यूपी: बारिश ना होने की वजह से उत्तर प्रदेश में सूखे के हालात, अन्नदाता बेहाल

कुमार अभिषेक

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आधा अगस्त बीत गया और अभी तक उत्तर प्रदेश में इंद्रदेव नाराज चल रहे हैं. आलम यह है कि औसत से भी बहुत कम बारिश हुई है. जिसकी वजह से धान की फसलें सूखने के कगार पर आ गई हैं. पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सूखे के आसार नजर आने लगे हैं और अन्नदाताओं के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं.

धान का कटोरा कहा जाने वाला पूर्वी उत्तर प्रदेश का चंदौली हो, आजमगढ़,गोरखपुर, देवरिया,बलिया हो या फिर रायबरेली और सुल्तानपुर. हर जगह और सबसे कम बारिश हुई है और किसान धान की फसल को लेकर परेशान हैं. आइए जानते हैं कि किस जिले के क्या हालात हैं.

गोरखपुर में सूखे के आसार

बारिश ना होने से इस बार गोरखपुर जनपद में सूखे के आसार छाए हुए हैं. जिन किसानों के चेहरों पर खुशहाली देखने को मिलती थी, इस बार उनके चेहरे भी मुरझाए हुए हैं. क्योंकि जो किसान अपना पेट किसानी करके ही पालते हैं. इस बार उनकी फसलें भी बर्बाद हो रही हैं. क्योंकि बारिश ना होने की वजह से सूखे के आसार छाए हुए हैं. खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं.

जिला कृषि अधिकारी का भी कहना है कि अगर यही आलम रहा तो गोरखपुर जनपद में सूखा पड़ सकता है, क्योंकि 75 जिलों में 32 में स्थान पर गोरखपुर जनपद है और अब तक महज 56 परसेंट ही बारिश हुई है.

गोरखपुर जिले के पिपराइच के रहने वाले किसान रामनारायण विश्वकर्मा बताते हैं कि अगर अभी एक-दो दिनों में बारिश हो जाएगी, तो संभाला जा सकता है वरना जो मिट्टियां सूख गई हैं, उससे नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है. इस बार बारिश कम होने से खेतों में नुकसान होने की संभावना ज्यादा हो गई है.

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वहीं गोरखपुर के जिला कृषि अधिकारी देवेंद्र प्रताप ने बताया कि 10 अगस्त तक यहां पर 714.9 एमएम बरसात होनी चाहिए थी, लेकिन इसके सापेक्ष महज 401.2 एमएम ही बारिश हुई है. आने वाले समय में यही स्थिति रही तो सूखा पड़ने की नौबत आ जाएगी. बारिश अगर हुई भी बीच में तो फिर भी 20 परसेंट फसल का ग्रोथ कम होगा.

प्रयागराज में जरूरत के मुताबिक नहीं हुई बारिश

प्रयागराज में इस बार बारिश बहुत कम हुई है. इस कारण अब किसानों की धान की फसल खराब हो गई है और बेहन पीला पड़ गया है. अब किसान दोहरी मार झेल रहा है. जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य के मुताबिक, जिले में 43.06 फीसदी बारिश हुई है. जिले मे अबतक 344.50 मिलीमीटर हुई है, जबकि 864 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि धान की रोपाई 93 प्रतिशत हुई है.

सुभाष मौर्य ने बताया कि उपरहार क्षेत्र प्रभावित है, मेजा बऔर बारा के 16 हजार हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है और अन्य जगहों की भी बेहन बारिश कम होने से लग नहीं पाई है.

किसानो की बात करें तो किसान कल्लू प्रजापति मीनापुर गांव में रहते हैं. उन्होंने अपने साढ़े तीन बीघा के खेत में धान की बेहन लेकर आये थे. लेकिन नहीं लगा पाए, क्योंकि इसके खेत में सरकारी ट्यूबवेल लगा है. ट्रांसफार्मर जल गया इस वजह से न वो खेत मे पानी दे पाया न बारिश हुई इससे इसकी बेहन खराब हो गई.

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बारिश न होने से रायबरेली के किसान परेशान

महंगाई की मार के बाद मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है और उनका हाल बेहाल कर दिया है, तो वहीं कम बारिश ने आने वाले वक्त में किसानों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है. वैसे तो रायबरेली में सामान्य दिनों में अब तक 274 मिलीमीटर बारिश होती थी. लेकिन इस बार के हालात तो कुछ और ही कह रहे हैं.

