भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकालने के बाद चर्चा में मायावती का परिवार, यहां देखिए 'बहनजी' की Family Tree
Mayawati Family Tree: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चीफ मायावती के अगले कदम की जानकारी सिर्फ एक व्यक्ति को होती है और वो कोई और नहीं खुद होती हैं. मायावती अपने सख्त फैसलों के लिए जानी जाती हैं.
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Mayawati Family Tree: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चीफ मायावती के अगले कदम की जानकारी सिर्फ एक व्यक्ति को होती है और वो कोई और नहीं खुद होती हैं. मायावती अपने सख्त फैसलों के लिए जानी जाती हैं. इस बात को साबित उन्होंने बीते रविवार और सोमवार को किया. दरअसल, इन दो दिनों के भीतर बसपा में काफी उठापटक देखने को मिली. रविवार को सबसे पहले मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी समेत सभी पदों से हटाया. इसके बाद सोमवार को एक कदम और गए बढ़ते को मायावती ने अपने भतीजे को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. मायावती के इस निर्णय के बाद से वह और उनका परिवार चर्चा में है. आइए इस खबर में जानिए कौन-कौन है मायावती के परिवार में?
कौन-कौन है मायावती के परिवार में?
मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल में हुआ था. उनके पिता प्रभु दयाल एक सरकारी क्लर्क और माता रामरती देवी (जो पढ़ी-लिखी नहीं थी और) गृहिणी थीं. प्रभु दयाल की सरकारी नौकरी के कारण उनका परिवार दिल्ली चला गया था. दरअसल मायावती का पैतृक परिवार उत्तर प्रदेश के बादलपुर गांव से ताल्लुक रखता है, जो तब गाजियाबाद जिला में आता था, लेकिन बाद में यह गौतमबुद्धनगर जिले का हिस्सा बन गया. मायावती दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के इंद्रपुरी की झुग्गी झोपड़ी (जेजे) कॉलोनी में पली-बढ़ीं. दयाल दंपती और उनके नौ बच्चे- मायावती की दो बहनों और 6 भाई समेत – छोटे से घर में रहते थे.
कौन-कौन हैं मायावती के भाई-बहन
सामने आई जानकारी के अनुसार, मायावती के अन्य भाई-बहनों का नाम सिद्धार्थ, नरेश, सुभाष टीटू, राजू राजकुमार, अशोक, आनंद, मुन्नी और सरसवती है.
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हालांकि, उनके भाई आनंद कुमार सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहते हैं. आनंद कुमार, मायावती के सबसे छोटे भाई हैं, जो पहले एक क्लर्क की नौकरी करते थे. लेकिन बाद में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया और बिजनेस सेक्टर में सक्रिय हो गए. आनंद कुमार को मायावती ने फिलहाल बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर जी जिम्मेदारी सौंपी है.
आनंद कुमार के परिवार में कौन-कौन है?
आपको बता दें कि आनंद कुमार के दो बच्चे हैं, जिनमें आकाश आनंद और ईशान आनंद शामिल हैं. आकाश आनंद ने लंदन से पढ़ाई की है. यहीं उनकी मुलाकात प्रज्ञा सिद्धार्थ से हुई. इसके बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया. फिर 26 मार्च 2023 को आकाश आनंद अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ के साथ गुरुग्राम में शादी के बंधन में बंधे थे. गौरतलब है कि इसी साल 15 जनवरी को मायावती के जन्मदिन ईशान आनंद नजर आए थे. लंदन से पढ़के लौटे ईशान पर फिलहाल बिजनेस संभालने की जिम्मेदारी है और वह सियासत से दूर बताए जाते हैं. खबर के अनुसार, आकाश आनंद की एक बहन भी हैं.

कौन हैं आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ?
डॉ. अशोक सिद्धार्थ ने अपने करियर की शुरुआत चिकित्सक के रूप में की थी, लेकिन 2008 में उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति का रुख किया और बसपा से जुड़ गए.बसपा प्रमुख मायावती ने उनके राजनीतिक सफर को मजबूती दी और 2009 में उन्हें विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य बना दिया. इसके बाद 2016 से 2022 तक अशोक सिद्धार्थ राज्यसभा सांसद भी रहे. कभी मायावती के करीबी नेताओं में गिने जाने वाले अशोक सिद्धार्थ हाल ही में पार्टी से बाहर कर दिए गए. बीते महीने, बसपा सुप्रीमो ने उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया था.
कब-कब यूपी की मुख्यमंत्री रहीं मायावती?
- 1995 में बीएसपी और समाजवादी पार्टी (एसपी) का गठजोड़ टूटने के बाद जब मुलायम सिंह की अगुवाई वाली सरकार गिरी तो मायावती भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का बाहरी समर्थन हासिल कर उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं.
- फिर जब 1996 के विधानसभा चुनाव हुए तो कोई पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी, ऐसे में कुछ वक्त तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा. अप्रैल 1997 में, 174 विधायकों वाली बीजेपी का 67 सीट जीतने वाली बीएसपी के साथ एक समझौता हुआ. इस समझौते के तहत 6-6 महीने के अंतराल पर दोनों पार्टियों से एक-एक मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति बनी. इसके तहत मायावती पहले 6 महीने मुख्यमंत्री रहीं.
- 2002 के विधानसभा चुनाव के बाद भी जब कोई पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी, तो मार्च से लेकर मई 2002 तक राष्ट्रपति शासन रहने के बाद बीजेपी ने बीएसपी को समर्थन दिया और मायावती तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. मगर इस सरकार के सामने लगातार चुनौतियां आती रहीं, ऐसे में मायावती ने अगस्त 2003 में इस्तीफा दे दिया.
- 2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने अपनी ‘सवर्ण विरोधी’ छवि से बाहर निकलते हुए दलित-ब्राह्मण भाईचारे के साथ सोशल इंजीनियरिंग का एक नया फॉर्मूला अपनाया. इस चुनाव में बीएसपी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ और साल 2012 तक मायावती की अगुवाई में सरकार चली.