3 बीघा खेत में फूलों की खेती करके कितना कमा लेते हैं सोनभद्र के किसान मनोज सिंह?

यूपी तक

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के किसान मनोज सिंह ने पारंपरिक खेती से हटकर फूलों की खेती को अपनाकर अपनी जिंदगी बदल ली है. हिंदुहारी गांव के रहने वाले मनोज ने बीते तीन सालों में इस खेती से शानदार कमाई की है.

ADVERTISEMENT

Farmer (representative image).
फूलों की खेती (प्रतीकात्मक तस्वीर).
social share
google news

Flower farming Sonbhadra: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के किसान मनोज सिंह ने पारंपरिक खेती से हटकर फूलों की खेती को अपनाकर अपनी जिंदगी बदल ली है. हिंदुहारी गांव के रहने वाले मनोज ने बीते तीन सालों में इस खेती से शानदार कमाई की है. उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने उन्हें गांव के बाकी किसानों के लिए प्रेरणा बना दिया है.

3 बीघा खेत से लाखों की कमाई

मनोज सिंह 3 बीघा जमीन पर गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा और गुलदाउदी जैसे फूलों की खेती करते हैं. एक बीघा में फूलों की खेती में लगभग 40 से 50 हजार रुपए की लागत आती है. लेकिन मेहनत और सही तकनीक के कारण मनोज एक बीघा में लगभग एक लाख रुपए तक की शुद्ध कमाई कर लेते हैं. इस तरह, तीन बीघा में खेती से उनकी सालाना आय लाखों रुपए तक पहुंच जाती है.

फूलों की मांग ने खोला कमाई का रास्ता

सोनभद्र और आसपास के इलाकों में फूलों की भारी मांग है. शादी-ब्याह, त्योहार और धार्मिक आयोजनों में इन फूलों की खपत बढ़ जाती है. इस बढ़ती मांग का फायदा मनोज को मिलता है. हालांकि, स्थानीय स्तर पर फूल मंडी और कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है.

यह भी पढ़ें...

मंडी और भंडारण की समस्या

फूलों की खेती में भंडारण और बिक्री एक बड़ी चुनौती है. सोनभद्र में न तो फूलों की कोई बड़ी मंडी है और न ही कोल्ड स्टोरेज की सुविधा. इसकी वजह से फूलों को लंबे समय तक ताजा रखना मुश्किल हो जाता है. किसान मनोज सिंह का कहना है कि अगर मंडी और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध हो जाए, तो इस इलाके में फूलों की खेती और भी तेजी से बढ़ सकती है.

फूलों की खेती में मेहनत और तकनीक का मेल

फूलों की खेती करना आसान नहीं है. इसके लिए सही मिट्टी का चुनाव, बीज की गुणवत्ता और समय पर पानी देना जरूरी है. गुलाब और गेंदा जैसी फसलें दोमट और बलुआर मिट्टी में बेहतर होती हैं. समय-समय पर कीटनाशकों का इस्तेमाल और फसलों की निगरानी भी बहुत अहम है.

मनोज सिंह ने कैसे की शुरुआत?

मनोज सिंह ने पारंपरिक फसलों के मुकाबले फूलों की खेती को इसलिए चुना क्योंकि इसमें कम समय में बेहतर मुनाफा है. शुरुआत में उन्होंने अपने खेत में उन्नत किस्म के बीजों का इस्तेमाल किया. धीरे-धीरे उन्होंने फूलों की खेती से जुड़े हर पहलू को समझा और आज वे इसे एक सफल व्यवसाय में बदल चुके हैं.

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने मनोज

मनोज सिंह ने न केवल अपनी आय बढ़ाई है, बल्कि अपने क्षेत्र के किसानों को भी फूलों की खेती के प्रति प्रेरित किया है. उन्होंने दिखा दिया है कि मेहनत और नई तकनीक अपनाकर किसानी से भी एक अच्छी और सम्मानजनक आय अर्जित की जा सकती है.

आगे का रास्ता

अगर सोनभद्र में फूलों की मंडी और कोल्ड स्टोरेज की समस्या हल हो जाए, तो इस क्षेत्र में फूलों की खेती को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया जा सकता है. हमारी सहयोगी वेबसाइट किसान तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में फूलों की खेती का भविष्य बेहद उज्ज्वल है.

    follow whatsapp