ताजा जारी आंकड़ों में रायबरेली में महज113.5 मिलीमीटर बारिश ही हो पाई है, जो निर्धारित बारिश से काफी कम है और ऐसे में किसानों का आने वाला भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. अमावा ब्लाक के डिडौली गांव में खेती से अपना परिवार चलाने वाले रविंद्र सिंह का कहना है कि कम बारिश होने की वजह से धान की रोपाई कम हो पाई है, जिसकी वजह से उपज भी कम होगी.

पूरे मामले पर जब जिला कृषि अधिकारी एच एन सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि इस बार बारिश कम हुई है. जिसका असर धान की खेती पर पड़ा है और आने वाले वक्त में इसके असर भी देखने को मिलेंगे. लेकिन इसका असर कितना पड़ेगा इसके बारे में अभी से बोल देना जल्दबाजी होगी कम से कम सितंबर तक इंतजार करना चाहिए.

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आजमगढ़ के किसान कर रहे बारिश का इंतजार

आजमगढ़ बारिश की कमी होने से जिले में धान की फसल पर सीधा असर देखा जा सकता है. अमूमन जून माह में ही बारिश हो जानी चाहिए थी, जिससे धान की रोपाई लेट शुरू हुई. जुलाई 21 से रोपाई प्रारंभ हुई. बारिश से यहां रोपाई का कार्य लगभग 95% संपन्न किया जा चुका है. अब आगे धान की फसल के लिए अच्छी बारिश की आवश्यकता है, जिससे अच्छी फसल पैदा हो सके. लेकिन अब तक बारिश के आसार ना दिखने और नहरों में पानी ना होने से किसानों में काफी मायूसी छाई हुई है.

एक तरफ जहां मौसम विभाग अपने आंकड़ों में भी कम बारिश दर्ज कराकर आंकड़ा पेश कर रहा है, तो वहीं जिले के कृषि अधिकारी गगनदीप ने बताया कि बारिश लेट हुई, लेकिन अब तक रोपाई का कार्य खत्म हो चुका है. अब आगे मौसम पर कृषि निर्भर करती है.

वहीं बारिश ना होने से किसानों में काफी निराशा देखी जा रही है. मोलनापुर माथ गांव के किसान रविंद्र लाल का कहना है कि शुरुआती दौर में बारिश के वजह से रोपाई कर दी गई. महंगी लागत लगाकर डाई पोटाश डाला गया.

बारिश ना होने से रोपा धान सूख रहा है. तमोली गांव के सुरेंद्र यादव का कहना है कि हम किसानों के लिए गेहूं और धान ही मुख्य फसल है और बारिश ना होने से हम लोगों के लिए साल भर की मेहनत और परिश्रम सब बर्बाद हो रहा है. बारिश ना होने नहरों में पानी का ना होना जैसी स्थिति से निपट पाना मुश्किल हो रहा है.

कुशीनगर में कम बारिश

औसत से काफी कम बारिश होने के कारण कुशीनगर में सूखे के हालात देखने को मिल रहे हैं. इस बार कुशीनगर जिले में बारिश न होने के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है. जिले के कृषि विभाग के आकंड़े के मुताविक इस वर्ष 1 लाख 18 हजार एकड़ में किसानों ने धान की रोपाई की है.

औसत से लगभग 65 प्रतिशत कम बारिश होने के कारण धान की फसल पीली होने के साथ ही सूख रही है. जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि बारिश न होने से उनकी फसल बर्बाद हो रही है. फसल में लगाई गई पूंजी के नुकसान के साथ खाने के भी लाले पड़ जाएंगे.

अपने खेत मे लगाई गई धान की फसल को बर्बाद होते देख किसान धान की फसल को अपनी क्षमता के अनुरूप निराई करने के साथ पानी की व्यवस्था कर फसल को तैयार करने की जुगत में लगे हैं. किसानों को उम्मीद लगी है कि अब भी बारिश हो जाए तो हमारी फसल पूरी तरह बर्बाद होने से बच जाएगी.

