आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर SC ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

भाषा

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सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया. इस हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे.

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया.

इससे पहले, किसानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने 12 मार्च को एक प्रमुख गवाह पर हुए हमले का जिक्र किया था.

किसान जगजीत सिंह, पवन कश्यप और सुखविंदर सिंह के वकील दवे और प्रशांत भूषण हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को दी गई जमानत रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

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दवे ने कहा, ‘‘ हाई कोर्ट के जस्टिस ने जमानत प्रदान करने वाले सिद्धांतों पर एकदम गलत रुख अपनाया, वह भी तब जब निचली अदालत ने एक बहुत ही तर्कसंगत आदेश में जमानत देने से इनकार कर दिया था.’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस तथ्य पर भी गौर नहीं किया कि शीर्ष अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर स्वत: संज्ञान लिया था और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसने गहन जांच के बाद एक विस्तृत आरोप पत्र दाखिल किया था.

दवे ने कहा, ‘‘ आरोपी को कटघरे में लाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन हाई कोर्ट ने प्राथमिकी का हवाला दिया और कहा कि प्राथमिकी में दर्ज कथित गोली लगने की बात की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं हुई है और इसलिए उसे रिहा किया जाना चाहिए.’’

उन्होंने कहा कि प्राथमिकी ‘‘महत्वपूर्ण ’’ नहीं है बल्कि जांच महत्वपूर्ण है. इस पर तत्काल कोई कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि अन्य आरोपी भी इसी आदेश के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं.

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पीठ ने दवे की दलील सुनने के बाद कहा, ‘‘ हम एक नोटिस जारी करेंगे.. होली की छुट्टी के बाद हम 24 मार्च को याचिका को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करेंगे.’’

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुईं वकील रुचिरा गोयल को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा आप गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि वह आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के तीन सदस्यों ने आशीष मिश्रा को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 10 फरवरी को मिश्रा को मामले में जमानत दे दी थी. इससे पहले वह चार महीने तक हिरासत में रहे थे.

गौरतलब है कि किसानों का एक समूह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था और तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया था. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी.

किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था. हालांकि, मिश्रा ने आरोपों को खारिज किया है.

लखीमपुर खीरी: SC ने कहा- गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, आशीष की बेल पर भी मांगा जवाब

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