बीजेपी नेता के बेटे को टिकट और ब्राह्मण कार्ड...राजाभैया के गढ़ में मायावती ने चला गजब का दांव
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण से पहले यूपी की सियासत गरमाई हुई है. सोमवार को बहुजन समाज पार्टी ने अपने तीन प्रत्याशियों ने नामों का एलान किया.
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Uttar Pradesh News: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण से पहले यूपी की सियासत गरमाई हुई है. सोमवार को बहुजन समाज पार्टी ने अपने तीन प्रत्याशियों ने नामों का एलान किया. प्रतापगढ़ से बसपा ने जिस उम्मीदवार को टिकट दिया वो काफी चौंकाने वाला था. प्रतापगढ़ से बीएसपी ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए बीजेपी नेता के बेटे को टिकट दे दिया. मायावती ने प्रतापगढ़ में प्रथमेश मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है. वह सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं और उनके पिता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी बीजेपी के नेता हैं और कौशाम्बी लोकसभा के प्रभारी भी हैं.
दिलचस्प हुआ प्रतापगढ़ का चुनाव
बता दें कि प्रथमेश के पिता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी कुंडा विधानसभा से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ बीएसपी की टिकट पर 2007 और 2012 में चुनाव भी लड़ चुके हैं और 2004 में ही बीएसपी से प्रतापगढ़ लोकसभा से ताल ठोक चुके हैं. हालांकि तीनों ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद उन्होंने बीजेपी की दामन थाम लिया. उसके बाद उनकी मां सिंधुजा मिश्रा ने 2022 के विधानसभा चुनावों में कुंडा विधानसभा क्षेत्र से राजा भैया के सामने चुनाव लड़ चुकी हैं. अब प्रथमेश प्रतापगढ़ से बसपा के प्रत्याशी हैं. माता-पिता बीजेपी में और बेटा बीएसपी से चुनाव लड़ रहा है, इस पर परिजनों ने कहा कि बेटा स्वतंत्र है. हम बीजेपी के लिए कार्य कर रहे थे और करते रहेंगे.
मायावती और राजा भैया रहे धुर विरोधी
आपको ये भी बता दें कि 2002 में भाजपा से समर्थन मिलने के बाद मायावती फिर एक बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गईं. मगर राजा भैया को मायावती ने मंत्री नहीं बनाया था. भाजपा के कुछ विधायक भी सरकार से खुश नहीं थे. ऐसे में राजा भैया समेत करीब 20 विधायक मायावती सरकार के खिलाफ राज्यपाल से मुलाकात कर आए थे. राजा भैया उस दौरान मायावती के खिालफ भी बयानबाजी कर रहे थे. सियासी हलकों में चर्चा की जाती है कि उस दौरान मायावती ने एक विधायक पूरन सिंह बुंदेला को अपने पाले में लिया और पूरन सिंह बुूंलेदा ने राजा भैया के खिलाफ केस दर्ज करवाया, जिसके बाद से राजा भैया और मायावती में अदावत लगातार बढ़ती चली गई.
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राजा भैया ने खुद सुनाया था ये किस्सा
राजा भैया ने दी लल्लनटॉप के साथ बात करते हुए बताया था कि, 'मायावती मुख्यमंत्री थीं. उनकी सरकार अल्पमत में थी. हम लोग मांग कर रहे थे कि मायावती बहुमत सिद्ध करें. हमारी मांग को काफी समय हो गया था. मगर मायावती बहुमत सिद्ध नहीं कर रही थीं. दरअसल उनके पास बहुमत ही नहीं था. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के भी कई विधायक जो अपने-अपने कारणों से नाखुश थे, वह भी हमारे साथ आ गए. हमारी इस मांग को दबाने के लिए कई फर्जी केस हमारे ऊपर दर्ज करवाए गए. ये संकेत था कि चुप रहिए, वरना ऐसे केस और भी दर्ज होंगे.'
इसके बाद राजा भैया ने कहा, हमारे खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया गया. इस केस में अपहरण के भी आरोप लगाए गए. उस दौरान हमें काफी दिनों से संकेत मिल रहे थे कि हमारी गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है और हमें कभी भी जेल जाना पड़ सकता है. हमने जेल जाने के लिए अपना सारा सामान भी रख लिया था. उसी दौरान रात करीब 2.30 बजे के आस-पास हमारे घर में पुलिस आ गई और वह हमें गिरफ्तार करके जेल ले गई. बता दें कि 2 नवंबर 2002 की रात राजा भैया को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. कहा जाता है कि मायावती ने ही राजा भैया को अरेस्ट करवाया था.
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