देवरिया में मौसम की बेरुखी से किसानों का हाल बेहाल

देवरिया जिले में मौसम की बेरुखी के चलते सूखे का संकट गहराता जा रहा है. खेतों में दरारें पड़ गयी हैं और किसान परेशान हैं. तरकुलवा विकास खण्ड के सिवनिया गांव के आधा दर्जन किसानों ने सुख चुके धान के खेतों को ट्रैक्टर से जुताई करा दी है.

किसान सुनील पांडेय ने बताया कि उन्होंने दो बीघा धान की फसल की रोपाई कराई थी, लेकिन बारिश नहीं हुई, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि एक बीघा धान की फसल को उन्होंने जुताई करा दी और जो बचा है, वह भी जुतवा देंगे. उनका कहना है कि इस बार बहुत नुकसान हुआ है. पूंजी डूब गई. खेती ही सहारा था.

सिवनिया के ही किसान अजित सिंह और जंग बहादुर ने भी अपने बोए हुए खेतो में ट्रैक्टर चलवा दिया है. वहीं भागलपुर ब्लॉक के नरसिंह डांड़ गांव के रामनक्षत्र यादव ने भी डेढ़ बीघा धान बोया था शुरुआत में तो मशीन से सिंचाई किये, लेकिन बाद में बारिश नहीं हुई तो खेत को छोड़ दिया. अब खेत बिल्कुल सुख चुका है.

इस मामले में जिला कृषि अधिकारी मोहम्मद मुज्जमिल ने बताया कि 250 एमएम बारिश होनी चाहिए, लेकिन मात्र 70 एमएम बारिश हुई है, जो औसत से बहुत ही कम है. इसे देखते हुए आज डीएम देवरिया द्वारा देवरिया को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए शासन को पत्र भेजा जा रहा है.

महाराजगंज मे सामान्य से 59 फीसदी कम हुई बारिश

यूपी के महराजगंज जिले में हफ्ते भर बारिश नहीं हुई, तो जिले में सुखा जैसे हालात हो जाएंगे. सामान्य से 59 प्रतिशत से कम बारिश होने के बावजूद यहां सूखे जैसे हालात नहीं हैं. आधा दर्जन नदियों से घिरा हुआ है और किसान फिलहाल नदियों के सहारे सिंचाई कर रहे हैं. लेकिन अगर एक हफ्ता के अंदर बारिश नहीं हुई तो इस जिले में भी सूखे जैसे हालात हो जाएंगे.

किसान धनेवा धनेई के किसान विनय ने बताया कि इस बार फसलों में पैदावार कम होने के आसार हैं. हमारी फसलो में सुखा तो अभी नही पड़ा है लेकिन जिस तरह से धूप हो रहा है उससे यह अनुमान है कि दो से तीन दिनों फसलें सूखनी शुरू हो जाएंगी.

जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार सामान्य से बहुत कम बरसात हुई है. अगर एक सप्ताह मे अच्छी बारिश नही हुई तो जिले में सुखा पड़ जायेगा.

अंबेडकरनगर में भी कम बारिश किसान परेशान

अंबेडकरनगर में कम बारिश होने से किसान परेशान है और किसानों के धान की फसल सूख रहे हैं. इस बार बारिश का आंकड़ा सामान्य वर्ष के मुकाबले करीब 33 फीसदी कम है. अब तक 542.6 मिमी बारिश होनी चाहिए थी,लेकिन अभी तक 362 मिमी बारिश हुई है. कृषि विभाग की मानें तो जिले में धान की रोपाई लक्ष्य के बराबर है.

लेकिन किसानों की मानें तो कम बारिश होने की वजह से किसान इस बार धान की रोपाई कम किए हैं. अकबरपुर ब्लॉक के भिखारी पुर निवासी किसान सूर्य नारायण यादव ने बताया कि इस बार बारिश शुरू से ही कम हुई है. इस वजह से किसान धान की रोपाई कम किए हैं.

पिछली बार वह करीब 6 बीघा धान की रोपाई किये थे, लेकिन इस बार 4 बीघा किये हैं और अब इतनी कम बारिश हो रही है कि जो धान की फसल लगाए हैं, वह सुख रही है.

गोंडा में सूखे की आहट से किसान चिंतित

गोंडा में बारिश न होने से सूखे की आहट सुनाई पड़ने लगी है, जिससे किसानों को मुसीबतो का सामना करना पड़ सकता है. जिला कृषि अधिकारी जगदीश प्रसाद यादव की मानें तो इस साल 15 अगस्त तक जिले में 205.10 mm बारिश हुई है, जो बेहद कम है, जबकि अब तक जनपद में 652.7mm बारिश हो जानी चाहिए थी.

