नोए़डा: नकली अभ्यर्थी बिठाकर परीक्षा दिलाने वाले गैंग का भंडाफोड़, जानिए क्या खुलासा हुआ

भूपेंद्र चौधरी

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नोएडा पुलिस ने राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर आउट और नकली अभ्यर्थी बिठाकर एग्जाम पास कराने का ठेका लेने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें गिरोह का सरगना भी शामिल है. जिले के थाना सेक्टर-58 का यह मामला है.

पुलिस ने आरोपियों के पास से पांच मोबाइल, पांच पैन कार्ड, पांच आधार कार्ड, 52 हजार रुपये, दो फर्जी प्रवेश पत्र और वॉट्सऐप चैटिंग का प्रिंटआउट बरामद किया है.

गिरफ्तार किए गए आरोपी राघवेंद्र, विकास कुमार, संजय कुमार और अनीश चाहर से पुलिस पूछताछ कर रही है.

मामले को लेकर नोएडा जोन के अपर पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) रणविजय सिंह ने बताया,

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गिरोह का सरगना अनीश है, जबकि राघवेंद्र अभ्यर्थी है. अनीश नौकरी दिलाने के नाम पर छात्रों से पैसे लेकर विकास से मिलवाता था. विकास पैसे लेकर छात्रों के स्थान पर परीक्षा देता था. चारों आरोपी बीएससी पास हैं. यह गिरोह पांच साल से मोटी कमाई कर रहा था. वहीं, आगरा में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाला रिंकू यादव फरार है. परीक्षा दिलवाने के लिए रिंकू फर्जी कागजात तैयार करता था.

रणविजय सिंह, एडीसीपी, नोएडा

रणविजय सिंह ने बताया, “सरगना अनीश फिरोजाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग देता है. वहीं से वह छात्रों से नौकरी दिलाने की बात कर सौदा करता था. प्रतियोगी परीक्षाओं में पास कराने के लिए वह सात से आठ लाख रुपये लेता था. इसके बाद वह संजय के जरिये विकास से संपर्क करता था. विकास ही दूसरे की जगह परीक्षा देता था. इसके एवज में करीब दो लाख रुपये उसे मिलते थे.”

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पुलिस पूछताछ में आरोपी विकास ने बताया कि एक दर्जन से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में वह दूसरे की स्थान पर बैठकर परीक्षा दे चुका है.

एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया, “9 दिसंबर को विकास को राघवेंद्र की जगह परीक्षा देनी थी. आरोपी दिल्ली पुलिस, जेल वॉर्डन, आईटीबीपी, एसएससी से लेकर कई तरह की परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा करते थे और इनका नेटवर्क यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान तक फैला हुआ है.”

गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई वॉट्सऐप चैटिंग मिली हैं. इनमें पता चला है कि ग्रुप बनाकर ये आरोपी अभ्यर्थियों को जोड़ते थे और उन्हें प्रलोभन देकर ठगते थे. कुछ अभ्यर्थियों से ये आरोपी नौकरी दिलाने के नाम पर एडवांस में पैसे भी लेते थे और बाद में उनसे संपर्क नहीं करते थे. गिरोह में अभी कुछ अन्य आरोपियों के नाम सामने आ रहे हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.

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