गुरु के शरीर में प्राण लाने के लिए शिष्या ने ली समाधि...डीप फ्रीजर में रखा शरीर, अब डॉक्टरों ने कही हैरान कर देने वाली बात

आशीष श्रीवास्तव

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Uttar Pradesh News : राजधानी लखनऊ के आनंद आश्रम की साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी को समाधि में गए 35 दिन से ज्यादा हो गए हैं. उन्होंने 28 जनवरी 2024 को अपने गुरु दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को उनके शरीर में वापस लाने के लिए समाधि लेने की बात कहकर समाधि ले ली थी. वहीं समाधि लेने के एक महीने बाद  न तो आशुतोष महाराज समाधि से लौटे और न ही उनकी शिष्या. 

साध्वी आशुतोषाम्वरी ने समाधि में जाने से पहले अपने शिष्यों से एक वीडियो मैसेज में कहा था कि वह अपने गुरू को लेकर वापस आएंगी. आज लगभग 35 दिनों का समय बीत चुका है लेकिन साध्वी वापस नहीं आई. 

एक महीने पहले ली समाधि

बता दें दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक संत आशुतोष महाराज 28 जनवरी 2014 को समाधि में लीन हो गए थे. समाधि में जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों से कहा था कि वह इस शरीर में फिर से लौट कर वापस आएंगे. उनके इस आदेश का पालन करते हुए उनके भक्तों ने उनके शरीर को आज भी सुरक्षित रखा है. आशुतोष महाराज के शरीर को उनके शिष्यों ने पंजाब के जालंधर के नूर महल में सुरक्षित रखा हुआ है. शव को एक डीप फ्रीजर में रखा गया है. गुरु के समाधि में लीन होने के बाद बीते 28 जनवरी को पूरे दस साल बाद उनकी शिष्या साध्वी आशुतोषाम्वरी ने भी समाधि ले ली.

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डॉक्टर कह रहे ये बात

वहीं आश्रम में बिस्तर पर लेटीं साध्वी की मेडिकल जांच की गई. साध्वी आशुतोषांबरी की मेडिकल जांच करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि वे न तो सांस ले रही हैं और न ही उनका पल्स चल रहा है. उनके शरीर का कोई भी ऑर्गन फिलहाल काम नहीं कर रहा है. खुद डॉक्टर उन्हें क्लिनिकली डेड तो मानते हैं.  समाधि में गईं साध्वी की जांच करने वाले डॉक्टर जेपी सिंह ने उनकी सेहत को लेकर शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

राज परिवार से रखती हैं नाता


बता दें कि साध्वी आशुतोषांबरी बिहार के दरभंगा की रहे राज परिवार की रहने वाली हैं. जिनका नाता राजा परिवार से भी है लेकिन पिता दिल्ली में आ गए थे, जहां वह साधना और ध्यान में ही रहते थे. जानकारी के मुताबिक जब साध्वी का जन्म हुआ उस समय ऐसा प्रकाश हुआ कि लोगों को लगा की लाइट आ गई. इसके बाद से ही साध्वी साधना में बड़ी होती गई. इस दौरान दिव्या ज्योति संस्थान के महाराज आशुतोष के संपर्क में आई. उन्होंने मां आशुतोषांबरी के प्रचार प्रसार के लिए उनको आगे आने को कहा. इसके बाद वह पहले तिहाड़ जेल में कैदियों को जागरूक करती थीं और वहीं पर साधना, प्रचार- प्रसार करती थीं. जेल में सत्संग सुधारक के रूप में कार्य कर रही थी.

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पांच वर्ष पहले शुरू किया था आश्राम

दिव्या ज्योति संस्थान के साधू महादेव महाराज के मुताबिक, 'साध्वी आशुतोषांबरी लखनऊ के आनंद आश्रम तकरीबन 5 वर्ष पूर्व यहां पर आई थी. उस दौरान कोविड के दौरान जिस बिल्डिंग में आश्रम चल रहा है उसमें एक स्कूल चल रहा था. कोविड की वजह से स्कूल बंद हो गया था जिसकी जमीन और मकान साध्वी को दान दे दी गई और वहीं पर उन्होंने आश्रम शुरू कर लिया. वह आश्रम में तकरीबन 40 से 50 अनुयाइयों के साथ रहा करती थी.' 

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