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मुरादाबाद में बाढ़ का कहर, 67 गांवों में भरा पानी, आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने शुरू की 'बोट एम्बुलेंस'

जगत गौतम

मुरादाबाद में बाढ़ के बढ़ते संकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने बोट एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जिससे 67 बाढ़ प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा सकें. रामगंगा नदी ने 15 साल का जलस्तर रिकॉर्ड तोड़ दिया है. प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं.

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Moradabad Boat Ambulance: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी अब सिर्फ खेतों और सड़कों तक सीमित नहीं रहा. यह अब लोगों की दिनचर्या, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी गहराता संकट बन चुका है. गांवों का संपर्क टूट चुका है और कई इलाकों में मदद पहुंचाना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. ऐसे में इस गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने बोट एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की है. बता दें कि बाढ़ संभावित और प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त बनाए रखने के उद्देश्य से शुरू की गई इस सेवा को दसवां घाट से एडीएम वित्त एवं राजस्व ममता मालवीय ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है. 

बोट एंबुलेंस में मिलेंगी ये सुविधाएं

बाढ़ प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के लिए प्रशासन द्वारा शुरू की गई बोट एंबुलेंस में सभी जरूरी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. इस एंबुलेंस में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है जो आपात स्थितियों में तुरंत इलाज उपलब्ध कराएंगे. इसके अलावा इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर और जीवन रक्षक दवाओं का भी समुचित इंतजाम किया गया है.

आपको बता दें कि यह सेवा 24 घंटे सक्रिय रहेगी और विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए इसे पूरी तरह तैयार किया गया है. साथ ही, डायरिया, वायरल बुखार जैसी आम लेकिन गंभीर बीमारियों के त्वरित उपचार की सुविधा भी इसमें मौजूद रहेगी. इसके अलावा बुजुर्गों और बच्चों के इलाज के लिए भी प्राथमिक चिकित्सा सहायता इस एंबुलेंस के माध्यम से पहुंचाई जाएगी. एडीएम वित्त एवं राजस्व ममता मालवीय ने जानकारी दी कि यह सेवा कंट्रोल रूम या अन्य माध्यमों से जैसे ही सूचना प्राप्त होगी, तुरंत प्रभावित स्थान पर राहत पहुंचाएगी. इसके साथ ही बाढ़ग्रस्त इलाकों में जरूरी दवाओं का वितरण भी इसी सेवा के तहत किया जाएगा. 

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बाढ़ की चपेट में आए  67 गांव 

मुरादाबाद जिले में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है. जिले के कुल 67 गांव इस समय बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें से 62 गांव कृषि क्षेत्र से और 5 गांव रिहायशी आबादी वाले हैं. सबसे बड़ी चिंता का विषय रामगंगा नदी का जलस्तर है जो खतरे के निशान को पार कर 191.46 मीटर तक पहुंच गया है. यह जलस्तर पिछले 15 सालों में सबसे ऊंचा है, जबकि नदी का खतरे का निशान 190.60 मीटर तय किया गया है. इससे पहले ऐसी स्थिति साल 2010 में देखी गई थी.

रामगंगा के साथ-साथ जिले की गागन नदी भी उफान पर है जिसकी वजह से कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं. ठाकुरद्वारा, मूंढापांडे, कटघर, भोजपुर, सिविल लाइंस और मुगलपुरा थाना क्षेत्रों में गली-गली पानी भर चुका है जिससे लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो रही है. हालात को देखते हुए प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और राहत कार्यों को तेज किया गया है.

प्रशासन ने की ये तैयारियां

बता दें कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रशासन ने राशन किट, भोजन और अन्य मूलभूत सुविधाओं की आपूर्ति शुरू कर दी है. साथ ही, जलस्तर की लगातार निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति में समय रहते राहत कार्य किए जा सकें. 

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