लोएस्ट बिड पर भी UP में क्यों निरस्त हुआ अडाणी ग्रुप का टेंडर? परत दर परत जानिए पूरी कहानी

आशीष श्रीवास्तव

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UP News: उत्तर प्रदेश के मध्यांचल पॉवर कॉर्पोरेशन ने स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर निरस्त कर दिया है. इस टेंडर में अडाणी ग्रुप, जीएमआर, एलएनटी समेत कई कंपनियों ने हिस्सा लिया था. बताया जा रहा है कि टेंडर के अंतिम स्टेज तक अडाणी ग्रुप की कंपनी पहुंची थी, लेकिन मीटर का रेट को लेकर बात नहीं बनी, जिसके बाद पूरे टेंडर को ही निरस्त कर दिया गया है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 2.5 करोड़ स्मार्ट मीटर का टेंडर हुआ था, जिसकी अनुमानित लागत 25000 करोड़ रुपये बताई जा रही है. उत्तर प्रदेश के चार क्लस्टर- मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल और पूर्वांचल ने अपने-अपने क्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए अलग-अलग टेंडर निकाला था. इस टेंडर को लेने के लिए दो प्रक्रिया को पूरा करना था.

स्मार्ट मीटर टेंडर को पाने के लिए सबसे पहले कंपनी को Technical Bid पास करना होता है. सभी क्लस्टर के Technical Bid में अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ट्रांसमिशन, जेएमआर, एलएनटी और इंटेल स्मार्ट क्वालिफाई हुईं. इसके बाद कंपनियों ने Price Bid डाली यानी कौन सी कंपनी कितने रुपये में स्मार्ट मीटर लगाएगी.

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मध्यांचल और दक्षिणांचल में अडाणी ट्रांसमिशन की Price Bid सबसे कम रही, जबकि पूर्वांचल में जेएमआर और पश्चिमांचल में इंटेल स्मार्ट की Price Bid सबसे कम रही. ऐसे में नियम के मुताबिक, जिस कंपनी की Price Bid सबसे कम होती है उसे ही टेंडर मिल जाता है, लेकिन यह पेंच स्मार्ट मीटर के दामों को लेकर फंसा.

दरअसल, भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक एक स्मार्ट मीटर की कीमत तकरीबन 6 हजार रुपये होनी चाहिए. मगर अडाणी ट्रांसमिशन ने अपने Price Bid में एक स्मार्ट मीटर की कीमत तकरीबन 10 हजार रुपये के करीब रखी थी. यानी भारत सरकार की गाइडलाइन से करीब 65 फीसदी अधिक. इसका विरोध विद्युत नियामक आयोग में उपभोगता परिषद ने शुरू कर दिया था.

विरोध के साथ जब मीटर दरों पर बात नहीं बनी तो मध्यांचल पॉवर कॉर्पोरेशन ने 70 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का पूरा टेंडर ही निरस्त कर दिया. यह टेंडर करीब 5454 करोड़ रुपये का था. अब नए सिरे से टेंडर निकाले गए हैं. हालांकि अभी दक्षिणांचल पॉवर कॉर्पोरेशन के साथ ही पूर्वांचल और पश्चिमांचल पॉवर कॉर्पोरेशन ने कोई फैसला नहीं लिया है.

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मध्यांचल पॉवर कॉर्पोरेशन के एमडी भवानी सिंह ने कहा कि जो टेंडर आया था उसकी दर 65 फीसदी अधिक थी, इस वजह से हमने टेंडर कैंसिल कर दिया है. वहीं टेक्निकल एमडी योगेश कुमार ने कहा कि ‘टेंडर कैंसिल करके दूसरा निकाल दिया गया है, रेट का इश्यू होने की वजह से कैंसिल किया गया, हमने प्रक्रिया के तहत टेंडर कैंसिल किया है.’

इस मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है, ‘ऐसी कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में भाग मिलना चाहिए जिनको मीटर का एक्सपीरियंस हो जबकि इन कंपनियों को मीटर का एक्सपीरियंस नहीं था.’

बकौल अवधेश वर्मा, ‘हमने विद्युत उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग में भी मामला रखा था, उसके चलते मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में टेंडर कैंसिल कर दिया है. हम मांग करते हैं कि बाकी अन्य क्लस्टर में भी टेंडर को कैंसिल किया जाए, जिससे कि जनता पर बोझ न पड़े.’

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क्यों लगाए जा रहे हैं स्मार्ट मीटर?

स्मार्ट मीटर लगाए जाने के पीछे सबसे बड़ा मकसद बिजली चोरी को रोकना है. अगर कोई स्मार्ट मीटर से छेड़छाड़ करेगा, कटिया डालकर बिजली चोरी करने का प्रयास करेगा, तो उस क्षेत्र से संबंधित एसडीओ और एक्सईएन के पास मीटर से एक मैसेज क्षेत्रीय अधिकारियों तक पहुंच जाएगा. साथ ही स्मार्ट मीटर लगने से बिजली विभाग को बकाया बिल मिलने में काफी आसानी होगी.

यह स्मार्ट मीटर 4G सिम के साथ मिलेगा. बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 4G प्रीपेड मीटर के आने से बिजली का भुगतान समय पर होगा, जरूरत के हिसाब से रिचार्ज करना होगा, आने वाले समय में बिजली बिल कम होगा, बिजली चोरी की समस्या पर लगाम लगेगी, बिजली मीटर से छेड़छाड़ नहीं हो पाएगी.

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