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राम मंदिर पर धर्म ध्वज फहरा RSS चीफ मोहन भागवत क्या बोले? सामने बैठे थे PM मोदी और CM योगी

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अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने के ऐतिहासिक समारोह में पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत भी मौजूद रहे. इसके बाद RSS चीफ मोहन भागवत ने वहां मौजूद जनसमूह को संबोधित भी किया.

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Mohan Bhagwat
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अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने के ऐतिहासिक समारोह में पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत भी मौजूद रहे. पीएम मोदी और RSS चीफ मोहन भागवत ने ध्वजारोहण की प्रक्रिया को लीवर खींचकर पूरा किया और सबने देखा कि कैसे धर्म ध्वज राम मंदिर के शिखर पर खूबसूरती और भव्यता से लहराने लगा. RSS चीफ मोहन भागवत ने इसके बाद वहां मौजूद जनसमूह को संबोधित भी किया और इस क्षण को 'सार्थकता का दिवस' बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में मोहन भागवत ने कहा कि यह केवल मंदिर नहीं बल्कि राम राज्य के ध्वज की पुनर्स्थापना है, जिसने कभी संपूर्ण विश्व में सुख-शांति प्रदान की थी.

उन्होंने कहा कि जिन अनगिनत लोगों ने इस सपने के लिए अपने प्राणों का अर्पण किया, आज उनकी स्वर्गस्थ आत्मा तृप्त हुई होगी. मोहन भागवत ने मंदिर निर्माण के लिए हुए दीर्घकालीन संघर्ष और बलिदान को याद करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इतने लोगों ने सपना देखा, इतने लोगों ने प्रयास किए, इतने लोगों ने अपने प्राण अर्पण किए. आज उनकी स्वर्गस्थ आत्मा तृप्त हुई होगी. उन्होंने अशोक सिंघल, महंत रामचंद्र दास महाराज, डालमिया जी समेत अनगिनत संतों और गृहस्थों के बलिदान को याद किया. 

भागवत ने घोषणा की कि मंदिर निर्माण की शास्त्रीय प्रक्रिया आज ध्वजारोहण के साथ पूर्ण हो गई है. उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उन्होंने इस देह में राम राज्य का ध्वज शिखर पर विराजमान होते हुए देखा है. उन्होंने कहा, 'जैसा सपना देखा था उन लोगों ने... और मैं कहूं कि उन्होंने जो सपना देखा था, उससे भी अधिक भव्य और अधिक सुंदर ये मंदिर बन गया है.' उन्होंने कहा कि सारा विश्व जिससे ठीक चलेगा वो धर्म. उस धर्म का प्रतीक भगवा रंग. वह इस ध्वज का रंग है, ये धर्म ध्वज है.  ध्वज पर बने कोविदार वृक्ष के बारे में उन्होंने बताया कि यह रघुकुल की सत्ता का प्रतीक है. कोविदार को मन्दार और पारिजात (जो देव वृक्ष कहलाते हैं) के गुणों का समुच्चय (शंकर) बताया गया है.

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मोहन भागवत ने इस ध्वजारोहण को भविष्य के लिए एक बड़े राष्ट्रीय संकल्प का दिवस बताया. उन्होंने कहा कि यह धर्म, यह ज्ञान, यह छाया, यह सुफल संपूर्ण दुनिया में बाँटने वाला भारतवर्ष खड़ा करने का काम अपना शुरू हो गया है. उन्होंने आह्वान किया कि हमको एक ऐसा भारतवर्ष खड़ा करना है जहां पृथ्वी के सर्व मानव अपने-अपने चरित्र की शिक्षा जीवन की विद्या भारतवासियों से सीखे.

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