पंडित मालवीय और हैदराबाद निजाम की ‘जूती’ वाली कहानी, महामना ने यूंही नहीं बनवा दिया था BHU

आयुष अग्रवाल

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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है. विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में से एक वाराणसी में बने बीएचयू ने देश के विकास में अपना अहम योगदान अदा किया है. बीएचयू के सपनों को पूरा करने के लिए महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने जो किया, वह आज भी हर किसी को चौंकाता है. तभी तो बीएचयू के निर्माण के किस्सों में हर किसी की दिलचस्पी बनी रहती है और हर कोई जानना चाहता है कि आखिर वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण आखिर हुआ कैसे? वैसे तो बीएचयू के निर्माण की कई रोचक और हैरान कर देने वाले किस्से हैं. मगर जो दिलचस्प किस्सा हैदराबाद के निजाम और महामना के बीच का है, वह वाकई आज भी सभी को हैरान कर देता है.

आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर बीएचयू के निर्माण में मदन मोहन मालवीय और हैदराबाद के निजाम आमने-सामने क्यों आ गए?   

आपको बता दें कि बीएचयू के निर्माण में मालवीय जी चंदा मांगने पूरे देश का भ्रमण कर रहे थे. वह देश के सभी राजा-महाराजाओं, उद्योगपतियों और आम जनों से हिंदू विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए चंदा मांग रहे थे. अपने इस सफर के दौरान कई बार तो मालवीय जी को चंदा मिल जाता तो कई बार ऐसा होता कि उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ता. मगर वह निराश नहीं होते और अगले दिन की योजना बनाने लग जाते. मगर कोई भी मालवीय जी का अपमान नहीं करता, क्योंकि मालवीय जी कांग्रेस का बड़ा नाम थे और एक बड़े वकील के साथ-साथ वह एक प्रभावी जननेता भी थे. 

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अपने इस सफर के दौरान मालवीय जी हैदराबाद के निजाम के पास भी जा पहुंचे. बता दें कि हैदराबाद रियासत के निजाम के पास अकूत दौलत थी. उनका नाम विश्व के सबसे रहीस लोगों में शामिल किया जाता था. ऐसे में मालवीय जी भी निजाम के पास विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए चंदा लेने के लिए पहुंच गए.

निजाम ने सहयोग के नाम पर दे दी अपनी जूती

बताया जाता है कि जब महामना मदन मोहन मालवीय बीएचयू के निर्माण के लिए मदद मांगने निजाम के पास पहुंचे तब निजाम ने उनको आर्थिक सहयोग देने से साफ मना कर दिया. इस दौरान निजाम ने उन्हें जूता दे दिया. जूता मिलने पर मालवीय जी ने निजाम से कुछ नहीं बोला, लेकिन उन्हें ये अपमान लगा.

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मालवीय जी ने लगा दी जूते की निलामी 

बताया जाता है कि मालवीय जी ने बाहर आकर निजाम के जूते की निलामी करनी शुरू कर दी. किसी तरह से ये सूचना निजाम के पास पहुंची. माना जाता है कि मालवीय जी ने निजाम को सबक सिखाने के लिए उसकी जूती की निलामी करनी शुरू की थी. मिली जानकारी के मुताबिक,  इसके बाद निजाम ने सम्मान के साथ मालवीय जी को फिर से बुलाया और माफी मांगते हुए बीएचयू के निर्माण के लिए मालवीय जी को आर्थिक तौर पर बड़ा दान भी दिया.

बीएचयू के लिए जगह भी ऐसे मिली दान में

बता दें कि जब मालवीय जी ने काशी नरेश से बीएचयू के निर्माण के लिए जगह मांगी तब काशी नरेश ने उनसे कहा कि आप एक दिन में जितना पैदल चल सकते हैं, उतना चलिए और जगह नाप लीजिए. वह सारी जगह आपकी हो जाएगी. इसके बाद मालवीय जी पूरे दिन पैदल चलते गए और उन्होंने जितनी जगह नापी, वह सारी जगह काशी नरेश ने दान में दे दी.

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