योगी सरकार की बुल्डोजर कार्रवाई के खिलाफ SC में हुई सुनवाई, UP सरकार से मांगा गया हलफनामा

संजय शर्मा

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की बुल्डोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन दिनों में हलफनामा मांगा है. अब इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई होगी. सरकार नागरिकों की सुरक्षा और प्रक्रिया का ध्यान रखें. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक, बुल्डोजर की कार्रवाई पर रोक नहीं है बस नियमों के मुताबिक करवाई करनी है.

याचिकाकर्ता जमीअत उलेमा-ए-हिंद की ओर से सीनियर एडवोकेट चंद्र उदय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ध्वस्तीकरण की करवाई चल रही है. बयान दिया जा रहा है कि ये गुंडे हैं, पत्थरबाज हैं और दंगा फसाद करते हैं. ऐसे में ध्वस्तीकरण हो रहा है.

चंद्र उदय सिंह ने इस मामले की जल्द सुनवाई की जरूरत बताते हुए कहा कि यूपी में बुल्डोजर चलाया जा रहा है. उसके लिए नियम और प्रक्रिया का पालन नही किया जा रहा है. सिंह ने कहा कि अवैध ठहराकर बिल्डिंग गिराए जा रहे हैं. आरोपी के घर के गिराए जा रहे हैं. ये सभी पक्के घर हैं. 20 साल से भी पुराने. कई घर-घर के दूसरे सदस्यों के नाम पर है, लेकिन गिराया गया.

सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार में बड़े संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का बयान आ रहा है कि हिंसा करने वाले के खिलाफ करवाई की जा रही है.

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SC: क्या कानूनी प्रक्रिया पूरी हुई?

सिंह ने जवाब दिया कि एक मामले में तो ऐसा हुआ कि आरोपी की पत्नी के नाम पर बने घर को ही गिरा दिया गया.

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जमीयत की वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि इस मामले में जवाबदेही तय होना चहिए. केवल उन लोगो के खिलाफ करवाई हो रही है जिनके नाम FIR में है. केवल उनके घरों को गिराया जा रहा है.

सिंह ने कहा कि यह कानून का उल्लंघन है और हिंसा के खिलाफ सरकार का प्रतिशोध है. कानून के राज में ऐसा नहीं हो सकता. कानून में प्रक्रिया बनाई गई है और उनका पालन करने की आवश्यकता है. हमारा देश कानून के शासन से चलता है. इस मामले में कुछ संरक्षण दिया जाए. कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए. उन्हें भी समय दिया जाए.

सिंह ने कहा कि नोटिस देने के बाद कम से कम 15 दिनों का समय दिया जाना चाहिए. जमीयत के वकील ने जवाबदेही तय करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कोर्ट तुंरत कार्रवाई पर रोक लगाए. जस्टिस बोपन्ना- नोटिस जरूरी होते हैं, हमें इसकी जानकारी है.

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वकील ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपेरशन एक्ट के मुताबिक, बिना बिल्डिंग मालिक को अपनी बात रखने का मौका दिए कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है.

UP अर्बन प्लानिंग एन्ड डिवेलपमेंट एक्ट 1973 के मुताबिक भी बिल्डिंग मालिक को 15 दिन का नोटिस और अपील दायर करने के लिए 30 दिन का वक़्त देना ज़रूरी है. सिंह ने कहा कि15 दिनों से 40 दिनों तक का समय देने की बात नियम में कही गई है, जिसमें कम से कम 15 दिनों तक किसी भी कार्रवाई करने से पहले इंतजार करना होता है.

सिंह ने कहा कि जो ही रहा है यूपी में वो असंवैधानिक है, एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. लोगों को सुनवाई करने और अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए. यूपी शासन की तरफ से SG तुषार मेहता ने कहा कि जहांगीरपुरी मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष यहां नही आया. जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. एक राजनीतिक दल ने याचिका दाखिल की थी.

तुषार मेहता ने यूपी सरकार की ओर से कहा कि ये कहना गलत है कि किसी खास समुदाय को टारगेट कर कार्रवाई की जा रही है. ये तो पुरानी प्रक्रिया है जिसमें महीनों पहले से नोटिस दिए गए थे. ये कहना सरासर गलत है कि ध्वस्तीकरण से पहले प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ये राजनीतिक आरोपबाजी है. सरकार की गलत छवि बनाई जा रही है. परसेप्शन बनाया जा रहा है.

तुषार मेहता: जिस इमारत को ध्वस्त करने पर विवाद उठाया जा रहा है उस मामले में इसी साल दस मई को नोटिस दिया गया। कोई जवाब नहीं आया तो फिर 25 मई को ध्वस्तीकरण का नोटिस भी भेजा गया। फिर भी कोई जवाब नहीं आया तो बुलडोजर चलाया गया. मीडिया में बयानबाजी कर झूठ और सनसनी का माहौल बनाया जा रहा है.

साल्वे: कानपुर में भी जिस इमारत को जमींदोज किया गया उस मामले में भी नोटिस दिया गया। अगस्त 2020 को नोटिस दिया गया. उसके बाद फिर नोटिस दिया गया. कोई जवाब ना आने पर फिर ध्वस्तीकरण का भी नोटिस गया। फिर जाकर बुल्डोजर चला.

SC:सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया. अगले हफ्ते मामले की सुनवाई करेगा. SC ने कहा इस तरह के विध्वंस किए जाते हैं कम से कम जो कुछ किया जा रहा है वह कानून की प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए. एसजी मेहता- क्या अदालत प्रक्रिया का पालन करने वाले निर्देश जारी कर सकती है?

SC- फिर भी नोटिस जारी किया जा रहा है. आप जवाब दाखिल कर रहे हैं. सुनिश्चित करें कि इस दौरान कुछ भी अनहोनी न हो.

तुषार मेहता: जिनको दिक्कत है वो कोर्ट आ सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को सबकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। हमने भी रिपोर्ट्स देखी है जिसके मुताबिक कुछ लापरवाहियां हुई हैं. हमें नहीं पता की इसमें कितनी सच्चाई है!

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार ये साफ कहा कि कोई भी तोड़फोड़ की कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया से हो. ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि ये बदले की कार्यवाही है. अब ये कितनी सही हैं हमें नहीं मालूम. ये रिपोर्ट्स सही भी हो सकती हैं और गलत भी. अगर इस तरह के विध्वंस किए जाते हैं तो कम से कम जो कुछ किया जा रहा है वह कानून की प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए.

यूपी में योगी सरकार की बुल्डोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत उलेमा-ए-हिंद

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