प्रयागराज हिंसा आरोपी का मकान गिराने का मामला, HC में 44 पेज का काउंटर एफिडेविट दाखिल

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प्रयागराज हिंसा (Prayagraj violence) के आरोपी जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप की पत्नी परवीन फातिमा की याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट में राज्य सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने अपना जवाब दाखिल किया. जिसपर कोर्ट ने याची अधिवक्ता को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है. कोर्ट में अब मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी.

राज्य सरकार और पीडीए ने जवाब दाखिल कर कोर्ट को जावेद मोहम्मद का मकान गिराए जाने के बारे में जानकारी दी है. पीडीए की ओर से 44 पेज का काउंटर एफिडेविट दाखिल किया गया है. जिसमें कहा गया है कि मोहल्ले के लोगों की शिकायत पर जांच कराई गई. जिसके बाद पीडीए ने विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए जावेद मोहम्मद को नोटिस भेजा था.

पीडीए ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि आशियाना कॉलोनी करेली में स्थित गिराए गए मकान में ‘जावेद एम’ के नाम का बोर्ड भी लगा हुआ था. लोगों ने इस बात की शिकायत की थी कि अवैध रूप से जावेद मोहम्मद ने मकान का निर्माण किया है.

याची अधिवक्ता केके राय के मुताबिक, पीडीए और सरकार की ओर से दाखिल किया गया काउंटर एफिडेविट झूठ का पुलिंदा है, क्योंकि जिस पत्र के आधार पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण कार्रवाई करने की बात कह रहा है, उसमें तीन लोगों के नाम पीडीए ने बताए हैं. जिनका पता और वल्दियत के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है. कोई मोबाइल नंबर भी नहीं है. जवाब में संलग्न किए गए शिकायती पत्र में लिखा गया है मोहल्ले के सभी सम्मानित जन. जिसपर तीन व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं. सरफराज, नूर आलम और मोहम्मद आजम. शिकायती पत्र पर 4 मई को जोनल अधिकारी से जांच कर रिपोर्ट मांगी गई है.

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याची अधिवक्ता के अनुसार पीडीए के अफसरों ने दफ्तर में बैठकर कूट रचित दस्तावेज तैयार कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की है. उन्होंने इस मामले में प्रत्युत्तर हलफनामे में जवाब दाखिल करने की बात कही है. याची अधिवक्ता का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा स्वयं उपस्थित थे. उन्होंने ही जवाब दाखिल किया है.

गौरतलब है कि 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा और बवाल के आरोपी जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप को बताते हुए उसके खिलाफ खुल्दाबाद थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी. इसके बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने 11 जून को मकान खाली करने का नोटिस चस्पा किया था और 12 जून को बुल्डोजर के जरिए 3 से 4 घंटे की कार्रवाई में मकान को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था.

पीडीए के अधिकारियों की कार्रवाई को गलत बताते हुए जावेद की पत्नी परवीन फातिमा और छोटी बेटी सुमैया फातिमा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

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उन्होंने दोषी अधिकारियों को दंडित किए जाने और मुआवजे की मांग की है. इसके साथ ही मकान का निर्माण होने तक रहने के लिए सरकारी आवास दिए जाने की मांग की है.

याचिका में हिंसा के बाद सिविल लाइन के महिला थाने में परवीन फातिमा ने खुद और बेटी को अवैध रूप से निरुद्ध करने की भी शिकायत की है. इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस सैयद वाइज मियां की खंडपीठ में हुई.

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