UP चुनाव 2022: मायावती के दलित वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी की नजर, जानें अखिलेश का प्लान

कुमार अभिषेक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

उत्तर प्रदेश में मौसम का मिजाज जैसे-जैसे बदल रहा है वैसे-वैसे 2022 के विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश भी बढ़ती जा रही है. समाजवादी पार्टी (एसपी) ने सूबे में करीब 22 फीसदी दलित वोटों के लिए खास रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव इस बार मायावती और बीएसपी से गठबंधन जैसे तरीकों का सहारा लेने के बजाय इस वोट बैंक के लिए ‘आत्मनिर्भर’ बनने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इसी के तहत बीएसपी के दलित नेताओं को अपने खेमे में लाने के बाद अब अखिलेश यादव ने मायावती के हार्डकोर जाटव/चमार वोट में सेंधमारी के लिए खास प्लान बनाया है.

मिशन-2022 पर निकले एसपी प्रमुख अखिलेश यादव अपने सियासी जनाधार को वापस लाने के साथ-साथ दूसरी पार्टियों के दलगत आधार को भी दरकाने में जुटे हैं. इसकी एक झलक अखिलेश यादव के हाइटेक रथ में भी दिखती है. 12 अक्टूबर से शुरू हुई अखिलेश की रथयात्रा में जो हाइटेक रथ चल रहा है उसपर मुलायम और लोहिया के साथ-साथ बाबा साहब अंबेडकर की भी तस्वीर लगी है. यह दलित समाज को सीधा और स्पष्ट संदेश है. इसके अलावा एसपी प्रदेशभर में गांव-गांव दलित संवाद भी कर रही है.

ओबीसी समुदाय के बाद दलित वोट बैंक सबसे अहम

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

यूपी में ओबीसी समुदाय के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी करीब 22 फीसदी वाले दलित समुदाय की है, जो चुनाव में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. यूपी की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 85 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं, तो 2 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिजर्व हैं. एसपी इन दलित आरक्षित सीटों पर जीत के लिए बीएसपी के वोट बैंक को अपनी तरफ करने की कोशिश कर रही है.

सूत्रों की मानें, तो 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने 85 दलित आरक्षित सीटों में से करीब 45 सीटों पर जाटव और चमार जाति से कैंडिडेट उतारने की तैयारी की है. जाटव के बाद दूसरे नंबर पासी समुदाय को अहमियत देने की योजना बनाई गई है, जिन्हें करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर प्रत्याशी बनाया जा सकता है. साथ ही बाकी बची सीटों पर गैर-जाटव दलित जातियों से आने वाले नेताओं को टिकट देने की रणनीति बनाई गई है.

इससे पहले तक एसपी सुरक्षित सीटों पर गैर-जाटव दलित जातियों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया करती थी, लेकिन इस बार रणनीति बदली है. अखिलेश यादव की नजर मायावती को हार्डकोर जाटव वोटों पर है. इसी के तहत उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अखिलेश ‘नई सपा, नई हवा’ के नारे से यह बताने का काम कर रहे हैं कि यह मुलायम सिंह यादव के दौर वाली सपा नहीं बल्कि नई सपा है, जिसमें जाटवों भी खास तवज्जो दी जाएगी.

ADVERTISEMENT

बीएसपी के कई नेता अब एसपी के संग

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से करीब 3 दर्जन बड़े बीएसपी नेता मायावती का साथ छोड़कर अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार हुए हैं. बीएसपी के दिग्गज दलित नेताओं में इंद्रजीत सरोज, कमलकांत गौतम, आरके चौधरी, भूरेलाल, त्रिभुवन दत्त, राम सागर अकेला, डा. बलीराम, वीर सिंह, योगेश वर्मा और मिठाई लाल जैसे नाम शामिल हैं, जो अब एसपी का दामन थाम चुके हैं. ये बीएसपी के वे नेता हैं, जिन्होंने अपना सियासी सफर कांशीराम के साथ शुरू किया था और अपने क्षेत्र में ताकत रखते हैं.

ADVERTISEMENT

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT