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नरेंद्र गिरि के वकील बोले- ‘महंत और मठ के खाते में 30-40 करोड़, कई शहरों में संपत्ति’

संतोष शर्मा

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद एक-एक कर कई चीजें सामने आ रही हैं. महंत नरेंद्र…

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद एक-एक कर कई चीजें सामने आ रही हैं. महंत नरेंद्र गिरि के वकील ऋषि शंकर द्विवेदी ने यूपी तक के साथ बातचीत में बताया है कि महंत ने 2010 से 2020 के बीच 3 वसीयतें बनवाई थीं.

उन्होंने बताया,

  • ”7 जनवरी 2010 को बनवाई गई पहली वसीयत में नरेंद्र गिरि ने बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाया था.”

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  • ”29 अगस्त 2011 को नरेंद्र गिरि ने दूसरी वसीयत में बलवीर गिरि को हटाकर आनंद गिरि को अपना उत्तराधिकारी बना दिया था”

  • ”इसके बाद 4 जून 2020 को नरेंद्र गिरि ने तीसरी और आखिरी वसीयत बनवाई थी.”

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    महंत नरेंद्र गिरि के वकील ने बताया कि आखिरी वसीयत में महंत ने बलवीर गिरि को अपनी बाघंबरी मठ की संपत्ति का अकेला उत्तराधिकारी बना दिया था.

    ऋषि शंकर द्विवेदी के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि और मठ के खाते में करीब 30 से 40 करोड़ रुपये जमा हैं, मठ के नाम पर प्रयागराज, हरिद्वार, कौशांबी समेत तमाम शहरों में करीब 200 करोड़ रुपये की संपत्ति है.

    उन्होंने यह भी बताया कि कोर्ट में महंत नरेंद्र गिरि की आखिरी वसीयत की ऑरिजिनल कॉपी जमा है.

    बता दें कि लंबे वक्त तक महंत नरेंद्र गिरि के सबसे प्रिय शिष्य रहे आनंद गिरि को महंत की मौत के मामले में गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.

    इस बारे में यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने 21 सितंबर को बताया था, ”आनंद गिरि के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनका नाम महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में सुसाइड नोट में भी है.”

    कुमार ने महंत के जिस कथित सुसाइड नोट का जिक्र किया. उसमें आनंद गिरि को लेकर लिखा गया है, ”मैं महंत नरेंद्र गिरि वैसे तो 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया. आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि कम्प्यूटर से, मोबाइल से किसी लड़की या महिला के (साथ) गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर फोटो वायरल कर देगा, मैंने सोचा कहां तक सफाई दूंगा, एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा.”

    नरेंद्र गिरि केस: संदिग्ध मौतें और गुमशुदगी, 3 दशक से संतों पर विपदा भारी!

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