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लखीमपुर खीरी: क्या थार ने लोगों को कुचला? गाड़ी से कूद भागने वाले शख्स ने सुनाई अपनी कहानी

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लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद इससे जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. कुछ वीडियो में आंदोलनकारियों के बीच से गाड़ियों का काफिला निकलता दिख रहा है, तो एक वीडियो ऐसा है, जिसमें काफिले की थार गाड़ी से कथित तौर पर लोगों को कुचलते हुए देखा जा सकता है. AAP सांसद संजय सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत तमाम अन्य नेताओं ने इस वायरल वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार से जवाब मांगा है.

इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप लगे हैं कि उनके काफिले ने किसानों को रौंदा. लोगों का सवाल है कि ऐसा वीडियो सामने आने के बाद भी मोदी सरकार के मंत्री के आरोपी बेटे को अरेस्ट क्यों नहीं किया जा रहा.

एक दूसरा वायरल वीडियो है जिसमें थार गाड़ी से एक शख्स को कूदकर भागते देखा जा सकता है. यूपी तक ने उस शख्स को खोजा और हमने उनसे जानना चाहा कि आखिर घटनास्थल पर हुआ क्या था. इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पढ़िए घटना की पूरी कहानी…

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कौन हैं थार गाड़ी से कूदकर भागने वाले शख्स?

थार से कूदकर भागने वाले शख्स का नाम सुमित जायसवाल है. जानिए उन्होंने हमारे सवालों पर क्या कहा.

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हमें पूरी घटना के बारे में बताइए, क्या देखा आपने?

‘बहुत ज्यादा भयानक मंजर था, जिस तरीके से वो लोग गाड़ियों पर हमला किए, मैं किसी तरह से बचकर भाग निकला. हमलोग कार्यक्रम स्थल पर थे. मुख्य अतिथि का आगमन हो रहा था. हम उनके स्वागत में जा रहे थे. तिकुनिया मोड़ के थोड़ा आगे रोड के दोनों किनारे लोग खड़े थे. लोगों ने लाठी-डंडे और पत्थर से हमला किया. ड्राइवर ने किनारे गाड़ी रोकने की कोशिश की. जब गाड़ी रुकी किनारे, तो लोगों ने ड्राइवर को खींच लिया और मारने लगे. सबके पास धारदार हथियार थे. ऐसा लगा कि लोग बड़ा कांड करने जा रहे थे. मेरे बचपन के मित्र शुभम मिश्रा को मार डाला. मैं किसी तरह जान बचाकर भागा और लखीमपुर खीरी पहुंचा.’

मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतना आक्रोश होगा. कोई विरोध कर रहा है, आंदोलन कर रहा है, तो ऐसा हो जाएगा, इसकी जानकारी हमें नहीं थी. हम भी राजनीति में रहे हैं. मैं सभासद हूं, बहुत धरना प्रदर्शन किया है. ऐसे में इन चीजों से निकलना बड़ी चीज नहीं थी. लेकिन इन लोगों ने इतनी बुरी तरीके से मारा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा कि ये किसान थे या क्या थे, ये किसान तो बिल्कुल नहीं थे.

सुमित जायसवाल

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कितनी गाडियां थीं? कैसे लोग गाड़ी के सामने आए? कैसे एक्सीडेंट हुआ? कैसे लोग रौंदे गए?

‘थार गाड़ी में हम थे, उसके पीछे फॉर्च्युनर थी, पीछे कुछ और गाड़ियां रही होंगी. जब पथराव होने लगा, लाठी डंडे चलाने लगे, तो शायद ड्राइवर के सिर और आंख पर लगा, तो गाड़ी थोड़ी सी अनियंत्रित हुई. किसी तरीके से गाड़ी को साइड में लगाया और गाड़ी खड़ी करते ही ड्राइवर को खींच लिया. जिस तरीके से लोग मारो-मारो का नारा लगा रहे थे, गालियां दे रहे थे गंदी-गंदी, उससे लग रहा था कि कहीं न कहीं उनकी तैयारी थी कि कुछ करना है.’

क्या आपने देखा कि लोग गाड़ी से लड़ रहे थे-भिड़ रहे थे, गाड़ी की बोनट पर आ गए थे?

इतनी अफरातफरी का माहौल था, चारों तरफ से लोग गा़ड़ी को घेरकर पकड़ रहे थे, तो उसमें गाड़ी से टकराए हैं या गाड़ी के पास ही सब रोड पर ही खड़े थे (पता नहीं) वो इतनी चौड़ी रोड नहीं थी, वो गांव की रोड है, लोग गाड़ी पर चढ़ने की लगातार कोशिश कर रहे थे.

सुमित जायसवाल

गाड़ी में कौन-कौन था? क्या केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा भी गाड़ी में थे?

गाड़ी में मैं था. ड्राइवर हरिओम था. मेरा मित्र शुभम मिश्रा था. एक और काले-सांवले रंग का लड़का था. मोनू दादा (आशीष मिश्रा) कार्यक्रम स्थल पर थे. हम रिसीव करने जा रहे थे. मैंने आसमानी-नीले रंग का कुर्ता पहन रखा था. कार्यक्रम चल रहा था दंगल का, तो उनका (आशीष मिश्रा) रहना जरूरी था. मैं निकल कर गया था. हम लोग स्वागत के लिए जा रहे थे. किसी को अंदाजा नहीं था कि ये (भीड़) इतनी क्रूरता पर उतर जाएंगे कि हम लोग अपनों की जान वहां खो देंगे.

सुमित जायसवाल

‘मैं बस भाग रहा था. आगे जाकर एक कार दिखी, वो लोग शायद मुझे जानते थे, उन्होंने मुझे बिठा लिया, मेरा पीछा किया गया. मेरा मित्र शुभम खत्म हो गया, उसकी छोटी बच्ची थी. यह भूलने लायक मंजर नहीं है. उस माहौल से कैसे मैं निकल कर आया हूं, मैं बचकर जीवित खड़ा हूं, यह बड़ी बात है.’

आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी कांड में अभी बवाल खत्म नहीं हुआ है. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. उनपर किसानों को रौंदने और फायरिंग कर जान लेने के आरोप हैं. हालांकि केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे, दोनों ने ही आरोपों का खंडन किया है. उनका दावा है कि घटनास्थल पर आशीष मिश्रा थे ही नहीं और इसके तमाम सबूत वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के रूप में मौजूद हैं.

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