बेहमई कांड पर आया फैसला तो फूलन देवी के हत्यारे शेर सिंह राणा ने एक अलग ही कहानी सुना दी
साल 1981 में उत्तर प्रदेश को हिला देने वाला बेहमई कांड एक बार फिर चर्चाओं में हैं. दरअसल बेहमई कांड को डकैत से सांसद बनी फूलन देवी ने अपने डकैटी के दिनों में अंजाम दिया था. अब इस केस में कोर्ट का फैसला आया है, जिसपर शेर सिंह राणा का भी बयान सामने आया है.
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UP News: साल 1981 में उत्तर प्रदेश को हिला देने वाला बेहमई कांड एक बार फिर चर्चाओं में हैं. दरअसल बेहमई कांड को डकैत से सांसद बनी फूलन देवी ने अपने डकैटी के दिनों में अंजाम दिया था. फूलन देवी के गैंग ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में एक साथ 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियां मार दी थी. इस मामले में फूलन देवी समेत 36 लोगों को आरोपी बनाया गया था. बता दें कि अब इस केस में फैसला आ गया है. करीब 43 साल बाद आए इस फैसले में कोर्ट ने आरोपी श्याम बाबू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है तो वहीं दूसरे आरोपी को छोड़ दिया है. बता दें कि इस केस से जुड़े ज्यादातर लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं.
अब इस फैसले को लेकर फूलन देवी की हत्या करने वाले शेर सिंह राणा का बयान सामने आया है. शेर सिंह राणा का कहना है कि कोर्ट का फैसला 43 साल बाद तो आया है. मगर अभी भी न्याय नहीं हुआ है. शेर सिंह राणा ने सरकार से ये भी मांग की है कि सरकार जांच करवाए कि आखिर इस केस का फैसला इतने सालों बाद क्यों आया?
फूलन देवी ने कागज करवा दिए थे गायब- शेर सिंह राणा
फूलन देवी की हत्या करने वाले शेर सिंह राणा का कहना है कि जब फूलन देवी को सांसद बनाया गया था, तब उन्होंने बेहमई कांड से जुड़े कई अहम कागज कोर्ट से ही गायब करवा दिए थे. इसी वजह से इस केस का फैसला आने में इतने साल लग गए. शेर सिंह राणा ने सरकार से ये भी मांग कि है कि वह इस कांड में मारे गए 20 लोगों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये की सहायता करें.
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क्या कहा शेर सिंह राणा ने?
शेर सिंह राणा ने कहा कि इस कांड में मरने वालों के साथ अगर देश की जनता, भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार न्याय करना चाहती है तो राम अवतार, तुलसीराम, नजीर खान के साथ मरने वाले 17 राजपूतों के परिवार के साथ सरकार सभी मरने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की सहायता दें.
शेर सिंह राणा ने इस दौरान ये भी कहा, इस कांड को लेकर कुछ लोग कहते हैं कि मरने वाले डाकू थे. मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर मरने वाले डाकू थे और ये गोलीबारी 2 गैंग के बीच हुई थी तो ऐसा कैसे हो गया कि एक ही गैंग के सभी लोग मारे गए और दूसरे गैंग को खरोच तक नहीं आई?
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क्या था बेहमई कांड?
दरअसल 14 फरवरी 1981 के दिन डैकट रही फूलन देवी ने अपने गैंग के साथ कानपुर देहात जिले के बेहमई गांव में दिन दहाड़े 20 लोगो को लाइन में खड़ाकर गोली मार कर सभी की हत्या कर दी थी. इस दौरान 6 लोग गोली लगने से घायल भी हुए थे.
इस केस में फूलन देवी समेत 36 लोगो को आरोपी बनाया गया था. उसी मामले में 43 साल बाद कानपुर देहात की माती कोर्ट की एंटी डकैती कोर्ट ने एक आरोपी श्याम बाबू को अजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए उस पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है. इसी के साथ अन्य आरोपी विश्वनाथ को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था.
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शेर सिंह राणा के बारे में भी जान लीजिए
शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था. शेर सिंह राणा ने 25 जुलाई 2001 को सांसद रही फूलन देवी की दिल्ली स्तिथ सरकारी आवास में ही गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना को अंजाम देने के 2 दिन बाद शेर सिंह राणा ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.
इस दौरान शेर सिंह राणा ने कहा था कि उन्होंने फूलन की हत्या कर बेहमई गांव में मारे गए ठाकुरों की हत्या का बदला लिया है. 17 फरवरी 2004 के दिन शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल से फरार हो गया था. मगर 2006 में उसे फिर से अरेस्ट कर लिया गया था. साल 2016 में शेर सिंह राणा को जमानत भी मिल गई. साल 2019 में शेर सिंह राणा ने अपनी पार्टी राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी का गठन किया था.
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