लखनऊ के शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष उड़ान से ठीक पहले Axiom-4 मिशन में लिक्विड ऑक्सीजन हुआ लीक, सबकुछ जानिए क्या हुआ

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लखनऊ के शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा एक बार फिर टली, SpaceX ने तकनीकी खामी की दी जानकारी

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Shubhanshu Shukla’s Axiom-4 mission delayed again
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भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलट और गगनयान मिशन के लिए चयनित पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान एक बार फिर टल गई है. 11 जून 2025 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होने जा रहे Axiom-4 मिशन को एक बार फिर स्थगित कर दिया गया है. इसकी वजह बनी लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) का लीक होना.

क्या हुआ लॉन्च से ठीक पहले?

SpaceX ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी देते हुए बताया, “Ax-4 मिशन के लिए कल के फाल्कन-9 लॉन्च से पीछे हट रहे हैं ताकि LOx लीक को ठीक करने के लिए अतिरिक्त समय मिल सके.” यह लीक उस समय पकड़ा गया जब बूस्टर स्टेज के पोस्ट-स्टैटिक फायर टेस्ट के दौरान इसकी जांच की गई.

इसी के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भी पुष्टि की कि फाल्कन-9 लॉन्च व्हीकल की तैयारियों के तहत सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया था, जिसमें प्रोपल्शन बे में लिक्विड ऑक्सीजन का रिसाव मिला. ISRO और Axiom तथा SpaceX के विशेषज्ञों के साथ बातचीत के बाद निर्णय लिया गया कि लीकेज को ठीक कर जरूरी वैलिडेशन टेस्ट किए जाएं. तभी मिशन को लॉन्च के लिए हरी झंडी मिलेगी.

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लगातार चौथी बार टला Axiom-4 मिशन

ये चौथी बार है जब Axiom-4 मिशन को टालना पड़ा है. इससे पहले खराब मौसम, तेज हवाएं और बारिश की 45 प्रतिशत संभावना के कारण मिशन को स्थगित किया गया था. इस बार तकनीकी खामी ने ऐन मौके पर इस अंतरराष्ट्रीय मिशन को रोक दिया.

भारत के लिए क्यों है Axiom-4 मिशन खास?

Axiom Space, NASA, SpaceX और ISRO की संयुक्त साझेदारी वाला Axiom-4 मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है. करीब 41 साल बाद भारत का कोई नागरिक अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाला है. 1984 में राकेश शर्मा के बाद अब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ISS की यात्रा करेंगे और विज्ञान, माइक्रोग्रैविटी, जीवन विज्ञान और मटेरियल साइंस से जुड़े कई प्रयोग करेंगे, जो 14 दिनों तक चलेंगे.

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को हुआ. शुरुआती पढ़ाई सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से की. सिर्फ 16 साल की उम्र में NDA में चयनित हुए और 2006 में भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में कमीशन मिला. वे एक अनुभवी परीक्षण पायलट हैं, जिन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे विमानों पर 2000 घंटे से ज्यादा उड़ान भर चुके हैं. वह ISRO के गगनयान मिशन के लिए चयनित चार भारतीयों में से एक हैं और Axiom-4 मिशन के जरिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नया अध्याय लिखने जा रहे हैं.

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