कानपुर की रिचा सचान गाजियाबाद में दारोगा थीं, रात 2 बजे ड्यूटी खत्म कर बुलेट से निकलीं फिर उनके साथ दर्दनाक कांड हुआ
UP News: कानपुर की रिचा सचान गाजियाबाद में दोरागा थीं. यहां उनके साथ वो हुआ, जिससे हर कोई सकते में आ गया. महज 25 साल की उम्र में रिचा की मौत हो गई.
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UP News: कानपुर की रहने वाली रिचा सचान का सपना हमेशा से ही पुलिस में भर्ती होने का था. वह पुलिस अधिकारी बनना चाहती थीं. उनका ये सपना पूरा भी हुआ और महज 25 साल की उम्र में वह दारोगा बनकर गाजियाबाद के कविनगर थाना क्षेत्र स्थित नगर चौकी में तैनात भी हो गईं. मगर अब उनके साथ वो हुआ, जिसका दुख हमेशा रिचा सचान के परिवार को रहेगा.
महिला दारोगा रिचा सचान के साथ क्या हुआ?
कानपुर की रहने वाली रिचा सचान गाजियाबाद में तैनात थीं. सोमवार की रात करीब 2 बजे उनकी ड्यूटी पूरी हुई. ड्यूटी पूरी होने के बाद वह अपनी बुलेट बाइक से अपने घर की तरफ जाने के लिए निकली. उन्होंने बुलेट ले रही थीं. बुलेट उन्हें पसंद भी थी. वह अक्सर ड्यूटी पर इसी से आती-जाती थीं.
मगर उन्हें क्या पता था कि उनका ये सफर, उनका आखिरी सफर होगा. मिली जानकारी के मुताबिक, शास्त्री नगर के पास जब वह अपनी बुलेट बाइक से जा रही थीं, तभी उनके रास्ते में अचानक एक कुत्ता आ गया.
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उन्होंने कुत्ते को बचाने की कोशिश की. इस दौरान पास से गुजर रही कार से उनकी जोरदार टक्कर हो गईं. टक्कर होते ही रिचा रोड पर ही गिर पड़ीं और उनके सिर पर गंभीर चोट आईं.
हेलमेट से भी नहीं बची जान
आस-पास के लोग फौरन महिला दारोगा को पास के अस्पताल ले गए. डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की. मगर इलाज के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया. हैरानी की बात ये भी है कि रिचा ने हेलमेट पहन हुआ था. मगर इसके बाद भी उनके सिर पर गंभीर चोट आईं, जो उनकी मौत का कारण बनी.
रिचा सचान की अभी शादी नहीं हुई थी. वह गाजियाबाद में अकेली ही रहतीं थी. जैसे ही हादसे की जानकारी पुलिस अधिकारियों को मिली, हड़कंप मच गया. मौके पर एएसपी भास्कर वर्मा भी पहुंचे. रिचा के परिजनों को घटना की सूचना दी गई. फिलहाल उनके शव को
पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. इस हादसे से गाजियाबाद पुलिस विभाग में शौक की लहर है. साथी पुलिसकर्मी भी रिचा के साथ हुए हादसे से सकते में हैं.
इस हादसे से रिचा के परिवार में कोहराम मचा हुआ है. महज 25 साल की उम्र में रिचा दारोगा के पद पर तैनात थीं. अभी उन्हें बहुत लंबा सफर तय करना था. मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.