कानपुर: 10 दिन में लगभग 130 लोगों ने गंवाई जान, अस्पतालों में ठंड से दिल के मरीज बढ़े

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कानपुर में सर्दी के चलते हार्ट अटैक से हो रही मौते चिंता का सबब बनी हुई है. एक जनवरी से नौ जनवरी तक 131 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई है. कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा ने बताया कि यह आकड़े चौकाने वाले हैं. पहले कभी इतनी मौतें नहीं देखी गईं.

उन्होंने कहा कि पोस्ट कोविड इफेक्ट और ठंड का डेडली कॉम्बिनेशन बन रही है. उन्होंने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए संस्थान अलर्ट मोड पर काम कर रहा है. वहीं यूपी सरकार की मदद की वजह से सभी रोगियों को निशुल्क इलाज मुहैया कराया जा रहा है.- उनका कहना है कि ठंड बढ़ रही है एसे में ब्लड प्रेशर के रोगी एहतियात बरतें.

बता दें कि हार्ट अटैक से मौतों का आंकड़ा केवल कानपुर हृदय रोग संस्थान (LPS Heart Disease Center) से ही सामने आ आ रहा है. ग्रामीण इलाकों और अन्य सीएचसी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों के आंकड़े इसमें शामिल नहीं है.

डॉक्टरों के मुताबिक सर्दियों में बीपी के मरीजों और बुजुर्ग लोगों को अधिक दिक्कतें हो रही हैं. ऐसे में कानपुर के हृदय रोग संस्थान ने एक कंट्रोल रूम शुरू किया और हेल्पलाइन नंबर जारी कर लोगों को मदद पहुंचाने का रास्ता बनाया है, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके.

विनय कृष्णा ने बताया कि बढ़ते मौत के आंकड़े देख सरकार की तरफ से दवाइयों के लिए बजट पास किया गया है. हां दवाइयों का स्टार्ट मंगवा कर स्टोर कर आ गया है और इमरजेंसी में कोई भी पेशंट आए तो उसे दवा मुफ्त में मिलेंगी. महंगी हो या सस्ती यह दवा सबके लिए निशुल्क सरकार द्वारा कही गई है.

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साथ ही सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट की संख्या बढ़ाई गई है जो ड्यूटी पर तैनात रहेंगे, संजय गांधी अस्पताल से छह डॉक्टरों कि ड्यूटी भैया लगाई गई है जो कंट्रोल रूम में बैठकर चीजों को मॉनिटर करेंगे.

कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ में भी है,.आंकड़े भले इतने न हो लेकिन अस्पतालों के बेड फुल हो चुके हैं. लगातार यूपी में आ रही तापमान में गिरावट से दिल के मरीजों की मुस्किले बढ़ गई हैं. तमाम अस्पताल जैसे केजीएमयू, पीजीआई अन्य में इमरजेंसी के बेड भरे हुए हैं. डॉक्टर्स का मानना है पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा केस आ रहे हैं.

केजीएमयू के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अक्षय प्रधान ने बताया कि हार्ट की बीमारी के दो-तीन लक्षण होते हैं. सीने में भारीपन होना. चक्कर आना. सांस फूलना या फिर दिल की धड़कन तेज होना. सर्दियों के दिनों में हार्ट अटैक की संख्या बढ़ती है क्योंकि सर्दियों में दिल की जो आर्टरी होती है वह चिपक जाती है जिसकी वजह से बीपी बढ़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि clotting की टेंडेंसी बढ़ती है साथ में सर्दियों के दौरान हमारी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है. डाइट हमारा थोड़ा सा तेल मसाला ज्यादा कंज्यूम होता है, जो एडिक्शन प्रोन है वह लोग बॉडी गरम करने के लिए अल्कोहल का सेवन करते हैं. इन शब्दों से हार्ट की बीमारी का रिस्क बढ़ता है.

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उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को सर्दी में बड़ी दिक्कत होती है क्योंकि खांसी जुखाम होता है और रेस्पिरेटरी दिक्कत होती है. जब लंग पर इंफेक्शन पड़ता है तो दिल पर भी साथ में असर पड़ता है. इस साल पहले के मुकाबले ज्यादा मरीज आ रहे हैं. ज्यादा मरीजों के आने का एक प्रमुख कारण अधिक ठंड पड़ना तो है ही. पिछले दो तीन सालों के मुकाबले इस बार ठंड ज्यादा पड़ी है, रेस्पिरेट्री इनफेक्शन हार्ट अटैक के रूप में बढ़ते हैं.

डॉ. अक्षय प्रधान ने कहा कि सीधे तौर पर नहीं बोला जा सकता, लेकिन लेकिन वायरस का कुछ अंश जरूर रह सकता है. कोरोना का लोंग टर्म इफेक्ट दिल के मसल्स पर क्या रहे हैं, यह चर्चा का विषय हो सकता है. कुछ स्टडीज शुरुआत में सामने आई थी कि कोरोना के 6 महीने बाद भी दिल में जब हमने एमआरआई की तो उसमें बदलाव देखे गए, लेकिन उसके लोंग टर्म इंप्लीकेशंस अभी तक सामने नहीं आए.

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उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले 7 साल पहले जो हार्टअटैक 60-70 की उम्र में आता था, वह अब 30 से 40 एज ग्रुप खिसक कर हो गया है. आजकल कई वीडियो आ रहे हैं, जिसमें चलते-चलते लोगों की मौत हो रही है. यह तुरंत कार्डियक डेथ होता है. कई बार हार्ट की नसें कमजोर पड़ना और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल होना भी एक बड़ा कारण होता है. 25 साल की उम्र में कई बार कोलेस्ट्रॉल 300 के ऊपर पहुंच जाता है और 25 साल में हार्ट अटैक पड़ जाता है जो बहुत ही गंभीर होता है, इसमें मौत हो जाती है.

डॉ. अक्षय प्रधान के मुताबिक, जो मौतें हो रही हैं, उससे बचने का यही तरीका है कि ठंड में कम से कम बाहर निकलें, हार्ट के पेशेंट अपने शुगर बीपी कोलेस्ट्रोल तीनों का ध्यान रखें. दवाइयों की स्टॉक लगातार मेंटन रखें.

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