लखनऊ यूनिवर्सिटी में बवाल, रोहित वेमुला की बरसी मनाने को लेकर दो छात्र गुटों में भिड़ंत

आशीष श्रीवास्तव

लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्र संगठन आपस में आमने-सामने झड़प हो गई, जिसके बाद जमकर बवाल हुआ और नारेबाजी की गई. हालांकि पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन…

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लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्र संगठन आपस में आमने-सामने झड़प हो गई, जिसके बाद जमकर बवाल हुआ और नारेबाजी की गई. हालांकि पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा बीच बचाव करके दोनों गुटों को अलग कर दिया. जानकारी के मुताबिक लखनऊ यूनिवर्सिटी में आइसा और अन्य दल रोहित वेमुला के पुण्यतिथि पर आइसा एक संवाद का कार्यक्रम का आयोजन किया था. कार्यक्रम का पोस्टर भी जारी किया गया था. संवाद कार्यक्रम का विषय यूनिवर्सिटी में भेदभाव और जाति पात था.

हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन के मुताबिक इस आयोजन की अनुमति नहीं थी. इसके बावजूद यूनिवर्सिटी में पर्चे बांटे गए और पोस्टर और मार्च किया जा रहा था. इस दौरान अन्य दल एबीवीपी भी पहुंच गया और ऐसे आयोजन रोकने का प्रयास किया.

वहीं कार्यक्रम के दौरान दोनों गुटों के बीच जमकर बवाल शुरु हो गया. आरोप है की इस दौरान पोस्टर को ट्वीट किया गया और छात्रा ओ को पर्चे भी बांटे जा रहे थे. प्रोफेसर रविकांत को इस प्रोग्राम के संचालन के लिए कहा गया था, जिन्होंने काशी पर विवादित बयान दिया था.एबीवीपी के छात्र अमन के कहा कि यह छात्रों का प्रांगण है और यहां पर सब एक जैसे हैं. छात्र ने आरोप लगाया कि रोहित वेमुला को भगत सिंह और अन्य लोगों की तुलना में रखा जा रहा था. यह गलत है, उसके पोस्टर छपवा कर यहां पर संवाद किया जा रहा था. जाति-पाति पर और धर्म पर संवाद कॉलेज में नहीं होना चाहिए. ऐसे में उनको रोके जाने की बात हो रही थी और उनके पास कार्यक्रम का परमिशन भी नहीं था.

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वहीं क्रार्यक्रम को लेकर एनएसयूआई के विंग से जुड़े अंशुल भारतीय ने कहा कि उन्होंने कॉलेज प्रशासन से परमिशन ली थी. उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन जब हम मार्च निकाल रहे थे, इस दौरान एबीवीपी के छात्रों ने बोतल फेंकी और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया. रोहित वेमुला को श्रद्धांजलि हम लोग अर्पित करना चाह रहे थे. इसमें गलत क्या है? कुछ लोग भगत सिंह को याद करते हैं, कुछ लोग गांधीजी की करते हैं तो हम भी उनको याद करना चाह रहे थे. यह हमारा संविधानिक अधिकार है.

यूनिवर्सिटी के प्रोक्टर प्रोफेसर द्रिवेदी के मुताबिक मार्च और संवाद की परमिशन नहीं दी गई थी. इसके बावजूद भी यह प्रोग्राम किया जा रहा था. रोहित वेमुला की श्रद्धांजलि देकर संवाद का आयोजन करना चाह रहे थे. जिसकी कोई परमिशन नहीं थी और बिना परमिशन विश्वविद्यालय में कुछ नहीं हो सकता है. इसे लेकर छात्रों के दो गुट आपस में भीड़ गए. हालांकि सभी को समझा कर अलग कर दिया गया है और अब किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है.

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