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ताजमहल के चक्कर में आगरा से बाहर हो जाएंगी सारी पेठा फैक्ट्री! TTZ जोन से सबको हटाने का आदेश

अरविंद शर्मा

ताजनगरी आगरा का पेठा पूरे विश्व में मशहूर है. ताजमहल घूमने आने वाला हर पर्यटक पेठा जरूर खरीदता है और अपने साथ ले जाता है. लेकिन अब यह 500 करोड़ रुपये का उद्योग संकट में है.

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Agra Petha
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ताजनगरी आगरा का पेठा पूरे विश्व में मशहूर है. ताजमहल घूमने आने वाला हर पर्यटक पेठा जरूर खरीदता है और अपने साथ ले जाता है. लेकिन अब यह 500 करोड़ रुपये का उद्योग संकट में है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए आदेश दिया है कि ताज ट्रेपेजियम जोन यानी TTZ क्षेत्र के भीतर स्थित सभी पेठा फैक्ट्रियों को हटाया जाए. यह क्षेत्र लगभग 10 हजार 400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसमें ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे ऐतिहासिक स्मारक शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने में पेठा उद्योग से जुड़े कारोबारियों के लिए यूपी सरकार से पुनर्वास योजना बनाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 23 सितंबर 2025 को है.

कोर्ट के आदेश से पेठा निर्माता बेहद परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर उन्हें बाहर जाने के लिए मजबूर किया गया तो वे अपना कामकाज जारी नहीं रख पाएंगे. उनके पास नई जमीन खरीदने और फैक्ट्री दोबारा खड़ी करने के लिए संसाधन नहीं हैं.फिलहाल आगरा में करीब पांच हजार लोग पेठा बनाने के काम में लगे हुए हैं. यहां प्रतिदिन लगभग 25 तरह के एक हजार किलो पेठे का उत्पादन होता है. अगर यह उद्योग बंद हुआ, तो हज़ारों परिवारों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा.

गौरतलब है कि पहले भी पर्यावरण बचाने के लिए कड़े कदम उठाए गए थे. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने TTZ में कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी. 2013 में कोयला ढोने वाले ट्रकों पर भी बैन लगा. 2022 में कोयले से चलने वाली 11 पेठा इकाइयां सील कर दी गईं. अब ज्यादातर इकाइयां GAIL गैस और LPG से चल रही हैं. हालांकि पेठा नगरी बनाने की सरकारी योजनाएं अब तक सफल नहीं हो पाई हैं. 1998 में कालिंदी विहार और 2015 में सिकंदरा में वैकल्पिक साइट का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन दोनों ही योजनाएं अमल में नहीं आ सकीं. 

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आगरा के पेठा कारोबारियों ने सरकार से अपने उद्योग को बचाने की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि पेठा उद्योग को बचाने के लिए सब्सिडी और रियायती दरों पर जमीन दी जाए. नहीं तो उनका कारोबार बंद हो जाएगा. पेठा कारोबारियों ने सरकार से मदद की अपील करते हुए कहा है कि इस उद्योग पर करीब 5,000 लोग निर्भर हैं. अगर इस कारोबार को नुकसान होता है, तो इतने सारे लोग बेरोगार हो जाएंगे.

क्या होता है TTZ जोन

ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए, केंद्र सरकार ने ताजमहल के चारों ओर एक खास इलाका बनाया है, जिसे ताज ट्रेपेजियम जोन या ताज समलंब क्षेत्र (टीटीजेड) कहते हैं. यह इलाका आगरा, मथुरा और भरतपुर तक फैला हुआ है. इस इलाक़े को इस तरह से बनाया गया है कि यहां से आने वाली हवा का प्रदूषण ताजमहल तक न पहुंच पाए. इस ज़ोन में किसी भी नई ऐसी कंपनी या फैक्ट्री को लगाने की इजाजत नहीं है जिनसे ज्यादा प्रदूषण होता हो. साथ ही पहले से मौजूद फैक्टरियों को भी और बढ़ाने की अनुमति नहीं है. ताज ट्रेपेजियम जोन 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसकी सीमाएं मथुरा, आगरा और भरतपुर के कुछ हिस्सों को कवर करती हैं.

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