अमेठी: दलित छात्राओं से भेदभाव के आरोप, ‘मिड डे मील के समय अलग लाइन में बिठाती हैं टीचर’

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उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी के सरकारी स्कूल में जाति-भेदभाव का मामला सामने आया है. स्कूल की प्रधानाध्यापिका के ऊपर दलित छात्राओं को मारने-पीटने के साथ-साथ उन्हें मिड डे मील के दौरान अलग बैठाने का आरोप लगा है. मामले की जांच के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है. इसके अलावा, आरोपी प्रधानाध्यापिका के खिलाफ बच्चों के परिजनों और ग्राम प्रधान ने संग्रामपुर थाने में मुकदमा भी दर्ज कर दिया है.

दरअसल अमेठी जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के बनपुरवा प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वालीं दलित छात्राओं ने अपने परिजनों को घर आकर बताया था कि उनकी प्रधानाध्यापिका कुसुम सोनी स्कूल देर से आती हैं और पढ़ाने के नाम पर उन्हें मारती हैं. छात्राओं ने ये भी आरोप लगाया था कि उनकी प्रधानाध्यापिका उनको मिड डे मील के समय अलग लाइन में बैठाती हैं, क्योंकि वो दलित जाति की हैं.

एक छात्रा के परिजन जगन नारायण ने बताया, “हमारे बच्चे जब भी स्कूल जाते हैं उनको खाने के समय अलग बैठाया जाता है, उनकी पिटाई भी होती है. वजह यह है कि हम लोग छोटी जाति के आदमी हैं.”

एक अन्य छात्रा के परिजन शिव नारायण बताते हैं, “मास्टर मैडम जो हैं वह बच्चों को बहुत मारती हैं. खुद लेट से आती हैं, जब खाना बनता है तो दलित बच्चों की अलग लाइन लगती हैं.”

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मामले में ग्राम प्रधान विनय कुमार जायसवाल बताया कि अभिभावक और बच्चे उनके पास पढ़ाई-लिखाई और खाने-पीने की समस्या लेकर आए थे. उन्होंने बताया कि इसके बाद वह स्कूल में प्रधानाध्यापिका कुसुम सोनी से मुलाकात करने गए लेकिन वह मौके पर नहीं मिलीं.

बीएसए ने की थी गांव में जाकर पड़ताल

“ग्राम प्रधान द्वारा ट्विटर और फेसबुक पर यह वायरल किया गया कि बनपुरवा प्राथमिक पाठशाला में प्रधानाध्यापिका की ओर से बच्चों के साथ मिड डे मील देने के समय भेदभाव किया जाता है. इस प्रकरण की जांच करने के लिए मैं गांव गया. गांव के लोगों और अध्यापकों से बात करने पर पता चला कि इस तरह का सामाजिक और जातिगत भेदभाव किया जाता है. प्रधानाध्यापिका को निलंबित करते हुए मामले में केस दर्ज कराया गया है.”

अरविंद पाठक, बीएसए

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अपने ऊपर लगे आरोपों के पर प्रधानाध्यापिका ने क्या कहा?

प्रधानाध्यापिका कुसुम सोनी पर लगे इन आरोपों के जवाब में उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दलित बच्चों के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया है और इसके गवाह बच्चे बन सकते हैं. उन्होंने आगे कहा, “हमारे ऊपर आरोप लगाया गया है कि मिड डे मील के दौरान हम बच्चों को अलग-अलग बैठाकर खाना खिलाते हैं ये सरासर गलत है.”

इस मामले की उत्पत्ति कैसे हुई, इस पर प्रधानाध्यापिका ने कहा, “मामला सिर्फ और सिर्फ इतना था कि एक दिन तबियत खराब होने और फल लेने की वजह से हम स्कूल लेट पहुंचे थे. उस दौरान हमारा स्कूल खुला था, रसोइया साफ-सफाई कर रही थी. इस दौरान पवन दुबे नामक शख्स ने रसोइया और बच्चों को बाहर निकाल दिया और ताला लगाकर यह झूठी अफवाह फैलाई कि स्कूल बंद है.”

पवन दुबे के बारे में पूछे जाने पर प्रधानाध्यापिका ने बताया, “पवन दुबे अपने आप को हमारे यहां आकर प्रधान बताते हैं तो कभी प्रधान प्रतिनिधि बताते हैं. जबकि हमारे यहां प्रधान विनय कुमार जायसवाल हैं.”

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