कृषि विभाग का कहना है कि अगर एक हफ्ते बारिश और नहीं हुई, तो धान की उत्पादकता पर भारी गिरावट हो सकती है. यह हाल उस जिले गोंडा का है जहां 1.29 लाख हेक्टेयर के खेतों में किसान धान की फसल उगाते हैं. जिले में 6 लाख से अधिक किसान खेती कृषि से ही अपनी आजीविका चलाते हैं.

बिजनौर में कम हुई बारिश

बिजनौर जनपद में बारिश ना के बराबर हुई है, इसलिए धान की फसल को नुकसान होने की पूरी संभावना बनी हुई है. लेकिन किसान अपनी फसल बचाने के लिए लगातार खेतों में ट्यूबेल से पानी दे रहा है. लेकिन इसके बाद भी फसल को इसलिए नुकसान हो रहा है, क्योंकि वह पानी तेज गर्मी के चलते गर्म हो जाता है जबकि धान की फसल को बारिश का ठंडा पानी चाहिए और उससे ही धान की अच्छी पैदावार होती है.

नगीना कृषि अनुसंधान केंद्र प्रेक्षक सतीश कुमार के अनुसार पिछले कई वर्षों से 1 अगस्त से 15 अगस्त तक 100 से 120 एमएम तक बारिश होती थी लेकिन इस वर्ष 1 से 15 अगस्त तक 50% बारिश यानी मात्र 50 से 60 एमएम बारिश हुई है और इस इस कारण धान की फसल को नुकसान होने की संभावना बनी हुई है.

वहीं जिला कृषि अधिकारी अवधेश मिश्र बताते हैं कि जिले में इस बार बारिश बहुत कम हुई है और इसी को देखते हुए धान की फसल का नुकसान होने की संभावना है. लेकिन अभी और मौसम का इंतजार किया जा रहा है.

चंदौली मे औसत से काफी कम बारिश

पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन धान के कटोरे के किसान भी कम बरसात होने की वजह से परेशान है और यहां के अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें साफ-साफ देखी जा सकती हैं. चंदौली में औसत से काफी कम बरसात हुई है जिसकी वजह से धान की फसल पर सूखे का संकट गहराता जा रहा है.

धीना थाना क्षेत्र के शिक्षा गांव के रहने वाले किसान रतन सिंह ने बताया कि उनकी उम्र 60 साल के आसपास है और अपनी उम्र में अब तक उन्होंने ऐसे हालात कभी नहीं देखे थे, जब जून- जुलाई और अगस्त में इतनी कम बरसात हुई हो.

रतन सिंह ने बताया कि अगर आने वाले दो-चार दिनों में अच्छी बरसात नहीं हुई तो चंदौली जनपद के अधिकांश किसान सूखे की मार झेलने पर मजबूर हो जाएंगे.

बलिया में औसत से काफी काम हुई बारिश

पूर्वांचल के बलिया में इस साल बहुत कम बारिश हुआ है.बलिया के कृषि अधिकारी की माने तो 1 जून से अब तक 173 मिली मीटर ही बारिश हुआ है. जबकि 1 जून से आज तक 475 मिली मीटर होनी चाहिए. इस समय धान की खेती असफल हो रही है. जिन किसानों के पास अपनी निजी साधन है, वो अब तक अपने धान के फसल को बचाये हुए हैं.

अगर भविष्य में पानी नहीं होता है तो किसानों के सामने भुखमरी दिखाई दे रहा है. बलिया के किसानों का कहना है कि धान सुख रहा है, जीरो प्वॉइंट पर हो गया है. अगर पानी और बिजली नहीं मिला तो बाध्य होकर उचित कदम उठाएंगे.

( गोरखपुर से गजेंद्र त्रिपाठी, बलिया से अनिल अकेला,बिजनौर से संजीव शर्मा, महाराजगंज से अमितेश त्रिपाठी, आजमगढ़ से राजीव कुमार, अंबेडकर नगर से केके पांडेय, देवरिया से रामप्रताप, प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव, कुशीनगर से संतोष, गोंडा से अंचल श्रीवास्तव, और रायबरेली से शैलेंद्र कुमार सिंह के इनपुट्स के साथ)

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