लेटेस्ट न्यूज़

कानपुर की गल्ला मंडी में चूहों की कहानी है निराली, बिल्ली भी हार मान गईं हार, कायम है आतंक!

यूपी तक

Kanpur News: वैसे तो दुनिया में यही माना जाता है बिल्लियों को देखकर चूहे दुम दबा कर भाग जाते हैं, लेकिन कानपुर की कलेक्टर गंज…

ADVERTISEMENT

UP Tak
social share
google news

Kanpur News: वैसे तो दुनिया में यही माना जाता है बिल्लियों को देखकर चूहे दुम दबा कर भाग जाते हैं, लेकिन कानपुर की कलेक्टर गंज गल्ला मंडी में यह कहावत उल्टी नजर आ रही है. इस गल्ला मंडी को कभी एशिया में सबसे बड़ा माना जाता था. यहां से गेहूं, चावल, दाल जैसे अनाजों का थोक कारोबार होता है. इस वजह से यहां पर चूहों का ऐसा ‘साम्राज्य’ स्थापित है कि बिल्लियां भी उनसे हार गईं.

दरअसल, चूहों की वजह से यहां के अनाज दुकानदारों का लाखों का नुकसान होता है. चूहों ने इनकी दुकानों में जमीन खोद खोद कर गहरी सुरंगे बना ली हैं. वे उसी में छुप जाते हैं और अनाजों के बोरे काट-काट कर सारा अनाज चट कर जाते हैं. ये चूहे इतने मोटे-मोटे हैं कि दोनों हाथ के पंजों में अगर इनको पकड़ा जाए तो नहीं आ सकते. ये इतने खतरनाक हैं ये आप पर कूदकर हमला कर सकते हैं.

चूहों से बिल्ली मानीं हार

दुकानदारों ने पहले इनको भगाने के लिए बड़ी-बड़ी बिल्लियां पाली थीं, लेकिन ये चूहे इतनी ज्यादा संख्या में हैं कि कई बिल्लियां भी इनको पकड़ने में हार मान गईं. क्योंकि बिल्लियों को देखकर ये चूहे सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर दुकानों में बनी सुरंगों से निकल आते हैं और बिल्ली पर ही हमला कर देते हैं. ऐसे में अब बिल्लियों की जगह यहां के दुकानदारों ने चूहों को भगाने के लिए गार्ड रखने शुरू कर दिए हैं. ये गार्ड भी सिर्फ इतना काम कर पाते हैं कि जब चूहे बोरा काटते हैं तो वे डंडा मार देते हैं.

यह भी पढ़ें...

फर्श काट के चूहों ने बनाई गहरी गहरी सुरंग

गल्ला मंडी के व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमेश गुप्ता का कहना है कि ‘हमने बिल्लियां रख लीं. गार्ड भी रख लिए, लेकिन चूहों से कोई निजात नहीं है. हम कई बार दवाइयां भी रख चुके हैं, लेकिन इतने चालाक हैं कि दवाइयों में मिली हुई कोई चीज ये खाते ही नहीं है. ये सूंघकर पता लगा लेते हैं.’

अंग्रेजों के समय बनी थी गल्ला मंडी

कलेक्टर गंज गल्ला मंडी अंग्रेजों के समय बनी थी. कानपुर से यहां गल्ला का व्यापार एक समय पूरे उत्तर भारत में किया जाता था. 20 साल पहले यहां से गल्ला मंडी को कानपुर के नौबस्ता में सरकार ने शिफ्ट कर किया. ज्यादातर यहां के व्यापारियों ने अपने बड़े-बड़े गोडाउन नौबस्ता गल्ला मंडी में बना लिए हैं. लेकिन उनकी गद्दी यहीं है, जहां बाहर से व्यापारी आकर व्यापार करते हैं. कानपुर शहर का खुद का व्यापार भी इसी मंडी से होता है.

दुकानकारों ने दिया ये तर्क

इस मामले में कुछ दुकानदारों का तो यहां तक कहना है कलेक्टर गंज गल्ला मंडी से 200 मीटर की दूरी पर शहर का सबसे बड़ा गणेश मंदिर (सिद्धिविनायक मंदिर) बना है. फुटकर गल्ला दुकानदार रवि गुप्ता का कहना है कि भगवान गणेश का मंदिर पास होने की वजह से हम लोग चूहों से ज्यादा हिंसा नहीं करते. इस वजह से चूहे हमारी मजबूरी का फायदा उठाते हैं.

    follow whatsapp