कौन बनेगा यूपी का नया डीजीपी? किसकी दावेदारी कितनी मजबूत, जानिए इनसाइड स्टोरी
उत्तर प्रदेश पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा, एक बार फिर इसकी चर्चा तेज हो गई है. इसकी वजह ये है कि वर्तमान में कार्यवाहक…
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उत्तर प्रदेश पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा, एक बार फिर इसकी चर्चा तेज हो गई है. इसकी वजह ये है कि वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा बुधवार को रिटायर हो जाएंगे. आरके विश्वकर्मा के बाद किसको यूपी पुलिस का चार्ज दिया जाएगा? बीते 1 सालों से कार्यवाहक डीजीपी से काम चला रही सरकार क्या इस बार पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती करेगी? या बीते 2 बार से तीसरी बार भी कार्यवाहक ही यूपी पुलिस का मुखिया बनेगा.
एक साल पहले 11 मई, 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्णकालिक डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक हटा दिया था. मुकुल गोयल के हटने के बाद बीते एक साल से देश के सबसे बड़े राज्य की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स को उसका पूर्णकालिक डीजीपी नहीं मिल पाया है.
मुकुल गोयल के बाद सरकार ने डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था. 31 मार्च, 2023 को डीएस चौहान के रिटायरमेंट के बाद डीजी पुलिस भर्ती बोर्ड ने आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी बनाया. अब आरके विश्वकर्मा भी 31 मई को रिटायर हो जाएंगे. आरके विश्वकर्मा के बाद यूपी पुलिस में एक बार फिर डीजीपी की रेस तेज हो गई है और चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है कि क्या यूपी पुलिस को फिर कार्यवाहक डीजीपी ही मिलेगा या पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती होगी.
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डीजीपी की कुर्सी के दावेदारों की बात करें तो मौजूदा हालात में 3 आईपीएस अधिकारी सीनियरटी लिस्ट में सबसे ऊपर है, जिनके पास 6 महीने से अधिक का कार्यकाल बाकी है. नियमता उसी व्यक्ति को पूर्णकालिक डीजीपी बनाया जा सकता है जिसके रिटायरमेंट में नियमत 6 महीने का वक्त बाकी हो.
ऐसे में मुकुल गोयल का नाम सबसे ऊपर है. उनके पास फरवरी 2024 तक का वक्त है. दूसरे नंबर पर 1988 बैच के आईपीएस और डीजी कोआपरेटिव सेल आनंद कुमार का नाम है, जिनका अप्रैल 2024 में रिटायरमेंट है. तीसरे नंबर पर 88 बैच के आईपीएस अधिकारी विजय कुमार है. विजय कुमार जनवरी 2024 में रिटायर होंगे. विजय कुमार वर्तमान में डीजी सीबीसीआईडी है और विजिलेंस का अतिरिक्त प्रभार है.
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मिली जानकारी के अनुसार, अब तक डीजीपी के लिए ना तो पैनल भेजा गया है और ना ही वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव भेजा गया है. ऐसे में एक बार फिर कार्यवाहक डीजीपी की ही संभावना अधिक नजर आती है. कार्यवाहक डीजीपी में इन तीनों में मुकुल गोयल को सरकार ने उनकी कार्यप्रणाली से नाराज होकर ही डीजीपी के पद से हटाया था. लिहाजा वह सरकार की चॉइस नहीं हो सकते. आनंद कुमार सरकार की चॉइस हो सकते हैं, लेकिन वह जातिगत समीकरण और आईपीएस लॉबी के समीकरण में अनफिट हैं.
जाति का भी होता है अहम रोल?
दरअसल ऐसी चर्चाएं की जा रही हैं कि डीजीपी पद की दावेदारी में आगे या पीछे चलने की रेस में अधिकारियों की जाति भी अपना रोल निभाती है. माना जाता है कि सरकार बहुत सोच समझकर, काबिलियत के साथ-साथ सियासी समीकरण को भी देखकर ही कोई फैसला लेती है.
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दरअसल, आनंद कुमार और स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार दोनों ही एक ही बिरादरी से आते हैं. सरकार अगर आनंद कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाती है तो स्पेशल डीजी लॉ आर्डर प्रशांत कुमार को बदलना पड़ेगा, ऐसा सरकार करने के मूड में बिल्कुल नहीं है.
यही वजह आनंद कुमार की दावेदारी को कमजोर करती है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार अगर अपने कार्यकाल के मुफीद अधिकारी के तौर पर देखेगी तो आनंद कुमार उस पैमाने पर सबसे फिट हैं. आनंद कुमार लंबे समय तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजी जेल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था व अपराध नियंत्रण को बखूबी समझने वाले काबिल अफसर माने जाते हैं.
बता दें कि चर्चाओं में जो तीसरा नाम चल रहा है, वह दलित समाज से संबंध रखने वाले विजय कुमार का है. माना जाता है कि अफसरों का एक मजबूत धड़ा भी विजय कुमार की पैरवी करने में भी लगा हुआ है.
चर्चा किसी के भी नाम की हो, डीजीपी की कुर्सी पर कोई भी बैठे, लेकिन इतना तो तय है कि एक साल बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस को पूर्णकालिक डीजीपी मिलने नहीं जा रहा है. इस बार भी कार्यवाहक डीजीपी से ही काम चलेगा.
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