फिरोजाबाद: 42 साल पहले 10 दलितों की हत्या, अब 90 वर्षीय शख्स को मिली सजा, जानें पूरा मामला

सुधीर शर्मा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

UP News: फिरोजाबाद स्थित साढ़ूपुर गांव के पीड़ितों को 42 साल बाद इंसाफ मिला है. इतने सालों से इस गांव के पीड़ितों को इंसाफ का इंतजार था. यहां आज से 42 साल पहले जो घटना घटी,  उसने दिल्ली तक को हिला कर रख दिया. खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गांव का दौरा किया. दरअसल इस गांव में खून ही होली खेली गई थी और 10 दलितों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अब इस हत्याकांड में जिला कोर्ट का फैसला आया है. 

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में साल 1981 में हुए 10 दलितों के हत्याकांड पर 42 साल बाद फैसला आया है. जिला कोर्ट ने फिरोजाबाद के थाना मक्खनपुर के गांव साढ़ूपुर में हुए इस हत्याकांड के मामले में आरोपी को दोषी मानते हुए उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई है. बता दें कि जिस आरोपी को दोषी मानते हुए कोर्ट ने सजा सुनाई है, उसकी उम्र इस समय खुद 90 साल है.

ताबड़तोड़ फायर कर 10 दलितों को उतार दिया था मौत के घाट 

बता दें कि 30 दिसंबर साल 1981 में थाना मक्खनपुर इलाके के गांव साढ़ूपुर में दलित समाज से आने वाले 10 लोगों की हत्या कर दी थी. सभी को ताबड़तोड़ फायरिंग करके मौत के घाट उतार दिया गया था. इस दौरान 3 लोग भी गोली लगने से घायल हो गए थे. इस घटना से हड़कंप मच गया था.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

नत्थी लाल और उसके साथियों ने खेली थी खून की होली

बता दें कि इस हत्याकांड को नत्थीलाल और उसके साथियों ने अंजाम दिया था. घटना के 42 साल बाद कोर्ट ने नत्थीलाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. आपको ये भी बता दें कि इस घटना के 9 आरोपियों की मौत भी हो चुकी है. आरोपियों में से सिर्फ नत्थीलाल ही जिंदा है, जिसकी उम्र 90 साल से ऊपर है.

आखिर हुआ क्या था

बता दें कि इस घटना में रेलवे स्टेशन के क्लर्क डी.सी गौतम की सूचना पर अज्ञात 10 लोगों के खिलाफ धारा 302, 307 में केस दर्ज करवाया गया था. उस वक्त ये केस शिकोहाबाद थाने जिला मैनपुरी (वर्त्तमान फिरोजाबाद) में दर्ज हुआ था.

ADVERTISEMENT

न्यायालय में प्रस्तुत केस डायरी के अनुसार यह जघन्य हत्याकांड जातीय संघर्ष के कारण हुआ था. बताया जाता है कि इसके पीछे राशन डीलर द्वारा खाद्य सामग्री न दिए जाने पर जातीय हिंसा हुई थी. उस समय घायल हुई 85 वर्षीय प्रेमवती का कहना है कि गांव में नत्थी लाल की राशन की दुकान थी. राशन नहीं देने को लेकर दलित समाज ने कई बार प्रशासन से शिकायत की थी की उनको राशन की दुकान पर खाद्य सामग्री नहीं दी जाती. इस पर प्रशासन ने एक्शन लेते हुए नत्थी लाल की दुकान को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया था, इसी बात को लेकर गांव में रंजिश भी बनी रही.

प्रेमवती ने आगे कहा कि 30 दिसंबर 1981 की शाम को नत्थी लाल और उसके साथियों ने मिलकर हथियारों से खुले स्थान पर बैठे दलित समाज पर फायरिंग कर इस घटना को अंजाम दिया था. इस हत्याकांड में हरी शंकर, बैकुंठी देवी, कैलाश, प्रेम सिंह, पार्वती, सुख देवी, शीला देवी, सुरेश, सगुना देवी व चमेली देवी की मौके पर ही मौत हो गई थी तो वहीं प्रेमवती, सोमवती उर्फ सोना घायल अवस्था में मिली थी.

ADVERTISEMENT

10 में से 9 आरोपियों की हो चुकी है मौत

42 सालों तक कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान 10 में से 9 आरोपियों की मौत हो गई. लेकिन एक आरोपी नत्थी लाल जिसकी इस समय उम्र 90 साल है, उसे कोर्ट ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी है. 

गौरतलब है कि मक्खनपुर का इलाका वर्ष 1981 में जनपद मैनपुरी का एक हिस्सा हुआ करता था. इस हत्याकांड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी घटनास्थल का दौरा किया था. लंबे समय तक चले मुकदमे के बाद आज हत्या आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और आरोपियों के खिलाफ जुर्माना भी लगाया गया है.

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT