वाराणसी MLC सीट पर बृजेश के परिवार का ढाई दशक से दबदबा, रसोइया तक को बनवाया ब्लॉक प्रमुख

रोशन जायसवाल

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गुरुवार को माफिया डॉन बृजेश सिंह की वाराणसी के सेंट्रल जेल से रिहाई हुई. वह 13 साल बाद जेल से रिहा हुए हैं. आज माफिया के तौर पर पहचाने जाने वाले बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह एमएलसी हैं, तो वहीं उनके भतीजे सुशील सिंह विधायक हैं. उनके बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह दो बार MLC भी रह चुके हैं.

बृजेश सिंह का राजनीति में ऐसा दबदबा है कि उनके यहां की रसोइया भी ब्लॉक प्रमुख के पद पर पहुंच चुकी है. आइए इस खास रिपोर्ट में जानते हैं बृजेश सिंह और उनके परिवार का राजनीतिक सफर.

वाराणसी के चौबेपुर थाना के धौरहरा गांव में 27 अगस्त, 1984 को बृजेश सिंह के पिता रवींद्र सिंह की जमीनी विवाद में हत्या हो गई. इसके बाद वाराणसी के यूपी काॅलेज में पढ़ने वाले मेधावी छात्र बृजेश ने पिता की हत्या का बदला लेने का फैसला किया और साल 1985 में पिता की हत्या के मुख्य आरोपी हरिहर सिंह को मौत के घाट उतार दिया. इस मामले में पहली बार बृजेश सिंह के खिलाफ वाराणसी के चौबेपुर थाने में मामला दर्ज हुआ. इसके बाद मेधावी छात्र बृजेश जरायम की दुनिया के दलदल में समाता चला गया.

बृजेश सिंह के आपराधिक इतिहास की जितनी चर्चा होती है, उतनी ही उनके राजनीतिक सफर के बारे में भी बात होती है. पिछले ढाई दशक से वाराणसी एमएलसी सीट पर बृजेश सिंह के परिवार का कब्जा है. इसी साल 2022 के अप्रैल महीने में हुए एमएलसी चुनाव में बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह बतौर निर्दल उम्मीदवार वाराणसी से बीजेपी प्रत्याशी सुदामा पटेल को भारी मतों से करारी शिकस्त दी, जिससे बीजेपी कैंडिडेट के डमी होने का भी सवाल उठता रहा.

साल 2022 में भले ही बीजेपी ने बृजेश सिंह की पत्नी के खिलाफ उम्मीदवार को उतारा था. मगर साल 2016 के एमएलसी चुनाव में बीजेपी ने बृजेश सिंह को समर्थन दिया था. दरअसल, साल 2016 में खुद बृजेश सिंह निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. बीजेपी से समर्थन मिलने के बाद बृजेश सिंह ने जीत हासिल की थी. उस वक्त बीजेपी द्वारा माफिया बृजेश को समर्थन देने पर काफी राजनीतिक हलचल मची थी, जिससे बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी. माना जाता है इसी वजह से साल 2022 में बीजेपी ने सुदामा पटेल पर दांव लगाया, लेकिन वाराणसी जेल में बंद बृजेश सिंह ने अपनी पत्नी को निर्दलीय उतारकर बीजेपी को मात दे दी.

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वाराणसी की एमएलसी सीट पर दो बार बृजेश सिंह के भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. चुलबुल सिंह के बाद बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने साल 2010 में बीएसपी के टिकट पर जीत हासिल की थीं. फिर साल 2016 के चुनाव में खुद बृजेश सिंह ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत हासिल की थी. वाराणसी एमएलसी सीट पर पिछले 24 साल से बृजेश के परिवार का कब्जा है.

बृजेश सिंह के भतीजे और स्वर्गीय चुलबुल सिंह के बड़े बेटे सुशील सिंह बीजेपी से विधायक हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2022 में सुशील सिंह ने चंदौली की सैयदराजा सीट पर एक बार फिर जीत हासिल की है. उन्होंने लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचा है. सुशील ने अपने राजनीतिक जीवन में पांच विधानसभा चुनाव लड़ा है, जिसमें उन्हें एक चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

चौबेपुर क्षेत्र के धौरहरा गांव के मूल निवासी बृजेश सिंह के परिवार से राजनीति में सबसे पहले उनके बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह आए. वो साल 1995 में सेवापुरी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य चुने गए. इसके बाद वो जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे. फिर वाराणसी सीट से दो बार MLC चुने गए. बीजेपी से जुड़े चुलबुल सिंह ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर अपनी ऐसी पकड़ बनाई कि उन्हें पंचायत चुनाव का चाणक्य तक कहा जाने लगा. उनके घर यानी कपसेठी हाउस का अब भी दबदबा है. साल 2018 में चुलबुल सिंह का निधन हो गया. चुलबुल सिंह की पत्नी गुलाबी देवी भी 3 बार क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी जा चुकी हैं.

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बता दें कि सुशील की पत्नी किरण सिंह 2000 से 2005 तक वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है. सुशील सिंह के छोटे भाई सुजीत सिंह उर्फ डॉक्टर भी वाराणसी जिला पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं.

सुजीत की पत्नी इंदू सिंह तीन बार सेवापुरी ब्लॉक की प्रमुख रही हैं. यही नहीं, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बृजेश सिंह के परिवार के दबदबे का आलम ये है कि पिछले साल ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में इस परिवार की रसोइया, जिसे परिवार के लोग पारिवारिक सदस्य तक मानते हैं, ब्लॉक प्रमुख चुनी गई.

सेवापुरी ब्लॉक से बृजेश सिंह के छोटे भतीजे सुजीत सिंह की पत्नी इंदू सिंह तीन बार प्रमुख चुनी गईं थीं. साल 2021 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सेवापुरी ब्लॉक प्रमुख का पद आरक्षित हो गया. ऐसे में कपसेठी हाउस यानी बृजेश सिंह के बड़े भाई चुलबुल सिंह का घर में रसोइया का काम देखने वाली रीना कुमारी को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया और वह ब्लॉक प्रमुख चुनी गईं.

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