर जगह मामले की शिकायत की, लेकिन आरोप है कि कही कोई सुनवाई नही हुई. जिससे परेशान होकर उन्होंने इच्छामृत्यु की मांग की है.

जज ने लगाए ये आरोप

महिला जज ने अपने लेटर में यह भी लिखा कि मैं दूसरो को न्याय सुनाती हूँ, भारत मे काम करने वाली महिलाओं को संदेश भी दिया और कहा कि किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के साथ जीना सीखे, यह हमारे जीवन का सत्य है, पॉश अधिनियम के तहत यह हमसे बोला गया एक बड़ा झूठ है. कोई सुनता नही. शिकायत करोगी तो प्रताड़ना मिलेगी. उन्होंने आगे लिखा कि मुझे न्याय के लिए सिर्फ 8 सेकंड मिले, मैं अपनी एक निष्पक्ष जांच नही करा पायी, यदि कोई महिला सिस्टम से लड़ने के बारे में सोचती है तो यह गलत है. मैं एक जज के तौर पर महसूस कर चुकी हूं.

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मांगी इच्छा मृत्यु

महिला जज ने फोन वार्ता के दौरान बताया कि, ‘मामला सितंबर 2022 के है. प्रताड़ना के बाद हाई कोर्ट से लगाकर डिपार्टमेंट को लेटर लिखा, 1000 से ज्यादा मेल किया तब जाकर एक जांच कमेटी बनी है. जांच 3 महीने में पूरी हो जानी चाहिए लेकिन अब तक कुछ नही हुआ. मैं जनपद बांदा में मई 2023 से तैनात हूं. जब कही सुनवाई नही हुई मेरी कोई सुनने वाला नही है, मुझे दिल्ली में महज 8 सेकंड मिले और मेरी याचिका खारिज हो गयी. अब मेरे सामने कोई रास्ता नही बचा जिस कारण ऐसा कदम उठाया है. ‘

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