कौन हैं नारद राय जिन्होंने 40 साल बाद सपा छोड़ कहा कि 'अखिलेश यादव ने मुझे बेइज्जत किया'

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Narad Rai News: लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण के लिए एक जून को होने वाले मतदान से पहले समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. आपको बता दें कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री नारद राय ने पार्टी छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जॉइन करने का ऐलान कर दिया है. बलिया के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले नारद राय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एक्स पर पोस्ट कर यह ऐलान किया है.

नारद राय ने अखिलेश पर लगाया गंभीर आरोप

सपा नेता नारद राय ने कहा, "बहुत भारी और दुखी मन से समाजवादी पार्टी छोड़ रहा हूं. 40 साल का साथ आज छोड़ दिया है. अखिलेश यादव ने मुझे बेइज्जत किया. मेरी गलती यह है कि अखिलेश और मुलायम सिंह में से मैंने मुलायम सिंह यादव को चुना था. पिछले 7 सालों से लगातार मुझे बेइज्जत किया गया. 2017 में मेरा टिकट अखिलेश यादव ने काटा. 2022 में टिकट दिया लेकिन साथ-साथ मेरे हारने का इंतजाम भी किया."

 

 

नारद राय बोले- अपनी पूरी ताकत भाजपा के लिए लगाऊंगा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद नारद राय ने कहा, "अब मैं अपनी पूरी ताकत भाजपा के लिए लगाऊंगा. जितना हो सकेगा उतनी ताकत से बीजेपी को जिताने की कोशिश करूंगा."

कौन हैं नारद राय?

 

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छात्र राजनीति से जनेश्वर मिश्र के जरिए मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखने वाले समाजवादी विचारधारा के नेता नारद राय करीब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं. बलिया नगर से विधायक रहे नारद राय सपा सरकारों में दो-दो बार कैबिनेट मंत्री रहे. मुलायम सिंह यादव से उनकी नजदीकी किस कदर थी, यह सपा में पारिवारिक रार के समय दिखी थी. तब नारद राय मुलायम सिंह यादव के साथ खड़े नजर आए थे. बाद में 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा छोड़ बसपा उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें शिकस्त मिली थी.

 

 

फिर 2022 में सपा के टिकट पर लड़े नारद

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में नारद राय सपा के टिकट पर लड़े, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. इसके बाद पार्टी में नारद राय की उपेक्षा की खबरें आती रहीं. 26 मई को बलिया लोकसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार सनातन पाण्डेय के समर्थन में कटरिया में आयोजित चुनावी जनसभा के मंच पर नारद राय मौजूद थे. मगर सपा चीफ अखिलेश यादव में अपने सम्बोधन में उनका नाम नहीं लिया, जिसके बाद नाराज होकर उन्होंने सपा से नाता तोड़ लिया.

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