बच्चे की चोट पर डॉक्टरों ने फेवीक्विक लगाया? मेरठ के जिस अस्पताल में हुआ इलाज उसके संचालक ने कही अब ये बात
मेरठ के भाग्यश्री अस्पताल में ढाई साल के मासूम की आंख के पास लगी चोट का इलाज टांके की बजाय फेवीक्विक से करने के आरोप पर अस्पताल संचालक पंकज त्यागी ने इसे निराधार बताया. स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है.
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उत्तर प्रदेश के मेरठ से कुछ दिन पहले एक ऐसा मेडिकल मामला सामने आया था जिसने लोगों को हैरान कर दिया. खबर थी कि ढाई साल के मासूम की आंख के पास लगी चोट का इलाज मेरठ के निजी अस्पताल भाग्यश्री में डॉक्टरों ने टांके लगाने के बजाय फेवीक्विक लगा के किया. इस मामले को लेकर बच्चे के परिजन काफी गुस्से में हैं और इसे गंभीर लापरवाही मान रहे हैं. वहीं अब अस्पताल संचालक पंकज त्यागी का बयान सामने आया है. पंकज ने मामले में लगे आरोपों को निराधार बताया है, जबकि स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है.
अस्पताल संचालक ने कही ये बात
भाग्यश्री अस्पताल के संचालक पंकज त्यागी ने बताया कि उन्हें यह मामला मीडिया के माध्यम से पता चला. उन्होंने कहा कि "परसों रात लगभग 8:30 बजे बच्चा अस्पताल आया था. उसकी आइब्रो पर छोटी सी चोट थी. उसके पिता बार-बार यही कह रहे थे कि हमें टांके नहीं लगवाने हैं. हमने मेडिकेटेड मेडिसिन से प्रॉपर तरीके से इलाज किया और 10 मिनट में बच्चे को घर भेज दिया. हमने किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया क्योंकि रात में आने वाले एक्सीडेंट केस में टांके लगाने पर शुल्क नहीं लिया जाता है."
उन्होंने फेवीक्विक लगाने के आरोप को भी खारिज करते हुए कहा कि "मैं 40 साल से मेडिकल लाइन में हूं, यह आरोप पूरी तरह निराधार हैं. बच्चा छोटा है, उसके दर्द की वजह कुछ और हो सकती है. चोट बहुत बड़ी नहीं थी. उन्होंने बाद में कहीं और इलाज कराया, हमें इसके बारे में कोई शिकायत नहीं मिली." पंकज त्यागी ने आगे कहा कि "हम पूरी जांच कर रहे हैं. अगर हमारे यहां कोई गलती हुई है तो उसका पता लगेगा. स्टाफ मौजूद था और हम पूरी तरह जांच में सहयोग करेंगे."
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स्वास्थ्य विभाग की जांच
मेरठ के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) डॉक्टर अशोक कटारिया ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है. उन्होंने कहा कि कमेटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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