10वीं फेल अतीक ने 17 की उम्र में ही दिखा दिया था असली रूप! तांगेवाले के बेटे से तब डरते थे सब
Atiq Ahmad News: उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट के आदेश के बाद साबरमती जेल से 27 मार्च को भारी सुरक्षा के बीच माफिया अतीक…
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Atiq Ahmad News: उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट के आदेश के बाद साबरमती जेल से 27 मार्च को भारी सुरक्षा के बीच माफिया अतीक अहमद को प्रयागराज लाया गया. इसी मामले में आज यानी 28 मार्च को कोर्ट में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पेशी होनी है. दरअसल, उमेश पाल अपहरण मामले में स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट के जज डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ल आज फैसला सुना सकते हैं. कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद 17 मार्च को फैसला सुरक्षित कर लिया था. आज जब अतीक अहमद की बात हो रही है, तो हम आपको बताते हैं जुर्म से लेकर राजनीति में आने तक का उसका सफर. रिपोर्ट में आगे पढ़िए अतीक अहमद की पूरी कहानी.
प्रयागराज का नाम आते ही अतीक अहमद का नाम दिमाग में कौंध जाता है. मगर उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर अतीक अहमद के बुरे दिन शुरू हो गए. अतीक के खिलाफ दर्ज मामलों में कार्रवाई शुरू हुई और उसकी अवैध संपत्तियों और निर्माण को जमींदोज कर दिया गया.
जुर्म से राजनीति तक का सफर
गौरतलब है कि अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को श्रावस्ती में हुआ था. अतीक के पिता का नाम फिरोज अहमद था. अतीक अहमद के परिवार की बात करें तो पत्नी शाइस्ता परवीन, बड़ा बेटा उमर, दूसरा बेटा अली, तीसरा बेटा, असद चौथा बेटा, अहजम और पांचवा अबान है. फिरोज अहमद रोजी-रोटी के लिए इलाहाबाद यानी प्रयागराज आ गए और यहां तांगा चलाने लगे. फिर फिरोज अहमद को यहां फिरोज तांगेवाला के नाम से लोग जानने लगे. फिरोज अहमद अपने बेटे अतीक अहमद को पढ़ा लिखा कर बड़ा और अच्छा इंसान बनाना चाहते थे, लेकिन अतीक का पढ़ाई में मन नहीं लगा और उसने 10वीं में फेल होने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी. अतीक अब कम उम्र में ही अपराध की दुनिया मे कदम बढ़ाने लगा. सन 1979 में महज सत्रह साल की उम्र में अतीक पर कत्ल का पहला इल्जाम लगा. धीरे-धीरे अतीक ‘अपराध की दुनिया’ का बादशाह बन गया.
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अतीक के गिरोह में शामिल थे 120 शूटर
जहां अतीक के गिरोह में लोग बढ़ते गए, वहीं इसका वर्चस्व भी बढ़ने लगा. अतीक अहमद पर 1986 में गैंगस्टर एक्ट का पहला केस दर्ज हुआ. कहा जाता है कि अतीक ने सन 1889 में अपने उस्ताद चांद बाबा की भी हत्या कर जुर्म की दुनिया मे अपना नाम कर लिया. अतीक अहमद के गिरोह में करीब 120 शूटर शामिल थे. अतीक अहमद का नाम अब सीमित नहीं रहा. उसका नाम जिले से बाहर भी लोग जानने लगे थे. वहीं अतीक अहमद का बड़े नेताओं के बीच उठना बैठना शुरू हुआ. अब अतीक जान चुका था कि पैसे के साथ पॉवर की भी जरूरी है, तो उसने 1889 में चांद बाबा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और उसे जीत हासिल हुई. अतीक ने तीन बार निर्दलीय चुनाव जीता और 1996 में सपा के टिकट से मिला और फिर जीत हासिल की. अतीक का राजनीति में तो कद बढ़ ही रहा था, वहीं जरायम की दुनिया में भी तेजी से नाम हो रहा था.
अतीक अहमद में 2004 में सोनेलाल पटेल की अपना दल पार्टी जॉइन की और फूलपुर संसदीय सीट का चुनाव जीत कर सांसद बन गया. अब सांसद बनने के बाद उसकी विधानसभा सीट खाली हो गई. तो उसने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को सपा से चुनाव लड़वाया. लेकिन बसपा के राजू पाल ने शहर पश्चिमी से चुनाव जीत लिया और विधायक वे बन गए. अतीक और अशरफ इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए और आरोप है कि इन्होंने 25 जनवरी 2005 को विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या करवा दी. फिर अशरफ ने चुनाव लड़ा और जीत मिली. हत्या के 10 दिन पहले ही राजू पाल शादी हुई थी. पत्नी पूजा पाल ने अतीक अशरफ के अलावा और लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया.
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2007 में यूपी मे बसपा की सरकार बनी. मायावती, सीएम बनीं तो पूजा पाल को विधायकी का टिकट दिया और पूजा पाल ने जीत हासिल की और विधायक बन गईं. अतीक को मोस्टवांटेड अपराधी के साथ उसपर इनाम भी घोषित कर दिया गया. अतीक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. इसके बाद 2014 में अखिलेश सरकार के बाद अतीक को जमानत मिल गई. सपा के टिकट से अतीक ने श्रावस्ती से चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार का मुंह देखना पड़ा.
वहीं, जब यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो अतीक अहमद के बुरे दिन शुरू हो गए. एक व्यापारी को जेल में धमकी देने और पिटाई का वीडियो वायरल हुआ तो अतीक फिर गिरफ्तार हुआ और उसे गुजरात की साबरमती जेल में भेज दिया गया. अतीक अहमद का भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है.
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अतीक के दो बेटों पर चल रहे मुकदमे
अतीक का बड़ा बेटा दिल्ली में कानून की पढ़ाई कर रहा था. जेल में मारपीट के आरोप में उमर का भी नाम आया. एफआईआर हुई और सीबीआई कोर्ट ने उमर पर दो लाख का ईनाम रख दिया. उमर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. उमर लखनऊ जेल में बंद है. वहीं अली पर पांच करोड़ की रंगदारी का आरोप लगा और पुलिस ने 50 हजार का इनाम रखा. इसके बाद अली ने भी कोर्ट में सरेंडर किया. अली फिलहाल प्रयागराज के नैनी जेल में बंद है. बाकी बचे तीन बेटों पर तो कोई मामला नहीं था. लेकिन उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक के पूरे परिवार को नामजद किया गया है.
पुलिस रिकॉर्ड में अतीक अहमद इंटर स्टेट (आइएस) 227 गैंग का लीडर है. इस गैंग में अतीक का भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ भी शामिल है. गिरोह में 141 सदस्य हैं. अतीक का नाम भू-माफिया, टॉप टेन सूची में भी शामिल है. पुलिस प्रशासन ने शासन के आदेश पर अतीक अहमद की अपराध से अर्जित अरबों रुपये की अवैध संपत्तियों को ध्वस्त किया और जब्त किया है और लगातार अतीक अहमद के वर्चस्व और उसकी कमर तोड़ने की कोशिश जारी है.
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