प्रणाम पीलीभीत, मैं भावुक हूं... वरुण गांधी ने लिखी इमोशनल चिट्ठी, हर कीमत चुकाने को तैयार
पीलीभीत से टिकट न मिलने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा थी कि वरुण अब क्या करेंगे? तो आपको बता दें कि वरुण ने एक भावुक चिट्ठी लिख अपनी आगे की योजना के बारे में जानकारी साझा कर दी है.
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![प्रणाम पीलीभीत, मैं भावुक हूं... वरुण गांधी ने लिखी इमोशनल चिट्ठी, हर कीमत चुकाने को तैयार वरुण गांधी (File Photo)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/uptak/images/story/202403/66050cd85b4f5-bjp-mp-from-pilibhit-varun-gandhi-282319390-16x9.jpg?size=948:533)
Varun Gandhi News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लिस्ट के इंतजार में सबसे ज्यादा निगाहें उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट पर थी. दरअसल, यहां से वरुण गांधी को टिकट मिलने की चर्चा समर्थकों के बीच और ना मिलने की चर्चा विरोधियों के बीच सबसे ज्यादा थी. होली से एक दिन पहले आई भाजपा की लिस्ट में वरुण गांघी का नाम नहीं था. उनकी जगह योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद का नाम था. टिकट न मिलने के बाद फिर सियासी गलियारों में चर्चा थी कि वरुण अब क्या करेंगे? तो आपको बता दें कि वरुण ने एक भावुक चिट्ठी लिख अपनी आगे की योजना के बारे में जानकारी साझा कर दी है. खबर में आगे जानिए वरुण ने क्या-क्या कहा है?
सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर की गई अपनी चिट्ठी में वरुण गांधी ने कहा, "पीलीभीत वासियों को मेरा प्रणाम! आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है. मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उंगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे."
'आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा'
वरुण ने कहा, "मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला. महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है. आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई."
मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं: वरुण
बकौल वरुण, "एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता. सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिये हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे. मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े."
वरुण ने आखिर में कहा, "मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा- भाग से बहुत ऊपर है. मैं आपका था, हूं और रहूंगा."
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गौरतलब है कि तीन दशकों से अधिक समय में यह पहला मौका है जब मां-बेटे (वरुण और मेनका गांधी) की जोड़ी राज्य के तराई क्षेत्र के पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं होगी. पीलीभीत सीट पर 1989 से मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी चुनाव लड़ते आ रहे हैं. मेनका ने 1989 में जनता दल के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की हालांकि, 1991 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 1996 में एक बार फिर जनता दल के टिकट पर वह संसद पहुंचीं.
इसके बाद 1998 और 1999 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर निर्वाचित घोषित हुई थीं. मेनका ने वर्ष 2004 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर इस सीट पर जीत दर्ज की. मेनका के बेटे वरुण गांधी ने 2009 और 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे.
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