जानलेवा साबित हो रही UP Police की हिरासत, चिंताजनक हैं NHRC के ये आंकड़ें
यूपी सरकार में बढ़ते अपराधों के आरोपों के साथ ही अब प्रदेश की पुलिस पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है. यूपी पुलिस की…
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यूपी सरकार में बढ़ते अपराधों के आरोपों के साथ ही अब प्रदेश की पुलिस पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है. यूपी पुलिस की अभिरक्षा में हो रही सबसे ज्यादा मौतें सरकार के लिए विपक्ष और आंकड़ों के लिहाज से एक बड़ी चुनौती बनती नजर आती है. हाल ही के दिनों में हुई लगातार घटनाओं में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है.
चंदौली में दबिश देने गई पुलिस अभिरक्षा में मौत से लेकर के फिरोजाबाद का मामला और अलीगढ़ में पुलिस अभिरक्षा में व्यक्ति की मौत से लेकर ललितपुर में पीड़ित लड़की के साथ रेप के आरोप में सीधे तौर पर यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा किया है. जहां सरकार प्रदेश में कानून का राज और बुलडोजर चलाने का दावा करती है तो वहीं पुलिस अभिरक्षा की मौतें सरकार के आगे सबसे बड़ी चुनौती हैं.
वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कमीशन (NHRC) का डाटा पेश किया, जिसमें बताया गया है कि एक साल में कितने लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. NHRC की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021-22 (फरवरी तक) के बीच न्यायिक हिरासत में 2,152 लोगों की मौत हुई जबकि 155 लोगों की मौत पुलिस कस्टडी में हुई. इसका मतलब ये हुआ कि हिरासत में हर रोज 6 लोगों की मौत हो रही है.
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न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में यूपी सबसे आगे है, जहां 448 लोगों की न्यायिक हिरासत में मौत हुई है. वहीं महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 129 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है. नेशनल कैंपेन एगेंस्ट टॉर्चर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के आंकड़ों से तुलना की जाए तो 2019 में हर दिन 5 लोगों की मौत हिरासत में होती थी.
यूपी के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने UP TAK से बातचीत में कहा कि यूपी में संगठित अपराध खत्म हुआ है. मुकदमों की पैरवी सही से हो रही है, चाहे पुलिस हो या सामान्य व्यक्ति अपराध के खिलाफ सभी के साथ एक से कार्रवाई होती है. पाठक ने कहा कि हर जिले में जहां पुलिस कस्टडी में डेथ हुई या अपराध किया वहां पुलिसवालों को भी जेल भेजा गया है. जो कानून के तहत अपराधी पर वहीं पुलिस वालों पर भी लागू है. इसपर कोई भेदभाव नहीं है. सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो विपक्षी पुलिस विफलता और अपराध का दावा करते हैं उनकी सरकार में गुंडे खुले सड़क पर घूमा करते थे.
दूसरी तरफ सपा विधायक रविदास मल्होत्रा ने यूपी में पुलिस कस्टडी डेथ पर उठाए सवाल. विधानसभा में इस मामले पर सवाल दाखिल किया है. UP TAK से बात करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा पुलिस अभिरक्षा में मौतें उत्तर प्रदेश में होती है. ह्यूमन राइट कमीशन ने सरकार को कई बार नोटिस भेजे, पुलिस मुजरिम को पकड़ने जाती है और अभिरक्षा में मौत हो जाती है.
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एक सपा नेता ने आरोप लगाया कि पुलिस के अधिकारी-मंत्रियों और अपराधियों से सांठगांठ कर मनमर्जी काम कर रहे है. प्रदेश में किसी भी अपराधी या बलात्कारी पर बुलडोजर नहीं चला, केवल एक धर्म के लोगों पर कार्रवाई हो रही है और सपा सरकार में कभी फर्जी इनकाउंटर और कस्टोडियल डेथ नहीं हुई. यह सरकार झूठ बोलकर आरोप लगाती है. अपराधी मंत्रियों के संरक्षण में अपराध करते हैं. यूपी सरकार के डिप्टी सीएम की गाड़ी में अपराधी खुलेआम घूमता है.
वहीं इन मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल ने कहा कि पुलिस कस्टडी में हो रही मौतें सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. यूपी में पुलिस रिफॉर्म शुरू हो और पुलिस के काम करने की तरीके पर बदलाव होना जरूरी है. पुलिस अधिकारियों का निरंकुश व्यवहार कानून व्यवस्था को बनाए रखने के नाम पर खुले तौर पर काम करना सरकार पर बेलगाम होने का आरोप लगा रही है.
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