बृजभूषण के खिलाफ पहलवानों के विरोध पर साक्षी और बबीता के बीच जुबानी जंग
साक्षी मलिक ने रविवार को पूर्व पहलवान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता बबीता फोगाट (Babita Phogat) पर आरोप लगाया कि भारतीय कुश्ती महासंघ…
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साक्षी मलिक ने रविवार को पूर्व पहलवान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता बबीता फोगाट (Babita Phogat) पर आरोप लगाया कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ उनके विरोध में उन्होंने सरकार का साथ दिया. बबीता ने इसके जवाब में दावा किया कि रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी ‘कांग्रेस की कठपुतली’ बन गई हैं.
साक्षी और उनके पति सत्यव्रत कादियान ने शनिवार को वीडियो पोस्ट करके कहा था कि पहलवानों का प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित नहीं है और यह किसी भी तरह से कांग्रेस से प्रेरित नहीं है और बबीता तथा भाजपा के एक अन्य नेता तीरथ राणा ने शुरुआत में पहलवानों के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए पुलिस से स्वीकृति लेने में मदद की थी.
रविवार को साक्षी ने शनिवार के अपने वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने बबीता और राणा पर तंज कसा था कि कैसे उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए पहलवानों का इस्तेमाल करने का प्रयास किया लेकिन हास्यबोध की कमी के कारण इस तंज को समझा नहीं गया.
साक्षी ने ट्वीट किया, ‘‘वीडियो (शनिवार को डाले गए) में हमने तीरथ राणा और बबीता फोगाट पर तंज कसा था कि कैसे वे अपने स्वार्थ के लिए पहलवानों को इस्तेमाल करना चाह रहे थे और कैसे पहलवानों पर जब विपदा पड़ी तो वे जाकर सरकार की गोद में बैठ गए.’’
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उन्होंने कहा,
‘‘हम मुसीबत में जरूर हैं लेकिन हास्यबोध इतना कमजोर नहीं हो जाना चाहिए कि ताकतवर को काटी चुटकी पर आप हंस भी न पाएं.’’
जनवरी में पहलवानों के तीन दिवसीय प्रदर्शन के दौरान पहलवानों और सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाली बबीता ने साक्षी को लंबा जवाब देते हुए ट्वीट में दावा किया कि उनका पहलवानों के प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि वह पहले ही दिन से सड़क पर आंदोलन के खिलाफ थीं.
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विरोध से दूरी बनाते हुए बबीता ने लिखा,
‘‘मुझे कल बड़ा दुख भी हुआ और हंसी भी आई जब मैं अपनी छोटी बहन (साक्षी) और उनके पति का वीडियो देख रही थी. सबसे पहले तो मैं ये स्पष्ट कर दूं की जो अनुमति का कागज छोटी बहन दिखा रही थी उस पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर या मेरी सहमती का कोई प्रमाण नहीं है और ना ही दूर-दूर तक इससे मेरा कोई लेना देना है.’’
उन्होंने लिखा, ‘‘मैं पहले दिन से कहती रही हूं कि माननीय प्रधानमंत्री जी पर एवं देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखिए, सत्य अवश्य सामने आएगा.’’
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बबीता ने कहा, ‘‘मैंने बार-बार सभी पहलवानों से ये कहा कि आप माननीय प्रधानमंत्री या गृहमंत्री जी से मिलो, समाधान वहीं से होगा लेकिन आपको समाधान दीपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस और प्रियंका गांधी में नजर आया जिनके साथ बलात्कार एवं अन्य मुकदमे में फंसे लोग आ रहे हैं.’’
उन्होंने कहा,
‘‘आज जब आपका यह वीडियो सबके सामने है तो उससे अब देश की जनता को समझ में आ जाएगा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के पवित्र दिन आपका विरोध और राष्ट्र के लिए जीता हुआ पदक गंगा में प्रवाहित करने की बात देश को कितना शर्मसार करने जैसा था.’’
बबीता ने कहा, ‘‘देश की जनता समझ चुकी है कि आप कांग्रेस के हाथ की कठपुतली बन चुकी हो. अब समय आ गया है कि आपको आपकी वास्तविक मंशा बता देनी चाहिए क्योंकि अब जनता आपसे सवाल पूछ रही है.’’
राणा ने हालांकि इन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने पहलवानों का इस्तेमाल निजी स्वार्थ के लिए किया.
उन्होंने कहा, ‘‘पहलवान आए और मेरे से मिले (विरोध शुरू करने से पहले) और उन्होंने कहा कि उनका शोषण किया गया है। हमने कहा कि हम अपनी बहनों और बेटियों के साथ हैं. न्याय की लड़ाई में मैं खिलाड़ियों के साथ हूं. मैं पहले भी उनके साथ था और अब भी हूं.’’
वीडियो को वट्सऐप ग्रुप में साझा किया गया था जिसे वीडियो से जुड़ी जानकारी प्रसारित करने के लिए बनाया गया था और बाद में राणा से जुड़ा वीडियो ग्रुप से डिलीट कर दिया गया.
राणा ने वीडियो में कहा,
‘‘देखिए, पहलवान देश का गौरव हैं और भाजपा के लिए खिलाड़ियों का सम्मान सर्वोच्च है और मैं भी उनका काफी सम्मान करता हूं. मैंने हमेशा खिलाड़ियों का समर्थन किया है.’’
साक्षी, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है और उसे गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं.
कादियान ने शनिवार को वीडियो में दावा किया था कि अगर वे पदकों को गंगा में विसर्जित करने का कदम उठाते तो हिंसा हो सकती थी.
राणा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘इस तरह की कोई बात नहीं हुई कि ऐसा करने (पदकों को विसर्जित करने) से हिंसा होगी. खिलाड़ियों के बीच गुस्सा था और उन्होंने फैसला किया कि वे अपने पदक गंगा में विसर्जित करेंगे लेकिन देश के लोगों का मानना था कि खिलाड़ियों को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए.’’
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