पड़ताल: महराजगंज में रोहिन नदी फिर मचा सकती है बाढ़ का कहर! फ्लड फाइटिंग का काम अभी भी अधूरा

अमितेश त्रिपाठी

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पड़ोसी मुल्क नेपाल के बुटवल शहर के पास पहाड़ी क्षेत्र से निकली रोहिन नदी यूपी के महराजगंज जिले में हर साल बाढ़ का कहर बरपाती है. आशंका है कि जिले के बीचो-बीच से बहने वाली यह नदी इस साल भी नौतनवा, लक्ष्मीपुर, सदर व पनियरा क्षेत्र में तबाही मचा सकती है, क्योंकि मॉनसून दस्तक देने के करीब है. मगर अभी तक फ्लड फाइटिंग का कार्य पूरा नहीं हुआ है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, सबसे जोखिम वाली स्थिति सदर क्षेत्र के सलामतगढ़ व जगपुर गांव के पास देखने को मिल रही है. यहां नदी का खतरनाक मोड़ है. सिंचाई विभाग बम्बूक्रेट का ठोकर बनाकर कटान रोकने का प्रयास कर रहा है, लेकिन बाढ़ बचाव का कार्य बेहद सुस्त है. मनरेगा से बांध मरम्मत कार्य स्वीकृत हुआ है, लेकिन कार्य सिर्फ सरकारी अभिलेखों में ही दिख रहा है. धरातल पर फ्लड फाइटिंग का निशान भी नहीं है.

आपको बता दें कि सदर तहसील का ग्राम सलामतगढ़/जगपुर रोहिन नदी के तट पर बसा है. यहां रोहिन नदी के तट से सटे करीब दस गांव हैं. बरसात के दिनों नेपाल के पहाड़ों पर बारिश होने के बाद रोहिन जब उफनाती है, तो सबसे पहले जगपुर उर्फ सलामतगढ़ और इससे सटे कई गांवों को अपने चपेट में ले लेती है. तटबंध के कटान से गांव में बाढ़ आ जाती है और ग्रामीणों का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. ग्रामीणों को राशन से लेकर उनके मवेशियों के रहने खाने तक के लाले पड़ जाते हैं.

इस साल मॉनसून आने से पहले प्रशासन रोहिन के इस मोड़ पर बम्बूक्रेट का काम तेजी से कर रही है, जिससे नदी का यह मोड़ मजबूत हो जाएगा और नदी यहां कटान नहीं कर पाएगी.

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रिपोर्ट्स के अनुसार, गांव के युवाओं ने मनरेगा योजना की वेबसाइट पर देखा कि उनके गांव में बड़ी संख्या पर कटाव को रोकने का काम चल रहा है, यह काम ग्राम पंचायत व सिंचाई विभाग मिलकर कर रहे हैं. वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, सिंचाई विभाग की साइड पर करीब चार सौ (400) श्रमिक प्रतिदिन काम कर रहे हैं और यही आंकड़े देख ग्रामीणों में आपाधापी मची हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि मौके पर सात दिन तक मॉनिटरिंग की गई, इस दौरान कोई भी मजदूर साइट पर नहीं दिखा.

गांव की तरफ बांध नहीं, ‘दहशत’ में ग्रामीण

जगपुर गांव के लोगों का कहना है कि रोहिन नदी में गांव की तरफ बांध ही नहीं है. इससे जैसे-जैसे मॉनसून आ रहा है, वैसे-वैसे बाढ़ के खौफ की आशंका बढ़ती जा रही है. ग्रामीणों के मुताबिक, बम्बूक्रेट लगाकर नदी के कटान को रोकने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन वह निरर्थक है क्योंकि कई वर्षों से बम्बूक्रेट से नदी कटान रोका जा रहा है, बावजूद इसके यह गांव हर वर्ष बाढ़ का कहर झेलने को विवश है. 330 मीटर यह काम होना है, लेकिन अब तक सीमित दूरी तक ही कार्य हुआ है.

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मामले में सहायक अभियंता का कहना है कि शासन से जब मंजूरी मिलेगी तो कार्य कराया जाएगा.

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