कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी पर गुजरात पुलिस की FIR खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने पढ़ा दिया संविधान वाला पाठ
Imran Pratapgarhi News: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने उनके इंस्टाग्राम पोस्ट 'ऐ खून के प्यासे, बात सुनो' पर दर्ज गुजरात पुलिस की FIR को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लोकतंत्र का अभिन्न अंग बताया.
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Imran Pratapgarhi News: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को खारिज कर दिया है. आपको बता दें कि यह मामला उनके इंस्टाग्राम पोस्ट 'ऐ खून के प्यासे, बात सुनो' से जुड़ा था. अदालत ने अपने फैसले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचारों की अभिव्यक्ति के महत्व पर जोर देते हुए एफआईआर को रद्द किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इमरान की कविता में कोई विवादित बात नहीं है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का अभिन्न अंग है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य है.
पीठ ने कहा, "भले ही बड़ी संख्या में लोग किसी के द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को नापसंद करते हों लेकिन व्यक्ति के विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए. कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं." मालूम हो कि कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है.
गौरतलब है कि जामनगर शहर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह की पृष्ठभूमि में कथित रूप से भड़काऊ गीत सोशल मीडिया पर ‘पोस्ट’ करने के लिए प्रतापगढ़ी के खिलाफ 3 जनवरी को मामला दर्ज किया गया था. प्रतापगढ़ी पर धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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इस 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में दिखाया गया है कि जब प्रतापगढ़ी अपने हाथ लहराते हुए चल रहे हैं तो उन पर फूल बरसाए जा रहे हैं और पृष्ठभूमि में एक गाना सुनाई दे रहा है. इस गाने के बारे में प्राथमिकी में कहा गया है कि इसमें ऐसे बोल का इस्तेमाल किया गया जो भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक हैं और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं.
क्या होती है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता?
बताते चलें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रावधान है. यह अनुच्छेद प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्र रूप से बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है. अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है कि हर नागरिक को अपने विचारों, भावनाओं, विश्वासों और राय को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिकार है. यह स्वतंत्रता बोलने, लिखने, छापने, कला, संगीत, नाटक, फिल्म, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए अपने विचार व्यक्त करने की छूट देती है. हालांकि, यह अधिकार पूरी तरह से असीमित नहीं है. कुछ सीमाएं भी लगाई गई हैं, ताकि देश की संप्रभुता, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और शालीनता बनी रहे.