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50 हजार से 1 लाख मामलों में होता है ऐसा... छाती और पेट से जुड़े थे बच्चे, मेरठ में डॉक्टरों ने कर दिखाया असंभव काम

उस्मान चौधरी

Meerut conjoined twins: मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में एक दुर्लभ चिकित्सा उपलब्धि हासिल हुई है. डॉक्टरों ने 'संयुक्त जुड़वां' शिशुओं का सफल प्रसव कराया, जो एक लाख मामलों में से एक में होता है. जानें क्या है यह स्थिति और कैसे हुआ सफल ऑपरेशन.

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Meerut conjoined twins
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Meerut conjoined twins:पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाने-माने लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज ने एक बड़ा चिकित्सा चमत्कार किया है. यहां डॉक्टरों ने एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति वाले 'संयुक्त जुड़वां' (Conjoined Twins) शिशुओं का सफल प्रसव कराया है, जो लगभग 50 हजार से 1 लाख मामलों में से किसी एक में होता है. 

बागपत की 24 वर्षीय गर्भवती महिला को समय से पहले प्रसव पीड़ा के चलते मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था. स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की आचार्या डॉ. रचना चौधरी की देखरेख में महिला का इलाज शुरू हुआ. अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान, रेडियोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. यास्मीन उस्मानी ने पाया कि गर्भ में पल रहे शिशु संयुक्त जुड़वां हैं. दोनों बच्चों की छाती और पेट आपस में जुड़े हुए थे और वे लिवर और दिल जैसे कुछ आंतरिक अंग साझा कर रहे थे. 

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, 4 अगस्त को डॉ. रचना चौधरी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन किया. इस ऑपरेशन में 2 किलोग्राम के संयुक्त भार वाले दो शिशुओं का जन्म हुआ. जन्म के तुरंत बाद, नवजात शिशुओं को नवजात शिशु विभाग में डॉ. अनुपमा वर्मा की निगरानी में रखा गया है, जहां उनकी गहन देखभाल की जा रही है. 

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क्या होते हैं संयुक्त जुड़वां?

संयुक्त जुड़वां ऐसे शिशु होते हैं जो शारीरिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए पैदा होते हैं. यह तब होता है जब गर्भावस्था के शुरुआती चरण में भ्रूण का विभाजन पूरी तरह से नहीं हो पाता. थोराको-ओंफालोफेगस जैसा कि इस मामले में था, सबसे आम प्रकार है जिसमें शिशु छाती और पेट से जुड़े होते हैं. ऐसे मामलों में अगर संभव हो तो सर्जरी के जरिए उन्हें अलग किया जा सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कौन से अंग साझा कर रहे हैं. 

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर सी गुप्ता ने इस दुर्लभ प्रसव को सफलतापूर्वक कराने के लिए स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है और इसे चिकित्सा विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है. 

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